Tuesday, 9 July 2019

प्रश्न - *श्वेता, मेरे पति मुझसे तलाक़ लेना चाहते हैं, 50+ उम्र में किसी और से विवाह करना चाहते हैं। हमारे बच्चे बड़े हो गए हैं और ग्रेड्यूएशन कर रहे हैं। कोर्ट में तलाक की कार्यवाही भी उन्होंने शुरू कर दी है। समझ नहीं आ रहा क्या करूँ? मार्गदर्शन करो कि मैं ऐसे में क्या करूँ।*

प्रश्न - *श्वेता, मेरे पति मुझसे तलाक़ लेना चाहते हैं, 50+ उम्र में किसी और से विवाह करना चाहते हैं। हमारे बच्चे बड़े हो गए हैं और ग्रेड्यूएशन कर रहे हैं। कोर्ट में तलाक की कार्यवाही भी उन्होंने शुरू कर दी है। समझ नहीं आ रहा क्या करूँ? मार्गदर्शन करो कि मैं ऐसे में क्या करूँ।*

उत्तर - आत्मीय दी, सबसे पहले तो धैर्य पूर्वक अपने इस दुःखद अनुभूति से बाहर आइये।

👉🏼 *सांसारिक उपाय*

जैसे खिलाड़ी अपने खेल की सीडी चलाता है, देखता है कि कहाँ कब उसने सही खेला और कहाँ कब उसने गलत खेला। अपने खेल का एनालिसिस करता है। वैसे ही ठंडे दिमाग़ से अपने जीवन के विवाह से आज़तक के प्रत्येक वर्ष को गहराई से सोचिए। एक निष्पक्ष न्यायाधीश की तरह, एक दृष्टा की तरह जीवन का अवलोकन करके देखिए कि वर्तमान में तलाक़ के वृक्ष का बीजारोपण कब और कैसे हुआ? एक दिन की वर्षा में बाढ़ नहीं आती। कई दिन की वर्षा बाढ़ लाती है।

ईमानदारी से निष्पक्ष भाव से स्वयं की एवं पतिदेव की गलतियों और अच्छाइयों की लिस्ट बनाइये।

जब डेटा तैयार हो जाये, तो यदि पति की गलतियों की सूची बड़ी निकले, पति की चारित्रिक कमज़ोरी मूल कारण निकले। तो स्वयं से पूँछिये कि मैंने जिस पति के लिए ईमानदारी से प्रेम किया, इसकी सेवा की, घर गृहस्थी सम्हाली। यदि यह इसके बाद भी मुझे छोड़कर जाना चाहता है, तो इसे कुछ कहने का कोई फ़ायदा नहीं। बच्चों के व स्वयं के भरण पोषण का खर्च का दावा उनपर कीजिये, जिम्मेदारी का निर्वहन उन्हें करना होगा चाहे वो तलाक लें या नहीं।  उन्हें तलाक़ दे दीजिए।

यदि पति का किसी अन्य लड़की से सम्पर्क व प्रेम है। तो उन्हें तलाक दे दें। 50+ उम्र का व्यक्ति मैच्योर होता है, अतः पति को किसी लड़की ने प्रेम ज़ाल में फंसा लिया यह कहना मूर्खता है। आपके पति असंयमी व पोर्न वीडियो देखते होंगे तभी वह किसी अन्य लड़की के सम्पर्क में आये हैं। अन्यथा इस मैच्योर उम्र में पतन मार्ग एक्स्ट्रा मैरिटल अफ़ेयर पर न चलते। बुद्धि भ्रष्ट हो गयी है।

उसे कोई आसानी से बेवक़ूफ़ नहीं बना सकता, जो चैतन्य व जागरूक हो। यदि आपकी किसी भूल के कारण यह तलाक की नौबत आई है। तो बिना सकुचाये वीरता पूर्वक उसे स्वीकार करते हुए उनसे माफ़ी मांग लीजिये। माफ़ी मांगने से कोई छोटा नहीं होता। घर गृहस्थी और बच्चो के लिए वीरता का परिचय देते हुए माफ़ी मांगकर दोबारा नए सिरे से इस रिश्ते को मौका देने का अनुरोध कीजिये। यदि वो अपनी जिद न छोड़े तो उन्हें तलाक़ दे दीजिए।

👉🏼 *आध्यात्मिक उपाय - पुण्य से प्रारब्ध नष्ट करें, सबकुछ ठीक करें*

हम सब अकेले जन्में थे और अकेले ही मरेंगे। वस्तुतः हमारी जीवन यात्रा में जीवनसाथी हमारे हमसफ़र के रूप में पूर्व जन्म के लेन देन के हिसाब से मिलते हैं। यदि जीवनसाथी पूर्वजन्म का कर्जदार है तो इस जन्म में वो हमारी जी हुजूरी करेगा। लेकिन यदि हम जीवनसाथी के पूर्वजन्म के कर्जदार है तो हम उसकी जी हुजूरी करेंगे। जीवनसाथी और हम पूर्वजन्म के मित्र होंगे तो इस जन्म में हम लवर बन के एक दूसरे से प्रेम करेंगे। यदि पूर्व जन्म के दुश्मन होंगे तो दिन रात लड़ेंगे।  ट्रेन की पटरियों की तरह साथ होते हुए भी कभी मन से एक न हो सकेंगे।

इस संसार मे कोई भी आत्मा हमें बेवज़ह कष्ट नहीं दे सकती। कोई न कोई वजह जरूर होती है वो चाहे इस जन्म की हो या पिछले जन्म की। परमात्मा न्यायकारी है किसी के साथ कभी गलत नहीं करता। जो कुछ भी हमारे साथ घटित होता है, उसके लिए हम स्वयं जिम्मेदार है।

आपके पति की आत्मा से आपका विरोधी और कटुता स्वभाव हटाकर और मित्रभाव उपजाने के लिए आध्यात्मिक उपाय से कितना वक्त लगेगा यह कह नहीं सकते। क्योंकि प्रारब्ध का जितना गहरा गड्ढा होगा उसे भरने के लिए उससे ज़्यादा पुण्य की मिट्टी चाहिए।

अब पेन कॉपी लेकर बैठिए और स्वयं के लिए लिस्ट बनाइये कि जीवन मे आपने कितने निःश्वार्थ पुण्य किये हैं। देखिए द्रौपदी की मदद करने से पहले कृष्ण भगवान ने उनका पुण्य अकाउंट चेक किया था। जिसमें मुसीबत में फंसे साधू जिसके नदी में वस्त्र बह गए थे उसको आधी साड़ी फाड़कर दान दिया था, कृष्ण की उंगली कटने पर चुनरी फाड़कर बांधा था, नित्य आसपास के गरीब, पीड़ित एवं साधु संतों की सेवा व भोजन करवाती थीं। नित्य सूर्य उपासना करती थी। तब उन्हें मदद मिली थी। इसी तरह आप अपने समस्त आजतक जितने पुण्य आपने किये हैं निःश्वार्थ परोपकार भावना से उसे लिख डालिये। जल लेकर सङ्कल्प कीजिये कि आजतक किये समस्त पुण्यफ़ल को मैं मेरे विवाहित जीवन को बचाने के लिए अर्पित करती हूँ। साथ ही सवा लाख गायत्री मंत्र का अनुष्ठान कीजिये, और सरकारी गरीब बच्चों के स्कूल में जाकर उन्हें पढ़ाईये। उनके बीच क्विज रखिये और उन्हें पुरस्कार में बिस्किट, पेन, पेंसिल दान में दीजिये।

7 पीपल, 7 बट और 7 आम के वृक्ष लगाइये। उन्हें जल दीजिये।

जैसे जैसे आपके जीवन मे पुण्य का ग्राफ़ बढ़ेगा, सबकुछ स्वतः ठीक होने लगेगा।

👉🏼 *आध्यात्मिक उपाय - भक्ति भाव साधना से मनःस्थिति ठीक करके परिस्थिति ठीक कीजिये*

👉🏼मन ही मन पतिदेव को बोलिये, मैं आपकी मित्र हूँ और आप मेरे मित्र है। मैं आपसे बेहद प्रेम करती हूँ। मैं भगवान से प्रार्थना करती हूँ कि आप सदा सुखी रहे। आप मुझे मेरे दुर्व्यवहार और गलतियों के लिए क्षमा कर दें, मैं आपको आपके दुर्व्यवहार और गलतियों के लिए क्षमा करती हूँ। हमेशा उनसे जब भी मिले बिना किसी राग द्वेष के मित्रवत व्यवहार करें। मैं आपके प्रेम में आपकी खुशी के लिए इन कागजों पर साइन कर देती हूँ। लेकिन इन कागज के टुकड़ों से मेरा आपसे रिश्ता टूटेगा नहीं, अपितु और मजबूत होगा। आपके अंतर्मन का प्रेम उनके मन के घृणा द्वेष को परास्त कर देगा।
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👉🏼 *एक कहानी से समझें* - एक राजा की मृत्यु पूर्णिमा के दिन सर्प के काटने से होगा ऐसा राज ज्योतिषी ने बताया। यह भी बताया कि पिछले जन्म की दुश्मनी का यह परिणाम है। आपने उसका अनिष्ट किया था, इस जन्म में वह बदला लेगा।

राजा के मंत्री व सिपाही सर्प को मारने की योजना बनाने लगे। जबकि राजा ने दुश्मनी खत्म करने की सोच रहा था। उसने आदेश दिया, कि आगामी पूर्णिमा के दिन कोई सर्प बध नहीं करेगा, जहां कहीं भी बिल हो वहाँ दूध रखो। पूरे रास्ते सर्प के स्वागत की तैयारी की गई। बोले वो ससम्मान मुझे काटना चाहिए। इस मृत्यु के साथ सर्प से जन्मजन्मांतर की दुश्मनी खत्म करना चाहता हूँ। सर्प रात को बिल से निकला मीठा दूध रखा था उसने पिया, जहाँ देखो उसे देख के लोग फूल वर्षा करते। महल तक पुष्प बिछे थे, पूरे रास्ते इतने स्वागत से मन प्रशन्न हो गया। अब जब महल में सांप पहुंचा वहां भी मीठा दूध और भोजन की व्यवस्था थी। राजा ने पुष्प वर्षा की और बोला मैं प्रस्तुत हूँ मुझे काटो मेरा प्राण हर लो। मैं आपको वचन देता हूँ कि मेरी मृत्यु के बाद कोई आपको मारेगा नहीं। मेरी मृत्यु के बाद यह दुश्मनी खत्म कर दीजिए।

सर्प की दुश्मनी समाप्त हो चुकी थी, सर्प ने कहा मित्र जब शत्रुता ही नहीं रही मेरे अंदर, क्रोध समाप्त हो गया। तो अब मैं तुम्हे नहीं डस सकता। वह लौट गया।
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👉🏼जब पिछले जन्म के दुश्मन सर्प का हृदय बदल सकता है, तो पति के हृदय में आपके प्रेम सम्मान से बदलाव क्यों नहीं आ सकता? सच्चा निःश्वार्थ प्रेम करके तो देखो, बदले में कुछ पाने की चाह मत करो। भगवान की स्थापना मन ही मन पति में करके उसकी सेवा को भगवान की सेवा मान लो।

बहन जैसे विचार व भावनाएं आप हृदय की गहराई से करेंगी, वैसे ही तरंगे आसपास वातावरण में फैलेगी। वैसा ही सबकुछ आपके आसपास घटने लगेगा।
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जब आप पति से कुछ चाहेगी, बदले में पति भी आपसे बहुत कुछ चाहेगा। आप निःश्वार्थ प्रेम लुटाएंगी, सेवा करेंगी। तो बदले में कभी न कभी वह प्रेम आप तक लौट कर आएगा। निःश्वार्थ प्रेम आप पर लुटायेगा। घर एक मन्दिर और गृहस्थ प्रेममय- आनन्दमय हो जाएगा। भगवान हो या इंसान निःश्वार्थ प्रेम उसे वश में कर सक़ता है।

🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन

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