प्रश्न - *देहधारी और अदेहधारी गुरु मे अंतर बतायें यह भी समझाये कि अदेहधारी गुरु से कैसे संपर्क किया जाय?*
उत्तर - आत्मीय भाई, जब सद्गुरु सशरीर विद्यमान हों औऱ सांसारिक गतिविधियों का पालन करते हुए युगनिर्माण कर रहे हों औऱ शिष्यों की आत्मचेतना का जागरण कर रहे हों, ऐसे सद्गुरु देहधारी सद्गुरु कहलाते हैं।
जब यही देहधारी सद्गुरु विभिन्न सूक्ष्मीकरण साधना द्वारा अपने सूक्ष्म शरीर को साध लेते हैं। अपनी चेतना को परमात्म चेतना से एकाकार कर लेते हैं और स्वेच्छा से स्थूल देह का त्याग करके जागृत सूक्ष्म तरंगों से युक्त सूक्ष्मशरीर में सूक्ष्मजगत में रहने लगते हैं। सूक्ष्म शरीर में रहते हुए आत्मचेतना का विस्तार करते हैं, सूक्ष्म संशोधन एवं युगनिर्माण कर रहे हों औऱ शिष्यों की आत्मचेतना का जागरण कर रहे हों, ऐसे सूक्ष्मशरीर धारी सद्गुरु को अदेहधारी सद्गुरु कहलाते हैं।
सूक्ष्मशरीर धारी सद्गुरु से सम्पर्क साधना श्रद्धा एवं विश्वास के सहारे बहुत आसान है। ध्यान का अभ्यास कीजिए औऱ सद्गुरु के श्रीचरणों का सतत ध्यान कीजिये। आपके प्रश्नो के उत्तर गुरुचेतना आपके भीतर ही देने लग जायेगी। आपका संवाद गुरुचेतना से होने लगेगा।
सूर्य अगर न भी दिख रहा हो तो उसकी रौशनी बता देती है कि सूर्योदय हो गया है। इसीतरह अदेहधारी सद्गुरु स्थूल नेत्रों से न भी दिख रहा तो भी आपके अन्तःकरण की शांति और ज्ञान का प्रकाश यह अनुभूति करवा देता है कि गुरुचेतना से सम्पर्क हो गया है।
युगऋषि की अदेहधारी चेतना से सम्पर्क निम्नलिखित उपाय से करें:-
1- पूजन स्थल पर शांतचित्त होकर बैठ जाएं
2- अब जिस प्रश्न का समाधान चाहते हो उसे सोचो
3- अब भक्तिपूर्वक गुरु का चिंतन करो और आह्वाहन करो। स्वयं की चेतना का गुरु चेतना से योग कीजिये।
4- गायत्री मंत्र 11 बार जपो
5- कम से कम 5 से 10 बार अपने सर पर हाथ फेरिये
6- अब आतिजाती श्वांस पर ध्यान केंद्रित कीजिये, निर्विचार हो जाइये औऱ श्वांस पर ध्यान केंद्रित कीजिये।
7- पहला जो उत्तर अंतर्जगत में उभरेगा वो सद्गुरू का उत्तर होगा।
🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन
उत्तर - आत्मीय भाई, जब सद्गुरु सशरीर विद्यमान हों औऱ सांसारिक गतिविधियों का पालन करते हुए युगनिर्माण कर रहे हों औऱ शिष्यों की आत्मचेतना का जागरण कर रहे हों, ऐसे सद्गुरु देहधारी सद्गुरु कहलाते हैं।
जब यही देहधारी सद्गुरु विभिन्न सूक्ष्मीकरण साधना द्वारा अपने सूक्ष्म शरीर को साध लेते हैं। अपनी चेतना को परमात्म चेतना से एकाकार कर लेते हैं और स्वेच्छा से स्थूल देह का त्याग करके जागृत सूक्ष्म तरंगों से युक्त सूक्ष्मशरीर में सूक्ष्मजगत में रहने लगते हैं। सूक्ष्म शरीर में रहते हुए आत्मचेतना का विस्तार करते हैं, सूक्ष्म संशोधन एवं युगनिर्माण कर रहे हों औऱ शिष्यों की आत्मचेतना का जागरण कर रहे हों, ऐसे सूक्ष्मशरीर धारी सद्गुरु को अदेहधारी सद्गुरु कहलाते हैं।
सूक्ष्मशरीर धारी सद्गुरु से सम्पर्क साधना श्रद्धा एवं विश्वास के सहारे बहुत आसान है। ध्यान का अभ्यास कीजिए औऱ सद्गुरु के श्रीचरणों का सतत ध्यान कीजिये। आपके प्रश्नो के उत्तर गुरुचेतना आपके भीतर ही देने लग जायेगी। आपका संवाद गुरुचेतना से होने लगेगा।
सूर्य अगर न भी दिख रहा हो तो उसकी रौशनी बता देती है कि सूर्योदय हो गया है। इसीतरह अदेहधारी सद्गुरु स्थूल नेत्रों से न भी दिख रहा तो भी आपके अन्तःकरण की शांति और ज्ञान का प्रकाश यह अनुभूति करवा देता है कि गुरुचेतना से सम्पर्क हो गया है।
युगऋषि की अदेहधारी चेतना से सम्पर्क निम्नलिखित उपाय से करें:-
1- पूजन स्थल पर शांतचित्त होकर बैठ जाएं
2- अब जिस प्रश्न का समाधान चाहते हो उसे सोचो
3- अब भक्तिपूर्वक गुरु का चिंतन करो और आह्वाहन करो। स्वयं की चेतना का गुरु चेतना से योग कीजिये।
4- गायत्री मंत्र 11 बार जपो
5- कम से कम 5 से 10 बार अपने सर पर हाथ फेरिये
6- अब आतिजाती श्वांस पर ध्यान केंद्रित कीजिये, निर्विचार हो जाइये औऱ श्वांस पर ध्यान केंद्रित कीजिये।
7- पहला जो उत्तर अंतर्जगत में उभरेगा वो सद्गुरू का उत्तर होगा।
🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन
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