Monday 13 May 2019

प्रश्न - *हम पूरी निष्ठा और समर्पण से गुरुकार्य करने में जुटते हैं, लेक़िन कुछ अपने ही परिजन उसमें बाधा उतपन्न करते हैं। क्या मेरी साधना में कोई कमी है? मुझे क्या करना चाहिए?*

प्रश्न - *हम पूरी निष्ठा और समर्पण से गुरुकार्य करने में जुटते हैं, लेक़िन कुछ अपने ही परिजन उसमें बाधा उतपन्न करते हैं। क्या मेरी साधना में कोई कमी है? मुझे क्या करना चाहिए?*

उत्तर - जब भगवान पानी बरसाता है तो उपयोगी बीजों के साथ साथ खर-पतवार भी उस जल को पीकर बड़े होते हैं।

भगवान खर-पतवार को जल पीने से नहीं रोकता, न हीं उपयोगी वृक्ष-वनस्पति-फसलों को जल पीने को कहता है। दोनों ही भले उस जल को पीकर बड़े हों, किसान फ़सल और उपयोगी वृक्ष वनस्पति को बचाएगा और खर पतवार उखाड़ेगा।

गुरु परमात्मा है जो अनुदान वरदान बरसा रहा है, समर्पित साधक (उपयोगी वृक्ष-वनस्पति-फसल) और बाधक (खर पतवार) दोनों ही पल रहे हैं। साधक नित्य जप-ध्यान-स्वाध्याय करके ईश्वरीय कार्य मे जुटता है। बाधक को लगता है अरे यह मेरे से आगे कैसे जा सकता है? यह तो फेमस हो जाएगा। अतः स्वयं के स्तर पर साधक को लाने के लिए वो बाधाएं उतपन्न करता है। किसी न किसी किसान को भगवान भेज देगा खर पतवार रूपी बाधकों को सुधारने के लिए चिंता मत करो।

फ़िल्म हो या रियल जिंदगी बिना विलेन के हिट नहीं होती। बिना परीक्षा के रिजल्ट नहीं मिलता। ये बाधक वस्तुतः हमारे एग्जाम पेपर है, या यूं कहो हर्डल रेस हैं। इन्हें एक जीवन का खेल समझकर एन्जॉय करते हुए पार करो। स्वयं को मजबूत बड़े वृक्ष की तरह इतना ऊंचा उठा लो और जड़ इतनी गहरी कर लो कि यह खर पतवार वाले बाधक परिजन कुछ बिगाड़ न पाएं। स्वयं के मन के घोड़े को साधना की ऊर्जा और अभ्यास से इतना सक्षम बना दो कि बाधक परिजन की उत्तपन्न की बाधाओं को पार कर सकें। गुरु कृपा से उत्साह उमंग उल्लास से हर्डल पार करो। बड़े हर्डल पर पूर्ण नियंत्रण के साथ बड़ी उछाल भरो।

साधक शिष्य जब गुरुधाम जाता है तो काम मांगने जाता है। भगवान हमसे अपना कार्य करवा लो, हमसे अपनी सेवा ले लो। लेकिन जब बाधक शिष्य गुरुधाम जाता है तो मनोकामना की गठरियां लेकर जाता है और गुरु को काम देकर आता है कि गुरु को उसके लिए क्या क्या करना है।

अब जो स्वयं के गुरु को परेशान करने में नहीं चूक रहा तो तुम्हें परेशान कर रहा है तो कौन सी बड़ी बात है?

बाधक पूर्ण निष्ठा से तुम्हें रोक रहा है, तुम साधक हो पूर्ण निष्ठा से आगे बढ़ो। वैसे भी फ़िल्म हो या रियल जिंदगी जीत सच्चाई और साधक हीरो की ही होती है। एक महीने में टोटल *30 माला* या *रोज एक माला* एक्स्ट्रा गायत्री  मंन्त्र उपासना के साथ साथ  - महाकाली माता की जप लो और बाधाओ से जीतने की शक्ति ले लो। माता गायत्री से हब सबके अंदर सद्बुद्धि जागृत हो और सब सन्मार्ग पर चलें ऐसी प्रार्थना करो।

गायत्री सद्बुद्धि, सर्वसिद्धि और बुद्धिकुशलता मंन्त्र - *ॐ भुर्भुवः स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो योनः प्रचोदयात क्लीं क्लीं क्लीं ॐ*

महाकाली शक्ति मंन्त्र - *ॐ भुर्भुवः स्व: क्लीं क्लीं क्लीं तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो योनः प्रचोदयात क्लीं क्लीं क्लीं ॐ*

नोट:- *गायत्री मंत्र में 24 अक्षर हैं और सविता(सूर्य) का मंन्त्र।  यह मंन्त्र जप उगते हुए सूर्य के ध्यान के साथ कम से कम  24 हज़ार एक महीने में जप हो ही जाना चाहिए। इतनी ऊर्जा तो साधक को चाहिए ही। कम से कम 1,000 गायत्री मंत्र एक दिन जपिये या शनिवार-रविवार ज्यादा जप लें और ऑफिस के दिन कम जप लें। 6 दिन इमरजेंसी के लिए छोड़ दीजिए। कोई काम आ गया या कुछ और। सैनिक बिना बन्दूक युद्ध नहीं लड़ सकता। साधक बिना साधना के ईंधन के सृजन सैनिक बनकर सृजन नहीं कर सकता। कम से कम 24 पेज का स्वाध्याय अनिवार्य है, बिना इसके मानसिक स्नान और व्यायाम नहीं होगा, मन को मजबूती नहीं मिलेगी, मन नहीं सधेगा।*

याद रखें, केवल उपासना जिनकी नित्य होगा और समर्पण जिनका पूर्ण गुरु के प्रति होगा, केवल वही साधक है और सहायक बनेंगे। बाकी केवल बाधक ही बनेंगे।

🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन

No comments:

Post a Comment

प्रश्न - जप करते वक्त बहुत नींद आती है, जम्हाई आती है क्या करूँ?

 प्रश्न - जप करते वक्त बहुत नींद आती है, जम्हाई आती है क्या करूँ? उत्तर - जिनका मष्तिष्क ओवर थिंकिंग के कारण अति अस्त व्यस्त रहता है, वह जब ...