Saturday 11 May 2019

यज्ञ विषयक शंका समाधान (प्रश्न 54 से 61 तक)* 🔥

[5/9, 9:52 PM] 😊: 🔥 *यज्ञ विषयक शंका समाधान (प्रश्न 54)* 🔥

प्रश्न - 54 -  *यज्ञ का आइंस्टीन थ्योरी सूत्र E=mc^2 से कोई संबंध है ? कैसे ?*

उत्तर - आइंस्टीन की अंतर्दृष्टि से बताई थ्योरी थी कि *पदार्थ और ऊर्जा एक ही चीज़ के अलग अलग रूप हैं. पदार्थ उर्ज़ा में, और ऊर्जा पदार्थ में बदल सकता है।*

*आइंस्टीन थ्योरी सूत्र E=mc^2* - इस सूत्र के अनुसार इस मास या वज़न (m) को प्रकाश की गति (c) के वर्ग या एस्कवायर से गुना करना पड़ेगा। तब जाकर हम किसी पदार्थ की सारे कणों की ऊर्जा प्राप्त कर सकते है। एटम बम इसी फार्मूले पर बना है।

उदाहरण- साधारण पेट्रोल साधारण रूप में जलने पर मात्र थोड़ी ही ऊर्जा प्राप्त की जा सकती है और कुछ किलोमीटर की यात्रा संभव है, लेक़िन यदि इसी पेट्रोल के एक एक कण की ऊर्जा प्राप्त करके उपयोग कर सकें तो दिल्ली की सारी गाड़ियां महीने भर उस ऊर्जा से चल सकेंगी। गाड़ियों का माईलेज बढ़ाने में भी इसी तकनीक पर इंजीनियर काम कर रहे हैं।

*भगवत गीता और वेदों में भी यही इस तरह कहा गया है* - यथा पिंडे तथा ब्रह्माण्डे। ऊर्जा मरती नहीं रूप बदलती है। परिवर्तन संसार का नियम है।

यग्योपैथी और होमियोपैथी तथा अन्य पैथी वाले भी इसको जानते हैं कि *पदार्थ को जितना सूक्ष्म तोड़ोगे उतनी एनर्जी प्राप्त करोगे। साधारण शब्दों में होमियोपैथी विद्वान हैनिमैन के अनुसार औषधियों को सूक्ष्मीकृत करके औषधि का वह तत्व बाहर निकाला जा सकता है जिसे कारण तत्व कहते हैं। इसे वे पोटेंटाइज़ेशन कहते हैं।*

यह बात अलग है कि होमियोपैथी में द्रव्य रूप को प्रधानता दी गयी और यग्योपैथी में वायुभूत करने को प्रधानता दी गयी। अतः सबसे सूक्ष्मीकृत करने में यग्योपैथी ने ज्यादा सफलता पाई।

सूक्ष्मीकृत औषधियों का अद्भुत सामर्थ्य यह है कि उन्हें मात्र नासिका, रोमकूपों, मुख्यद्वार, आंखों की श्लेष्मा झिल्ली मात्र से स्पर्श करवा के शरीर मे प्रवेश करवाया जासकता है।

आयुर्वेद का उदाहरण - सोना चांदी वैसे किसी को खिलाओ तो कोई फायदा नहीं होगा, लेकिन यदि उसे स्वर्ण भष्म और चांदी भष्म बना दो तो वो रोग निवारक और बलवर्धक होता है। इसलिए तो वैद्य औषधियों को घोटते हैं जिससे उसके कण कण टूटे और सूक्ष्म होकर प्रभावी बने।

एलोपैथी में इंजेक्शन और नेबुलाइजर तकनीक से औषधि देना भी सूक्ष्मीकरण के सिद्धांत पर आधारित हैं।

यज्ञाग्नि चूल्हे की अग्नि से भिन्न होती है, मंन्त्र तरंगों से युक्त होती है। मंत्रों के साथ औषधियाँ *स्वाहा* की आवाज़ के साथ जो अर्पित की जाती हैं। वो औषधियों के जलने और ऑक्सीकरण के दौरान उनमें विष्फोट करके उसे अति सूक्ष्म बना देता है अर्थात एक औषधि के कण को अरबों नैनो कणों में तोड़ देता है। साउंड से किसी भी पदार्थ को तोड़ा जा सकता है और उसे ऊर्जा में बदला जा सकता है। मंन्त्र तरंग युक्त विकिरण(प्रकाश और ध्वनि) का प्रकाश गति से चलता है, जो मनुष्य के DNA तक को प्रभावित करने की क्षमता रखता है। हाई पोटेंसी प्रभाव के साथ शरीर के सूक्ष्म से सूक्ष्म मानव कोशिकाओं/सेल में प्रवेश करता है। रोगाणुओं को नष्ट करता है और जीवाणुओं को पोषण देता है।  महर्षि पातंजलि के आन्तर्य/सापेक्षता के सिद्धांत के अनुसार मंन्त्र के माध्यम से अनुरोध की गयी ऊर्जा को ब्रह्माण्ड से खींचकर रोगी व्यक्ति, वातावरण में और उस स्थान में आरोपित करता है। इससे सिद्ध होता है यग्योपैथी के जनक ऋषिसत्ताएँ आइंस्टीन की इस थ्योरी से पूर्व परिचित थीं, इसलिए यह थ्योरी यग्योपैथी से सम्बंध रखती है।

🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन
[5/9, 9:52 PM] 😊: 🔥 *यज्ञ विषयक शंका समाधान (प्रश्न 59 से 61)* 🔥

प्रश्न - 59) *प्राचीन प्रयोग यग्योपैथी पर हम घर बैठे अनुसंधान और अनुशोधन कैसे करे ?*

👉🏼 उत्तर :- यग्योपैथी एक बहुत बड़ा समुद्र है, आप इस समुद्र के किस जगह से गोताखोरी करके मोती निकालना चाहते हैं। यह तय आपको स्वयं अपने विवेक से निर्णय करना होगा, कि मैं कितनी गहराई तक तैर सकता हूँ, मेरे पास गोताखोरी की ड्रेस और ऑक्सीजन सिलेंडर इत्यादि है या नहीं।इसी तरह रोगों के उपचार हेतु यग्योपैथी को माध्यम बनाने से पहले उस रोग की बेसिक समझ है या नहीं, रोगी किस स्टेज में है यह सब समझ के यग्योपैथी शुरू करनी होगी।

यदि आप बिल्कुल नए हैं, तो ऐसे रोगों पर यग्योपैथी के अनुसंधान कीजिये जिसमें ऑपरेशन वाला कोई रोल न हो। जैसे गठिया, कब्ज, डिप्रेशन  इत्यादि। मरीज आसपास तैयार कीजिये, डॉक्टर ममता सक्सेना और डॉक्टर वंदना से सम्पर्क करके औषधि मंगवाकर इलाज शुरू करिए। रिसर्च प्रारम्भ कीजिये। उसके बारे में ज्यादा से ज्यादा सम्बन्धित पुस्तके पढ़िये।

प्रश्न 60) *वशीकरण क्या है ? क्या यज्ञ से वशीकरण संभव है ? प्रकाश डालिये।*

👉🏼उत्तर - इस संसार में असम्भव जैसा कुछ नहीं होता। केवल यह होता है कि इसे किसी ने ट्राई नहीं किया।मोबाइल निर्माण आज से 500 वर्ष पूर्व असम्भव था।  यह तो सबको पता है मोबाइल बन सकता है। लेक़िन बिन सम्बन्धित विषय को सम्बन्धित कॉलेज से सम्बंधित मार्गदर्शक से पढ़े बिना बना नहीं सकते।

मोबाइल टेक्नोलॉजी की तरह वशीकरण भी एक टेक्नोलॉजी है।  इसके लिए सम्बन्धित गुरु सम्बन्धित सामग्री और सम्बन्धित प्रक्रिया अपनानी पड़ेगी।

जिस प्रकार रेडीमेड मोबाइल पैसे देकर खरीद सकते हैं, इसी तरह रेडीमेड अभिमंत्रित वशीकरण हवन सामग्री भी बिकती है और तांत्रिक मंन्त्र मैन्युअल की तरह साथ मिलता है। गायत्री परिवार मंन्त्र विज्ञान और चिकित्सा विज्ञान पर कार्य करता है, अतः तांत्रिक वशीकरण सामग्री हम लोग उपलब्ध नहीं करवा पाएंगे।

प्रश्न 61) *यज्ञाग्नि और नॉर्मल चूल्हे की अग्नि में क्या अंतर है।*

👉🏼 उत्तर - यज्ञाग्नि और चूल्हे की अग्नि में उतना ही अंतर है, जितना सिम एवं नेटवर्क के साथ मोबाइल और बिना सिम-नेटवर्क के मोबाइल में है।

मंन्त्र और भावनाएं प्रेषति करके अग्नि का आह्वाहन करके जब हम विधिविधान से अग्नि प्रज्ज्वलित करते हैं। तो ब्रह्माण्ड का नेटवर्क चैनल ओपन हो जाता है। यज्ञाग्नि के माध्यम से सन्देश सम्बन्धित दैवीय शक्ति तक भेजा जा सकता है।



🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन
[5/9, 9:52 PM] 😊: 🔥 *यज्ञ विषयक शंका समाधान (प्रश्न 55 से 58)* 🔥

प्रश्न - 55-  *घर मे जलाये हुए दीपक से हम यज्ञ कैसे कर सकते है?*

👉🏼उत्तर - हमारा शरीर पंचतत्वों से बना है, जिनमें धरती, आकाश, अग्नि, वायु और जल सम्मिलित हैं। इनमें भी अग्नि हमारे अस्तित्व का एक अटूट हिस्सा है। माना जाता है कि जब हम किसी कार्यक्रम, पूजा-पाठ आदि के प्रारंभ में दीप प्रज्वलित करते हैं तो उसी के साथ हम अपने अस्तित्व को जीवंत कर रहे होते हैं। शरीर का अग्नितत्व और अग्निचक्र दीपक, यज्ञाग्नि से शक्ति प्राप्त करते हैं और ऊर्जावान होते हैं।

दीपयज्ञ में हम एक से अधिक दीपक जलाकर मंन्त्र जपते हैं और मानसिक आहुतियां अर्पित करते हैं। दीपयज्ञ वास्तव में यज्ञ का ही एक रूप है, जिसमें अग्नि को कई दियों में प्रज्ववलित करके स्वचालित मानसिक यज्ञ आहुति क्रम गायत्री मंत्र के साथ किया जाता है। मंन्त्र की शब्द ऊर्जा और अग्नि ऊर्जा मिलकर प्राण ऊर्जा को चार्ज करती है। मानसिक आहुतियां भी लाभकारी हैं।

स्थूल आहुति के लिए गायत्रीमंत्र बोलकर जलते हुये दीपक की तली में स्वाहा के साथ चम्मच से कुछ बूंद घी चम्मच से डालकर आहुति दें।  11 या 24 या 108 श्रद्धा अनुसार गायत्री मंत्र और 3 या पांच या 11 महामृत्युंजय मंत्र की आहुतियां दें। अंतिम पूर्णाहुति भी घी से ही होती है।


प्रश्न - 56) *गरीबी रेखा के जीने वाले व्यक्ति यज्ञ से कैसे लाभ प्राप्त कर सकते है ?*

👉🏼 उत्तर - यज्ञ के जनक ऋषि याज्ञवल्क्य के अनुसार नित्य यज्ञ करना चाहिए।

 पंचतत्वों में अग्नि में आहुति उत्तम श्रेणी की आती है। चूल्हे के अंगार में या गैस स्टोव में पाँच आहुतियों का बलिवैश्व यज्ञ घर के बने भोजन में गुड़ मिलाकर किया जा सकता है।

यदि यह संभव न हो, तो पंचतत्व के द्वितीय तत्व जल का जल में आहुति कर लें। एक खाली कटोरी में दूसरी भरी कटोरी से गायत्री मंत्र बोलते हुए स्वाहा के साथ जल डालें।

यदि यह भी संभव न हो तो ध्यानस्थ होकर  पंचतत्वों के तृतीय तत्व वायु  का प्रयोग करें। हवा के हवा की आहुति दें। या पंचतत्व के चौथे तत्व आकाश में बादलों की आहुति दें।

यदि स्थूल ही आहुति देनी है तो पंच तत्व के पांचवे तत्व मिट्टी की मिट्टी में आहुति दें।

आहुति क्रम में गायत्री मंत्र और फिर स्वाहा के साथ आहुति देने वाला क्रम ही चलेगा।

प्रश्न 57) *सविता देवता को समर्पित आहुतियां किस प्रकार अपनी मंत्र शक्ति एवं यज्ञ ऊर्जा के सूक्ष्म स्वरुप के माध्यम से लाभ पहुचाती है ?*

👉🏼 उत्तर - मोबाइल में जिसका नम्बर में मेसेज करते हैं उसी को मेसेज पहुंचेगा है। कोरियर में जिसका पता लिखेंगे उस तक ही समान पहुंचेगा। इसी तरह देवताओं की कोरियर सर्विस अग्नि हैं। जिस मंन्त्र को आप जपेंगे सूक्ष्म चैनल उस देवता तक बनेगा उस तक भक्त का भाव सन्देश और अर्पित सामग्री का सूक्ष्म तत्व यज्ञ भाग पहुंचेगा। रिप्लाई में वो जो ऊर्जा सन्देश देगा वो यज्ञ कर्ता तक पुनः अग्नि देव पहुंचा देते हैं। यह सिंद्धान्त सविता देवता और अन्य सभी दैवीय शक्तियो, पितर शक्तियो पर समान रूप से लागू है। यज्ञाग्नि चैनल से अशरीरी राक्षस, भूतगण तक भी तांत्रिक मन्त्रों से यज्ञ भाग पहुंचाया जा सकता है।

प्रश्न 58) *यज्ञ करने से समग्र संतुलन प्राप्त होता है,तो दूसरे ग्रह पे असंतुलन (हवा/पानी) को संतुलन करके जीवन की आशा पैदा कर शकते है ? कैसे ?*

उत्तर - एक व्यक्ति को भोजन करवा कर पेट भरा जा सकता है वैसे ही लाखों लोगों को भी भोजन करवा के पेट भरा जा सकता बस भोजन जरा ज्यादा अनुपात में बनाना पड़ेगा। छोटे गड्ढे को भरने के लिए थोड़ी मिट्टी चाहिए और बहुत बड़े गड्ढे को भरने के लिए बहुत ज्यादा मिट्टी चाहिए। मुझे नहीं पता कि आपने पृथ्वी के अलावा किस अन्य ग्रह को बसाने का निश्चय किया है और वहां कितने कुंडीय यज्ञ और कितनी समिधा और कितने दिनों तक लगातार यज्ञ की आवश्यकता होगी कह नहीं सकते। यदि ग्रह का नाम, उसका नाप, उसका वर्तमान गुरुत्वाकर्षण, उसकी मिट्टी का सैम्पल, उस ग्रह में मौजूद जल और हवा में गैसों का अनुपात का आंकड़ा दे दें तो फिर हम भी यज्ञ सामग्री और कुंडीय यज्ञ का डेटा आपको उपलब्ध करवा देंगे।
😇😇😇😇😇😇
🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन

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