Monday 6 May 2019

अक्षय तृतीया स्वयं सिद्ध मुहूर्त - 3 मई 2022

*अक्षय तृतीया स्वयं सिद्ध मुहूर्त -  3 मई 2022*
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अक्षय तृतीया की तिथि को बेहद शुभ माना जाता है। इस वर्ष महा संयोग बन रहा है जो कि सभी के लिये बेहद शुभ है। इस वर्ष सूर्य, शुक्र, राहू और चंद्र अपनी सबसे उच्च राशि में होंगे।
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*अक्षय तृतीया पर लक्ष्‍मी पूजन एवं धनवर्षा यज्ञ का शुभ मुहूर्त:*

अक्षय तृतीया मुहूर्त (Akshaya Tritiya 2022 Muhurat)

अक्षय तृतीया मंगलवार, मई 3, 2022 को
अक्षय तृतीया पूजा मुहूर्त - सुबह 05 बजकर 59 मिनट से दोपहर 12 बजकर 26 मिनट तक
अवधि - 06 घण्टे 27 मिनट्स
तृतीया तिथि प्रारम्भ - मई 03, 2022 को सुबह 05 बजकर 18 मिनट से लेकर 
तृतीया तिथि समाप्त - मई 04, 2022 को सुबह 07बजकर 32 मिनट तक

अक्षय तृतीया खरीदारी करने का शुभ मुहूर्त (Akshaya Tritiya 2022 Shopping Shubh Muhurat)

3 मई 2022 की सुबह 05 बजकर 59 मिनट से लेकर 4 मई 2022 को सुबह 05 बजकर 38 मिनट तक.

 इस समय यज्ञ करने से माँ लक्ष्मी की कृपा बरसती है। यज्ञ से बड़ा दान कुछ भी नहीं। गौ घृत, खीर, मेवा मिष्ठान्न तिल गुड़ ईलायची और औषधि युक्त हवन सामग्री से यज्ञ करें।

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अक्षय तृतीया के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर समुद्र या गंगा स्नान करने के बाद भगवान विष्णु की शांत चित्त होकर विधि विधान से पूजा करने का प्रावधान है। नैवेद्य में जौ या गेहूँ का सत्तू, ककड़ी और चने की दाल अर्पित किया जाता है। तत्पश्चात फल, फूल, बरतन, तथा वस्त्र आदि दान करके ब्राह्मणों को दक्षिणा दी जाती है। ब्राह्मण को भोजन करवाना कल्याणकारी समझा जाता है। मान्यता है कि इस दिन सत्तू अवश्य खाना चाहिए तथा नए वस्त्र और आभूषण पहनने चाहिए। गौ, भूमि, स्वर्ण पात्र इत्यादि का दान भी इस दिन किया जाता है। यह तिथि वसंत ऋतु के अंत और ग्रीष्म ऋतु का प्रारंभ का दिन भी है इसलिए अक्षय तृतीया के दिन जल से भरे घडे, कुल्हड, सकोरे, पंखे, खडाऊँ, छाता, चावल, नमक, घी, खरबूजा, ककड़ी, चीनी, साग, इमली, सत्तू आदि गरमी में लाभकारी वस्तुओं का दान पुण्यकारी माना गया है। इस दान के पीछे यह लोक विश्वास है कि इस दिन जिन-जिन वस्तुओं का दान किया जाएगा, वे समस्त वस्तुएँ स्वर्ग या अगले जन्म में प्राप्त होगी। इस दिन लक्ष्मी नारायण की पूजा सफेद कमल अथवा सफेद गुलाब या पीले गुलाब से करना चाहिये।

सर्वत्र शुक्ल पुष्पाणि प्रशस्तानि सदार्चने।
दानकाले च सर्वत्र मंत्र मेत मुदीरयेत्॥

अर्थात सभी महीनों की तृतीया में सफेद पुष्प से किया गया पूजन प्रशंसनीय माना गया है।
ऐसी भी मान्यता है कि अक्षय तृतीया पर अपने अच्छे आचरण और सद्गुणों से दूसरों का आशीर्वाद लेना अक्षय रहता है। भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा विशेष फलदायी मानी गई है। इस दिन किया गया आचरण और सत्कर्म अक्षय रहता है।

भविष्य पुराण के अनुसार इस तिथि की युगादि तिथियों में गणना होती है, सतयुग और त्रेता युग का प्रारंभ इसी तिथि से हुआ है। भगवान विष्णु ने नर-नारायण, हयग्रीव और परशुराम जी का अवतरण भी इसी तिथि को हुआ था।ब्रह्माजी के पुत्र अक्षय कुमार का आविर्भाव भी इसी दिन हुआ था। इस दिन श्री बद्रीनाथ जी की प्रतिमा स्थापित कर पूजा की जाती है और श्री लक्ष्मी नारायण के दर्शन किए जाते हैं। प्रसिद्ध तीर्थ स्थल बद्रीनारायण के कपाट भी इसी तिथि से ही पुनः खुलते हैं। वृंदावन स्थित श्री बांके बिहारी जी मन्दिर में भी केवल इसी दिन श्री विग्रह के चरण दर्शन होते हैं, अन्यथा वे पूरे वर्ष वस्त्रों से ढके रहते हैं। ज्योतिषाचार्य डॉक्टर जी.एम. हिंगे के अनुसार तृतीया ४१ घटी २१ पल होती है तथा धर्म सिंधु एवं निर्णय सिंधु ग्रंथ के अनुसार अक्षय तृतीया ६ घटी से अधिक होना चाहिए। पद्म पुराण के अनुसा इस तृतीया को अपराह्न व्यापिनी मानना चाहिए। इसी दिन महाभारत का युद्ध समाप्त हुआ था और द्वापर युग का समापन भी इसी दिन हुआ था। ऐसी मान्यता है कि इस दिन से प्रारम्भ किए गए कार्य अथवा इस दिन को किए गए दान का कभी भी क्षय नहीं होता। मदनरत्न के अनुसार:

अस्यां तिथौ क्षयमुर्पति हुतं न दत्तं। तेनाक्षयेति कथिता मुनिभिस्तृतीया॥
उद्दिष्य दैवतपितृन्क्रियते मनुष्यैः। तत् च अक्षयं भवति भारत सर्वमेव॥
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आज जप-तप-यज्ञ-दान-ध्यान, श्रीमद्भागवत गीता का पाठ और गंगा नदी में स्नान अनेक गुना फलदायी है। अक्षय पुण्यदायी है।

पाँच माला गायत्री जप, एक माला विष्णु और एक माला लक्ष्मी मंन्त्र का जप करें। फ़िर यज्ञ में 24 आहुति गायत्री मंत्र, 11 विष्णु गायत्री मंन्त्र, 11 लक्ष्मी गायत्री और 5 महामृत्युंजय मंत्र की आहुति दें।

*गायत्री मंत्र:- यह मंन्त्र सभी मन्त्रों का राजा है। वेदों का सार है। शुभता प्रदान करने वाला और बुद्धि को प्रखर करने वाला मंन्त्र है। यह मंन्त्र सद्बुद्धि, आयु, प्राण, प्रजा, पशु, कीर्ति, यश, धन, वैभव, ब्रह्मवर्चस, तेजस, ओजस देने वाला है।*

ॐ भुर्भुवः स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो योनः प्रचोदयात।

*विष्णु गायत्री:- यह मंत्र पारिवारिक कलह को समाप्त करता है और सद्बुध्दि जागृत करता है । व्यवसाय/जॉब में उन्नति दिलाता है*
मंत्र-
।। ॐ नारायण विद्महे वासुदेवाय धीमहि। तन्नो विष्णु: प्रचोदयात् ।।

*लक्ष्मी गायत्री:- यह मंत्र पद प्रतिष्ठा, यश ऐश्वर्य और धन सम्पति प्रदान करता हैं मंत्र* -

।। ॐ महालक्ष्म्यै विद्महे विष्णुप्रियायै धीमहि । तन्नो लक्ष्मी प्रचोदयात् ।।

*महामृत्युंजय मंत्र:- आरोग्य, स्वास्थ्य देने वाला और मृत्यु के भय को दूर करने वाला मंन्त्र है*

ॐ त्र्यम्‍बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् उर्वारुकमिव बन्‍धनान् मृत्‍योर्मुक्षीय मामृतात्

🙏🏻 आज के दिन अन्नदान महादान अवश्य करें 🙏🏻

🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन

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