प्रश्न - *दी, इच्छाशक्ति (Willpower) किसे कहते हैं? इच्छाशक्ति बढ़ाने और इच्छाशक्ति से प्रतिभा सम्वर्धन(Talent Promotion ) के विज्ञान सम्मत प्रयोग बताइये।*
उत्तर- आत्मीय भाई,
*मनोविज्ञान के सन्दर्भ में इच्छाशक्ति या संकल्प (विल / Will या Volition) वह संज्ञानात्मक प्रक्रम है जिसके द्वारा व्यक्ति किसी कार्य को किसी विधि का अनुसरण करते हुए करने का प्रण करता है। संकल्प मानव की एक प्राथमिक मानसिक क्रिया है।* इसके अलावा प्रभावन (affection), अभिप्रेरण (motivation), अभिज्ञान (cognition या thinking) भी मानव के प्राथमिक मानसिक क्रियाएँ हैं।
इच्छाशक्ति की दृढ़ता विचारों की गहराई से आती है,
What- क्या प्राप्त करने की इच्छा है?
Why- क्यों चाहिए है?
When- कब तक चाहिए?
How- कैसे इसे हासिल करेंगे? पूरी विधि-नियम मष्तिष्क में क्लियर होने चाहिए।
इच्छा मात्र आकांक्षा होती है, उसका कोई वजूद नहीं होता।
लेकिन जब किसी इच्छा को क्रियान्वित करने में सङ्कल्प बल जुड़ जाता है, उस इच्छा की पूर्ति में विचार शक्ति और साधन शक्ति के साथ इंसान जुट पड़ता है। तब वह इच्छा मानवीय विचारणा,क्षमता, योग्यता, कर्मणा शक्ति के संयुक्त प्रयोग से इच्छाशक्ति (willpower) बन जाती है। असम्भव भी तब संभव हो जाता है।
*उदाहरण* - बरगद का एक बीज अपने अंदर विशाल वृक्ष को छुपाये रहता है । जब भी उसे अवसर मिलता है वह अपनी छुपी संपत्ति को प्रगट कर देता है । *बरगद के बीज में एक विशाल वृक्ष उत्पन्न की करने की सुप्त शक्ति है , लेकिन कई बार बीज नष्ट हो जाते हैं ,उनका अंकुर निकलते ही झुलस जाता है या कुछ बढ़ाने पर पौधा मुरझा जाता है, यह बीज की अयोग्यता नही बल्कि उत्पादन क्रिया की त्रुटि है* । इसी प्रकार असंख्य जीव अपनी संभावनाओं से अनजान दुखी और नारकीय जीवन बिताते रहते हैं । जो लोग इच्छा तो करते हैं पर उसे प्राप्त करने में शक्ति साधन न लगाने पर अपेक्षित फल नहीं मिलता।
जीव चैतन्य है और उसका पोषण अनंत चेतना करती है, इसलिए उसके अंदर वह सुप्त शक्ति है वह अपनी सम्भावना को सर्व शक्तिमान के सत्तर तक उठा सके ।
जो जैसा बनना चाहता है वैसा बन जाता है । इसका रहस्य मन में उठने वाली इच्छा से आरम्भ होता है । मन का धर्म इच्छाएं उत्पन्न करना है । मन में कोई इच्छा उठी , शीघ्र ही मन की सेविका कल्पना शक्ति उस इच्छा का एक मानसिक चित्र रच देती है , एक कल्पना चित्र मानस पटल पर बन जाता है । यदि मन की इच्छा निर्बल हुई तो वह कल्पना चित्र कुछ क्षणों बाद ही अवचेतन मन की परतों में विलीन हो जाएगा, लेकिन यदि वह इच्छा बलवती हुई तो मन की विद्युत धारा चारो और उड़ उड़ कर अनुकूल वातावरण की तैयारी में लग जायेगी । बलवती इच्छा शक्ति अब बुद्धि को सक्रिय करेगी । अब बुद्धि में उस कल्पना चित्र के प्रप्ति के लिए तरकीबें उठेंगीं , संकटों का मुकाबला करने लायक योग्य शक्ति पैदा होगी और ऐसी ऐसी गुप्त सुविधाएं उपस्थित होगी जिनसे अब तक हम अनजान थे । जब तन मन धन से इच्छा प्राप्ति में जुट पड़ेंगे तो अपेक्षित लाभ मिल जाता है।
ब्रह्माण्ड का नियम है की तत्व जितने जितने सूक्ष्म होते जायंगे उसमें निहित शक्ति उतनी ही बढ़ती जायेगी । विचार से सूक्ष्म इच्छा है और इच्छा से अधिक सूक्ष्म और शक्ति शाली संकल्प है । विचार शक्ति को इच्छा शक्ति और कालांतर में संकल्प शक्ति में परिवर्तित करके जीव जो जो बनना चाहता है बन सकता है जो जो प्राप्त चाहता है प्राप्त कर सकता है ।
👉🏼 *इच्छाशक्ति संवर्धन के विज्ञान सम्मत प्रयोग*
1- नित्य गायत्री मंत्र जप एवं उगते सूर्य का ध्यान
2- स्वसंकेत (Autosuggestion)
3- सूर्य की रंगीन किरणों और वातावरण का ध्यान
4- प्राणाकर्षण प्राणायाम
5- सूर्यबेधन प्राणायाम
6- चुम्बक स्पर्श
7- प्राणवान व्यक्तियों का सान्निध्य, उनके साथ सत्संग
8- प्राणवान व्यक्तियों के लिखे मोटिवेशनल साहित्य का नित्य स्वाध्याय
9- नादयोग
10- प्रायश्चित साधना (चन्द्रायण/मासपारायण साधना)
11- अंकुरों का कल्क एवं वनौषधियों(ब्राह्मी, शंखपुष्पी, जटामासी इत्यादि) का सेवन
12- यज्ञ चिकित्सा
13- दर्पण साधना
14- मष्तिष्क एवं कंधों की हल्के हाथ से मालिश
15- अन्तःत्राटक
*युगऋषि द्वारा लिखित निम्नलिखित पुस्तक पढें और अधिक जानकारी के लिए*:-
📖 सङ्कल्प शक्ति की प्रचण्ड प्रक्रिया
📖विचारों की सृजनात्मक शक्ति
📖प्रतिभा संवर्धन के विज्ञान सम्मत प्रयोग
📖बुद्धि बढ़ाने की वैज्ञानिक विधि
📖अधिकतम अंक कैसे पाएं
📖व्यक्तित्व विकास की उच्च स्तरीय साधनाएं
📖युग की माँग प्रतिभा परिष्कार
🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन
उत्तर- आत्मीय भाई,
*मनोविज्ञान के सन्दर्भ में इच्छाशक्ति या संकल्प (विल / Will या Volition) वह संज्ञानात्मक प्रक्रम है जिसके द्वारा व्यक्ति किसी कार्य को किसी विधि का अनुसरण करते हुए करने का प्रण करता है। संकल्प मानव की एक प्राथमिक मानसिक क्रिया है।* इसके अलावा प्रभावन (affection), अभिप्रेरण (motivation), अभिज्ञान (cognition या thinking) भी मानव के प्राथमिक मानसिक क्रियाएँ हैं।
इच्छाशक्ति की दृढ़ता विचारों की गहराई से आती है,
What- क्या प्राप्त करने की इच्छा है?
Why- क्यों चाहिए है?
When- कब तक चाहिए?
How- कैसे इसे हासिल करेंगे? पूरी विधि-नियम मष्तिष्क में क्लियर होने चाहिए।
इच्छा मात्र आकांक्षा होती है, उसका कोई वजूद नहीं होता।
लेकिन जब किसी इच्छा को क्रियान्वित करने में सङ्कल्प बल जुड़ जाता है, उस इच्छा की पूर्ति में विचार शक्ति और साधन शक्ति के साथ इंसान जुट पड़ता है। तब वह इच्छा मानवीय विचारणा,क्षमता, योग्यता, कर्मणा शक्ति के संयुक्त प्रयोग से इच्छाशक्ति (willpower) बन जाती है। असम्भव भी तब संभव हो जाता है।
*उदाहरण* - बरगद का एक बीज अपने अंदर विशाल वृक्ष को छुपाये रहता है । जब भी उसे अवसर मिलता है वह अपनी छुपी संपत्ति को प्रगट कर देता है । *बरगद के बीज में एक विशाल वृक्ष उत्पन्न की करने की सुप्त शक्ति है , लेकिन कई बार बीज नष्ट हो जाते हैं ,उनका अंकुर निकलते ही झुलस जाता है या कुछ बढ़ाने पर पौधा मुरझा जाता है, यह बीज की अयोग्यता नही बल्कि उत्पादन क्रिया की त्रुटि है* । इसी प्रकार असंख्य जीव अपनी संभावनाओं से अनजान दुखी और नारकीय जीवन बिताते रहते हैं । जो लोग इच्छा तो करते हैं पर उसे प्राप्त करने में शक्ति साधन न लगाने पर अपेक्षित फल नहीं मिलता।
जीव चैतन्य है और उसका पोषण अनंत चेतना करती है, इसलिए उसके अंदर वह सुप्त शक्ति है वह अपनी सम्भावना को सर्व शक्तिमान के सत्तर तक उठा सके ।
जो जैसा बनना चाहता है वैसा बन जाता है । इसका रहस्य मन में उठने वाली इच्छा से आरम्भ होता है । मन का धर्म इच्छाएं उत्पन्न करना है । मन में कोई इच्छा उठी , शीघ्र ही मन की सेविका कल्पना शक्ति उस इच्छा का एक मानसिक चित्र रच देती है , एक कल्पना चित्र मानस पटल पर बन जाता है । यदि मन की इच्छा निर्बल हुई तो वह कल्पना चित्र कुछ क्षणों बाद ही अवचेतन मन की परतों में विलीन हो जाएगा, लेकिन यदि वह इच्छा बलवती हुई तो मन की विद्युत धारा चारो और उड़ उड़ कर अनुकूल वातावरण की तैयारी में लग जायेगी । बलवती इच्छा शक्ति अब बुद्धि को सक्रिय करेगी । अब बुद्धि में उस कल्पना चित्र के प्रप्ति के लिए तरकीबें उठेंगीं , संकटों का मुकाबला करने लायक योग्य शक्ति पैदा होगी और ऐसी ऐसी गुप्त सुविधाएं उपस्थित होगी जिनसे अब तक हम अनजान थे । जब तन मन धन से इच्छा प्राप्ति में जुट पड़ेंगे तो अपेक्षित लाभ मिल जाता है।
ब्रह्माण्ड का नियम है की तत्व जितने जितने सूक्ष्म होते जायंगे उसमें निहित शक्ति उतनी ही बढ़ती जायेगी । विचार से सूक्ष्म इच्छा है और इच्छा से अधिक सूक्ष्म और शक्ति शाली संकल्प है । विचार शक्ति को इच्छा शक्ति और कालांतर में संकल्प शक्ति में परिवर्तित करके जीव जो जो बनना चाहता है बन सकता है जो जो प्राप्त चाहता है प्राप्त कर सकता है ।
👉🏼 *इच्छाशक्ति संवर्धन के विज्ञान सम्मत प्रयोग*
1- नित्य गायत्री मंत्र जप एवं उगते सूर्य का ध्यान
2- स्वसंकेत (Autosuggestion)
3- सूर्य की रंगीन किरणों और वातावरण का ध्यान
4- प्राणाकर्षण प्राणायाम
5- सूर्यबेधन प्राणायाम
6- चुम्बक स्पर्श
7- प्राणवान व्यक्तियों का सान्निध्य, उनके साथ सत्संग
8- प्राणवान व्यक्तियों के लिखे मोटिवेशनल साहित्य का नित्य स्वाध्याय
9- नादयोग
10- प्रायश्चित साधना (चन्द्रायण/मासपारायण साधना)
11- अंकुरों का कल्क एवं वनौषधियों(ब्राह्मी, शंखपुष्पी, जटामासी इत्यादि) का सेवन
12- यज्ञ चिकित्सा
13- दर्पण साधना
14- मष्तिष्क एवं कंधों की हल्के हाथ से मालिश
15- अन्तःत्राटक
*युगऋषि द्वारा लिखित निम्नलिखित पुस्तक पढें और अधिक जानकारी के लिए*:-
📖 सङ्कल्प शक्ति की प्रचण्ड प्रक्रिया
📖विचारों की सृजनात्मक शक्ति
📖प्रतिभा संवर्धन के विज्ञान सम्मत प्रयोग
📖बुद्धि बढ़ाने की वैज्ञानिक विधि
📖अधिकतम अंक कैसे पाएं
📖व्यक्तित्व विकास की उच्च स्तरीय साधनाएं
📖युग की माँग प्रतिभा परिष्कार
🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन
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