Tuesday, 30 July 2019

प्रश्न - *क्या युवतियों और युवाओं का आधुनिक कपड़े और फ़ैशन करना ग़लत है? क्या मेकअप करना ग़लत है? सौंदर्यीकरण के लिए आपकी क्या राय है दी?*

प्रश्न - *क्या युवतियों और युवाओं का आधुनिक कपड़े और फ़ैशन करना ग़लत है? क्या मेकअप करना ग़लत है? सौंदर्यीकरण के लिए आपकी क्या राय है दी?*

उत्तर - आत्मीय बेटी, सौंदर्यीकरण के लिये मेरी एक राय है, जो आदिकाल से शिव-शक्ति के लिए बोला जाता है  - *सत्यम, शिवम, सुंदरम*

1- जिसके आचरण में सत्य है और जो झूठ फ़रेब नहीं है।

2- जो शिव की तरह कल्याणकारी व लोकसेवी है और अशिव तत्त्वों (अनीति, काम, क्रोध, मद, लोभ, दम्भ) से परे है।

3- जिसका हृदय प्रेम, सेवा, सद्भावना, सम्वेदना और आत्मियता से लबालब भरा है।

वास्तव में ऐसा वही सुंदर है, वही दिव्य है, वही मानव कहलाने योग्य है।
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सुंदरता का तात्पर्य किसी दैहिक या प्राकृतिक सौंदर्य से नहीं है। वह तो क्षणभंगुर है। बचपन से वृद्धावस्था तक बदल रहा है। सुंदरता वास्तव में पवित्र मन, कल्याणकारी आचार और सुखमय व्यवहार है। इस सुंदरता का चिरंतन स्रोत शिवत्व गुण अर्थात गुण, कर्म एवं स्वभाव ही है।

इस सत्य को ज्ञान, बुद्धि एवं विवेक से समझा व जा सकता है।  हम भी तो किसी का सम्मान उसके गुणों, वह क्या करता है तथा उसका स्वभाव कैसा  है इस आधार पर ही तो करते हैं। एक सुंदर फैशन किये लड़की और एक सादे वस्त्र में कलेक्टर लड़की में आप किसको सम्मान देंगे? कलेक्टर को है न.. क्या आप सहमत नहीं है?

रूप की जगह गुण संचय पर वक्त खर्च कीजिये, महान बनेंगे व सम्मान पाएंगे। मोमबत्ती की इज्जत प्रकाश से होती है उसके कलरफ़ुल होने से नहीं होती। पेंसिल का अंदर के ब्लैक लेड कागज पर इम्पेक्ट डालता है, पेंसिल का बाह्य सौन्दर्य नहीं। अतः अंतरंग के सौंदर्यीकरण पर ध्यान दीजिए, बाहर स्वयंमेव लाभ होगा।
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*उचित फ़ैशन निम्नलिखित है:-*

👉🏼 चेहरे से अनावश्यक बाल हटाना वो चाहे दाढ़ी मूँछ हो या आईब्रो(भौंह) का हो। सर्वदा उचित है। सर के बालों की आवश्यक काट-छांट उचित है।

👉🏼 चेहरे व शरीर की आवश्यक साफ-सफ़ाई, चेहरे व शरीर की मालिश सरसों के तेल या आयुर्वेदिक क्रीम से रक्त संचार के लिए उचित है।

👉🏼वस्त्र जो आरामदायक व स्वस्थकर हो और कटे-फटे न हो वो उचित है।

👉🏼जूते चप्पल आरामदायक और स्वास्थ्यकर उचित है।

👉🏼 शरीर को स्वस्थ व सुंदर बनाने के लिए योग-व्यायाम उचित है।स्वस्थ शरीर ही सुंदरता का परिचायक है।

👉🏻 ध्यान में उगते सूर्य के 15 मिनट नित्य ध्यान से चेहरे की कांति व ओज बढ़ जाता है। ध्यान में पूर्णिमा के चांद के ध्यान से चेहरे में आकर्षण उत्तपन्न होता है।


*आईए अब अनुचित व अभद्र फैशन व मैकअप के बारे में समझते हैं*

👉🏼 शरीर का रंग बदलने वाला कोई भी डार्क मैकअप अप्राकृतिक व अनुचित है। चेहरे पर रंगों का प्रयोग न करें।

👉🏼 ऐसे वस्त्र जो किसी की काम इच्छाओं को भड़काएं, उन्हें पहनना अनुचित है। आप जिनके साथ स्कूल कॉलेज में पढ़ते हैं या ऑफिस में जॉब करते हैं वो कोई सिद्ध साधक व ब्रह्मचारी नहीं है। वो सभी कमज़ोर मानसिकता के असंयमी लोग है। आपके वस्त्र-परिधान-मैकअप यदि उन्हें कामोत्तेजक भावनाएं उतपन्न करने में मदद कर रहा है, तो दोषी आप होंगी या होंगे।

👉🏼 हम केवल शरीर से सांस नहीं लेते, हमारे समस्त रोम छिद्र एवं नाखून भी श्वांस लेते हैं। यदि किसी के शरीर को वैक्स या चासनी इस तरह कवर कर दिया जाय कि रोमछिद्र से व सांस न ले सके तो नाक खुली होने के बावजूद व दमघुटने से 6 घण्टे के अंदर मर जायेगा। अतः यदि कोई ऐसी क्रीम जो गाढ़ी हो वो आप शरीर व चेहरे पर लगा रहे हैं जो रोम छिद्र को सांस लेने में बाधा पहुंचा रहे, वो आपको विभिन्न चर्म रोग, रक्त सम्बन्धी रोग, हृदय रोग और फेफड़ों के रोग को आमंत्रण देंगे।

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गुलाब का फूल या अन्य कोई फूल, जीव वनस्पति में जो जैसा है, वैसा रहता है और प्राकृतिक रूप से सुंदर लगता है।

मनुष्य ने सभ्यता विकसित किया और ऋषियों ने रिसर्च करके पाया कि मनुष्य की सेंसटिव चमड़ी ठण्ड, गर्मी, बरसात में बिना वस्त्रों के सुरक्षित नहीं है। स्थान विशेष की जलवायु के अनुसार वस्त्र का निर्माण हुआ। ठंड प्रदेश में गले बन्द, टाइट व गर्म कपड़े उपयोग में लिए गए। तथा गर्म प्रदेश में सूती व रेशम के कपड़े उपयोग में लिए गए, जो पसीने को आरपार होने दें, हवादार हों जिससे रोम छिद्र श्वांस ले सके।

वस्त्र विज्ञान व ज्योतिष के अनुसार फ़टे व छेद युक्त कपड़े अशुभ होते हैं, नकारात्मकता और मानसिक अशांति को बढ़ाते हैं।

नकल + अक्ल = सफल

युवा - युवतियां टीवी या फ़िल्म एक्टर से प्रभावित होकर अभद्र व कामोत्तेजक कपड़े फैशन के नाम पर पहन कर घूमते हैं। लेक़िन अक्ल का प्रयोग नहीं करते और परेशानी का कारण बनता है।

*इसे कहानी के माध्यम से समझते हैं*, 👉🏼 एक नमक का बोरा पीठ पर लिए घोड़ा था और रुई पीठ पर लिए गधा था। घोड़ा पानी में घुसा और नमक गल गया। वो ख़ुश हुआ। गधे ने सोचा जल में घुसने से सुख मिलता है, तभी तो घोड़ा ख़ुश हुआ। बिना विवेक बुद्धि का प्रयोग किये व जल में प्रवेश कर गया, और रुई पानी भरने से भारी हो गयी। मूर्खता में गधे को क़ीमत चुकानी पड़ी।

यही हाल हमारे देश की युवतियों और युवक का है। गधे की तरह विवेक का फिल्टर प्रयोग नहीं करते।  स्वयं से प्रश्न नहीं करते  कि इस फैशन से मुझे क्या लाभ होगा? कुछ दोस्तों की कमेंट के लिए कामोत्तेजक अभद्र फैशन जरूरी है?

हीरो-हिरोइन सुरक्षित वातावरण में है, कामोत्तेजक वस्त्र और अंग प्रदर्शन के उन्हें पैसे मिलते हैं। समाज शास्त्र में हीरो-हीरोइन को इज्जतदार वैश्या कहा जाता है, जो पैसे कमाने के लिए अर्धनग्न होकर कामोत्तेजक नृत्य या अभिनय करते हैं। वो गाड़ी में सुरक्षा गार्ड के साथ घूमते हैं।

लेक़िन गधी लड़कियां व गधे लड़के बिना विवेक का प्रयोग किये, बिना किसी लाभ के नकल करके कामोत्तेजक अर्द्धनग्न वस्त्र पहनकर पैदल रोड पर घूमती/घूमते है, स्कूल कॉलेज और ऑफिस जो कि सर्वथा असुरक्षित है वहां जाती/जाते हैं। परेशानी का सबब बनते हैं।

👉🏼 *सभ्य वस्त्र के साथ सभ्य व श्रेष्ठ विचार ही सुरक्षित हैं। यदि सभ्य वस्त्र है लेक़िन असभ्य व कामोत्तेजक विचार मन में चल रहे हैं तो भी कामोत्तेजक औरा बनेगा, और परेशानी का सबब बनेगा।*

👉🏼 *अतः सभ्य वस्त्र के साथ श्रेष्ठ विचार धारण करें।* 👈🏻

🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन

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