Sunday, 23 June 2019

प्रश्न -117 - *यग्योपैथी में यदि प्राणाकर्षण और डीप ब्रीथिंग द्वारा यग्योपैथी इलाज करना है तो क्या सावधानियां बरतनी चाहिए, जिससे औषधीय धूम्र का अधिक लाभ मिले?*

प्रश्न -117 - *यग्योपैथी में यदि प्राणाकर्षण और डीप ब्रीथिंग द्वारा यग्योपैथी इलाज करना है तो क्या सावधानियां बरतनी चाहिए, जिससे औषधीय धूम्र का अधिक लाभ मिले?*

उत्तर - औषधीय धूम्र के उचित निर्माण औऱ अतिरिक्त कार्बन के शमन के लिए निम्नलिखित सावधानियां बरतें:-

1- आम की लकड़ी धुली हुई होनी चाहिए या गौमय समिधा सुखी हुई लें
2- हवन सामग्री और घी का रेशियो 3:1 का होना चाहिए
3- हवनकुण्ड के चारो तरफ खुले बर्तन में जल रखें, कार्बन नीचे की तरफ़ पहले फैलती है और जिसे जल सोख लेता है। यह जल पौधों के लिए अमृत का कार्य करता है।
4- हवन में आहुति स्वाहा शब्द के दौरान ही डालें जिससे हवन का सूक्ष्मीकरण व ऑक्सीकरण प्रक्रिया उत्तम तरीक़े से हो सके।
5- आहुतियाँ समाप्त होने पर, घृतावघ्राणम् और भष्मधारण के ततपश्चात कम से कम 5 प्राणायाम और अधिक से 15 मिनट तक करें। मेरुदण्ड सीधा रखें व नेत्र बन्द रखे।
6- विचार(thought) से भावनाएं(emotion) , और भावनाओं से अच्छे स्वास्थ्यकर हार्मोन्स का रिसाव और उन हार्मोन्स से तन एवं मन के स्वास्थ्य का निर्माण होता है। अतः प्राणायाम करते वक़्त *हम पूर्ण स्वस्थ हो रहे हैं* यह विचार अवश्य करें।
7- दवा और दुआ विश्वास पर असर करती है। जितना गहरी श्रद्धा एवं विश्वास यज्ञ देवता पर करेंगे उतनी जल्दी स्वास्थ्य लाभ पाएंगे।

🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन

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