Thursday 23 May 2019

प्रश्न - *ध्यान करते वक्त जो धारणा चुनते हैं। उस पर एकाग्र होने की कोशिश करते हैं, लेकिन मन भटक जाता है। क्या करें?*

प्रश्न - *ध्यान करते वक्त जो धारणा चुनते हैं। उस पर एकाग्र होने की कोशिश करते हैं, लेकिन मन भटक जाता है। क्या करें?*

उत्तर - ध्यान धारणा का शुरुआती आधार कल्पना है। कल्पना करने के लिए कुछ विचारों की शुरुआत में सूची चाहिए। मन के घोड़े को विचारों के सङ्कल्प की लग़ाम बांधनी होगी।

जो भी धारणा चुनी है, उसके बारे में छोटी सी छोटी बात लिखिए, दिमाग़ में वह पैटर्न बिठाइए फिंर ध्यान में बैठिए। जिस धारणा को करना है उससे सम्बन्धित चित्र एकटक अपलक निहारिये। फिंर उस चित्र के अनुसार कोई कहानी जैसी बातें लिख डालिये। फिंर ध्यान करने बैठिए मन जरूर लगेगा।

जैसे साइकिल शुरू शुरू चलाना सीखने वक्त बड़ा ध्यान देना पड़ता है, कहीं गिर न जाएं, अभ्यास होने पर साइकिल एक खिलौना बन जाती है। शुरू शुरू में रोटी बनाते वक्त बड़ा ध्यान देना पड़ता है कहीं हाथ जल न जाये। लेकिन बाद में रोटी बनाना एक खेल हो जाता है।इसी तरह शुरू शुरू में ज्यादा मेहनत ध्यान जमाने के लिए करनी पड़ती है, कहीं ध्यान टूट न जाये। अभ्यास होने पर ध्यान भी सहजता से मनचाही अवधि के लिए किया जा सकता है।

दो उदाहरण ध्यान के बता रही हूँ:-

1- *उगते सूर्य का ध्यान* :- सर्वप्रथम कम से कम 5 दिन उगता हुआ सूर्य अपलक निहारिये। या उगते हुए सूर्य की फोटो को अपलक निहारिये। उस समय बादल के सिंदूरी रँग और वह सूर्य जिस स्थान से उदित हो रहा है उसकी सुंदरता को देखिए। चिड़ियों की चहचहाना और पुष्पों का खिलना अनुभव कीजिये। यदि नदी के ऊपर सूर्योदय देखा है तो नदी की कल कल ध्वनि अनुभव कीजिये। जब 5 दिन में वह सूर्य की इमेज आपका दिमाग़ रजिस्टर कर लेगा, और उससे सम्बन्धित कहानी गढ़ लेगा तो ध्यान लगेगा।
सम्बन्धित कहानी अगर आप स्वयं न गढ़ पाएं तो यह वाली कई बार पढ़ लें और कल्पना में स्वयं को इस कहानी से असोसिएट कर लें।

कल्पना कीजिये कि सुबह सुबह आप नहाधोकर अपनी माला लेकर एक सुंदर रमणीय स्थान पर आसन बिछा के बैठे हैं। सुबह सूर्योदय का समय है। सारे जीव-पशु-पक्षी और वृक्ष-वनस्पति सूर्योदय का इंतजार कर रहे हैं। सूर्योदय धीरे धीरे हुआ और सूर्य की प्रथम किरणे आपके आज्ञा चक्र में प्रवेश कर गयी। आपको मानो दिव्य शक्ति हनुमानजी की तरह उड़ने की मिल गयी। सूर्य की किरणें आपके समस्त शरीर को नहला रही है। पहले आप कच्चे नारियल की तरह शरीर से चिपके थे, अब सूखे नारियल की तरह शरीर से अलग हो गए हैं। स्थूल शरीर से आप निकल गए और बाहर खड़े होकर आप अपना शरीर देख रहे हो। अब आप सूर्य की तरफ यात्रा अपने सूक्ष्म शरीर से कर रहे हो। जितना वक्त रॉकेट को सूर्य तक पहुंचने में लगेगा उतनी स्पीड स्वयं की अनुभव कीजिये। पहले धरती से ऊपर उठिए, फ़िर अंतरिक्ष में पहुंचिये, फिंर ग्रह नक्षत्रों को पार करते हुए सूर्य तक पहुंचिये। सूक्ष्म शरीर से प्रकाशित सूर्य में प्रवेश कर जाइये। कल्पना कीजिये सूर्यलोक में सूर्य देव का आप पैर छू रहे और वो आपको ढेर सारा आशीर्वाद दे रहे हैं। सूर्य ने ज्यों ही आपका सूक्ष्म शरीर स्पर्श किया वो भी सूर्य जैसा हो गया। अब आप और सूर्य में कोई अंतर नहीं है। यदि सूर्य यज्ञ है तो आप उस यज्ञ से प्रज्ज्वलित ज्योति बन गए हो। अब पुनः जैसे गए थे वैसे सूर्य से आशीर्वाद लेकर लौटो। अंतरिक्ष से ग्रह नक्षत्र गैलेक्सी, फिंर पृथ्वी ढूंढो, फ़िर पृथ्वी में अपना द्वीप ढूंढो, फिंर देश, राज्य और फिर स्थान में आकर अपने शरीर मे प्रवेश कर जाओ। जैसे हम अलमारी से कपड़े निकालकर पहनते हैं। वैसे ही तुम अपने शरीर को पहन लो। कल्पना करो क्योंकि तुम भी अब सूर्य की ज्योति हो तो तुम्हारा प्रकाश शरीर से बाहर आ रहा है। हज़ारो वाट का बल्ब तुम्हारे भीतर प्रकाशित हो रहा है। कुछ देर इन्हीं कल्पना में खोए रहो। फ़िर हथेली दोनों आंखों के ऊपर रखो।  हथेली को देखो। फिंर गायत्री मंत्र बोलते हुए दोनों हाथ रगड़ो और चेहरे पर लगा लो।

अब यह कल्पना नित्य अभ्यास से 6 महीने में इतनी प्रगाढ़ हो जाएगी, मन में यह चित्र इतने क्लियर बन जाएंगे कि 6 महीने बाद जब आप ध्यान करोगे तो यह सब दिखेगा और अनुभव होगा। ऐसा लगेगा मानो अभी अभी अंतरिक्ष जाकर सूर्य से ऊर्जा लेकर लौटे हो। काफ़ी उर्जावान स्वयं को महसूस करोगे।

*उदाहरण - 2* शान्तिकुंज का ध्यान

यूट्यूब में शान्तिकुंज दर्शन ओपन करो, कम से कम 5 दिन लगातार क्रमबद्ध तरीक़े से उसे देखो, उन चित्रों को दिमाग़ में स्टोर कर लो और उसमें अपनी कल्पना जोड़कर उसके लिए स्वयं की कहानी लिखो। जैसे अमुक वस्त्र पहन के अमुक समय तुम टाइम मशीन से शान्तिकुंज सुबह सुबह पहुंचे, जिस वक़्त गुरूदेव माता जी शशरीर थे। अब गुरूदेव माता जी से मिले दर्शन किये चरण छुए और ढेर सारी बातें उनसे सुनी, उनके साथ हिमालय यात्रा की। सुनसान के सहचर पढ़ सकते हो, उन दृश्यों में स्वयं को गुरुदेव के साथ अनुभव करो। नित्य 6
महीने के अभ्यास के बाद ऐसा लगेगा मानो अभी अभी गुरूदेव एवं माताजी से मिलकर आये हो। वो समस्त लाभ मिलेंगे या यूं कहो स्थूल दर्शन जिन्होंने किया उनसे भी ज्यादा लाभ तुम्हें मिलेगा। आनन्द आ जायेगा।

😇 हमारी टूर एंड ट्रैवेल एजेंसी सूक्ष्म शरीर में जहां चाहे वहाँ यात्रा करवा सकती है। धरती, हिमालय, अंतरिक्ष, सूर्यलोक एवं बैकुंठ तक जा सकती है। साथ ही टाइम ट्रैवेल की सुविधा उपलब्ध है, समय यंत्र से पीछे जाकर गुरूदेव माताजी के दर्शन संभव करवाती है।

इस यात्रा में यात्री गणों से अनुरोध है, अहंकार, ईर्ष्या, लोभ सामान लेकर न आएं और शरीर रूपी वस्त्र लेकर न आएं। श्रद्धा, भक्ति, समर्पण समान के साथ सूक्ष्म कलेवर शरीर रूपी वस्त्र ही पहनकर आएं।

ब्रह्माण्ड के ट्रैवेल एजेंट की फ़ीस - ढेर सारा हमें आशीर्वाद देना न भूलें। आशीर्वाद आप हमें व्हाट्सएप, ईमेल और फ़ेसबुक कमेंट में भी दे सकते हैं।

🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन

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2 comments:

  1. नमस्कार,

    आपके द्वारा लिखे गए ब्लॉक पोस्ट को मैं पढ़ता रहता हूं. आप से ही प्रेरणा पाकर के मैंने अल्फाबेट्स इन हिंदी के नाम से एक ब्लॉग शुरू किया हूं.

    आपके लिखने के तरीका का जितना भी तारीफ किया जाए वह कम है लेकिन आपको अपने वेबसाइट के डिजाइन पर और ज्यादा ध्यान देने की आवश्यकता है.

    कृपया आप मेरे वेबसाइट पर विजिट कीजिए, कोई कमी लगे तो कमेंट जरूर कीजिएगा.

    धन्यवाद

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  2. प्रणाम, आपका ब्लॉग अल्फाबेट्स इन हिंदी अच्छा लगा

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