प्रश्न - *दी, ज़मीन के अंदर जलस्तर लगातार कम हो रहे हैं, मेरे भाई के यहाँ 6 जगहों पर बोरवेल की खुदाई हुई असफ़ल रही। कोई आध्यात्मिक उपाय बतायें।*
उत्तर - बढ़ती ग्लोबल वार्मिंग और इंसानों द्वारा किये जा रहे प्राकृतिक संसाधनों के दुरुपयोग औऱ अंधाधुंध पेड़ की कटाई से ज़मीन के अंदर के भी जलस्त्रोत सूख रहे हैं। कुछ फ़सलें कम जलस्तर की जगह लगाना वर्जित है जैसे धान, कपास और यूकेलिप्टस के पेड़। लोग बेपरवाही में इन्हें लगाकर भी जल स्त्रोत कम कर रहे हैं।
प्राचीन भारत के ग्रामीण लोग जिनके पास आधुनिक मशीनें नहीं थीं, वो भी इतने समझदार थे कि जल है तो जीवन है।इसलिए प्रत्येक गाँव वर्षा का जल सालभर सुरक्षित रहे और पीने योग्य रहे। इस हेतु गहरा तालाब खोदते थे औऱ उस तालाब के चारों तरफ नीम, आम, जामुन, बेल, पीपल, बरगद जैसे कई प्रकार के ऐसे पेड़ लगाते थे जिनकी छाया घनी हो औऱ जिनकी नमी से जलस्रोत जल्दी सूखे नहीं। प्रत्येक ग्रामवासियों का सामूहिक योगदान गहरी तालाब की खुदाई में होता था।
लोग सामूहिक यज्ञादि द्वारा अपने घर के आसपास वर्षा का आह्वाहन करते थे, वृक्ष उनका साथ देते थे। जल स्रोत की कमी न रहती थी।
अब आज़कल के पढ़े लिखे लोग मशीनों औऱ कॉन्क्रीट के जंगल अर्थात बड़े घर बनाने में व्यस्त हैं।लेक़िन जीने के लिए वर्षा के जल का संग्रहण करने में किसी को रुचि नहीं। सोचते हैं बोरवेल लगाके अपना काम चला लेंगे, यही सबसे बड़ी भूल है।
नासा ने भारत के ज़मीन स्तर पर जल की स्थिति की जो फोटो भेजी है, वो अत्यंत डरावनी है। जल जितना चाहिए उसका केवल एक चौथाई शेष रह गया है।
अतः पुनः सब आसपड़ोस के लोगों को एकत्र करके सबके अंशदान व सहयोग से बड़े जलाशय का निर्माण कर वर्षा का जल संग्रह करें, जल संरक्षित करें।
आत्मबल से बोरवेल के लिए जलस्त्रोत का पता करने के लिए 40 दिन तक सवा लाख गायत्री मंन्त्र का अनुष्ठान करें। 108 वृक्षारोपण का सङ्कल्प लें और पृथ्वी को वादा करें कि 108 वृक्ष लगाएंगे। ततपश्चात यज्ञ करें जल स्त्रोत का पता मिलेगा।
सामूहिक प्रयोग से जलस्त्रोत का पता करने के लिए 9 दिन नित्य लगातार 12 घण्टे गायत्री मंत्र का अखण्डजप करें, नित्य 8 दिन एक कुंडीय यज्ञ करें जिसमें वरुण गायत्री मंत्र की आहुतियाँ गायत्री मंत्र के साथ दें और नवें दिन 5 कुंडीय यज्ञ करें। 108 वृक्षों के वृक्षारोपण का सङ्कल्प लीजिये औऱ पृथ्वी से वादा कीजिये। जल का अवश्य स्त्रोत मिलेगा।
कलश वाला कच्चा पानी वाला नारियल की जटा हटाकर हाथ में लेकर अपने एरिया में घूमें। कलश के नारियल के भीतर का जल लगातार अखण्डजप जप से अभिमंत्रित होगा और जमीन के नीचे जहां जल स्त्रोत होगा उसके गुरुत्वाकर्षण बल से नारियल ऊपर की ओर उठेगा। जहां नारियल उठे वहां खुदाई करें जल मिलेगा।
🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन
उत्तर - बढ़ती ग्लोबल वार्मिंग और इंसानों द्वारा किये जा रहे प्राकृतिक संसाधनों के दुरुपयोग औऱ अंधाधुंध पेड़ की कटाई से ज़मीन के अंदर के भी जलस्त्रोत सूख रहे हैं। कुछ फ़सलें कम जलस्तर की जगह लगाना वर्जित है जैसे धान, कपास और यूकेलिप्टस के पेड़। लोग बेपरवाही में इन्हें लगाकर भी जल स्त्रोत कम कर रहे हैं।
प्राचीन भारत के ग्रामीण लोग जिनके पास आधुनिक मशीनें नहीं थीं, वो भी इतने समझदार थे कि जल है तो जीवन है।इसलिए प्रत्येक गाँव वर्षा का जल सालभर सुरक्षित रहे और पीने योग्य रहे। इस हेतु गहरा तालाब खोदते थे औऱ उस तालाब के चारों तरफ नीम, आम, जामुन, बेल, पीपल, बरगद जैसे कई प्रकार के ऐसे पेड़ लगाते थे जिनकी छाया घनी हो औऱ जिनकी नमी से जलस्रोत जल्दी सूखे नहीं। प्रत्येक ग्रामवासियों का सामूहिक योगदान गहरी तालाब की खुदाई में होता था।
लोग सामूहिक यज्ञादि द्वारा अपने घर के आसपास वर्षा का आह्वाहन करते थे, वृक्ष उनका साथ देते थे। जल स्रोत की कमी न रहती थी।
अब आज़कल के पढ़े लिखे लोग मशीनों औऱ कॉन्क्रीट के जंगल अर्थात बड़े घर बनाने में व्यस्त हैं।लेक़िन जीने के लिए वर्षा के जल का संग्रहण करने में किसी को रुचि नहीं। सोचते हैं बोरवेल लगाके अपना काम चला लेंगे, यही सबसे बड़ी भूल है।
नासा ने भारत के ज़मीन स्तर पर जल की स्थिति की जो फोटो भेजी है, वो अत्यंत डरावनी है। जल जितना चाहिए उसका केवल एक चौथाई शेष रह गया है।
अतः पुनः सब आसपड़ोस के लोगों को एकत्र करके सबके अंशदान व सहयोग से बड़े जलाशय का निर्माण कर वर्षा का जल संग्रह करें, जल संरक्षित करें।
आत्मबल से बोरवेल के लिए जलस्त्रोत का पता करने के लिए 40 दिन तक सवा लाख गायत्री मंन्त्र का अनुष्ठान करें। 108 वृक्षारोपण का सङ्कल्प लें और पृथ्वी को वादा करें कि 108 वृक्ष लगाएंगे। ततपश्चात यज्ञ करें जल स्त्रोत का पता मिलेगा।
सामूहिक प्रयोग से जलस्त्रोत का पता करने के लिए 9 दिन नित्य लगातार 12 घण्टे गायत्री मंत्र का अखण्डजप करें, नित्य 8 दिन एक कुंडीय यज्ञ करें जिसमें वरुण गायत्री मंत्र की आहुतियाँ गायत्री मंत्र के साथ दें और नवें दिन 5 कुंडीय यज्ञ करें। 108 वृक्षों के वृक्षारोपण का सङ्कल्प लीजिये औऱ पृथ्वी से वादा कीजिये। जल का अवश्य स्त्रोत मिलेगा।
कलश वाला कच्चा पानी वाला नारियल की जटा हटाकर हाथ में लेकर अपने एरिया में घूमें। कलश के नारियल के भीतर का जल लगातार अखण्डजप जप से अभिमंत्रित होगा और जमीन के नीचे जहां जल स्त्रोत होगा उसके गुरुत्वाकर्षण बल से नारियल ऊपर की ओर उठेगा। जहां नारियल उठे वहां खुदाई करें जल मिलेगा।
🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन
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