Thursday, 1 August 2019

प्रश्न - *दी, हमारी चाची हैं वो बचपन से दुर्गा जी की परम् भक्त है हम उन्हें गायत्री साधना,व जप करने को कहते है और उन्होंने किया भी फिर भी कहती हैं कि बिटिया मेरा मन नही भर रहा मन्त्र गायत्री का और ध्यान दुर्गा जी का हमनें 24 अक्षरों के 24 देवता भी बताए लेकिन असमंजस्य में है आप थोड़ा विस्तृत शब्दो मे उन्हें समझाए की कैसे उपासना करें*

प्रश्न - *दी, हमारी चाची हैं वो बचपन से दुर्गा जी की परम् भक्त है हम उन्हें गायत्री साधना,व जप करने को कहते है और उन्होंने किया भी फिर भी कहती हैं कि बिटिया मेरा मन नही भर रहा मन्त्र गायत्री का और ध्यान दुर्गा जी का हमनें 24 अक्षरों के 24 देवता भी बताए लेकिन असमंजस्य में है आप थोड़ा विस्तृत शब्दो मे उन्हें समझाए की कैसे उपासना करें*

उत्तर - भारतीय सनातन धर्म तीन शक्तिधाराओं का पूजन करता है, जो क्रमशः ह्रीं(सरस्वती), श्रीं(लक्ष्मी) औऱ क्लीं(दुर्गा या काली) हैं। इन तीनों शक्तियों को त्रिपदा गायत्री कहते है।

यदि आपकी चाची केवल दुर्गा शक्ति की आराधना में ख़ुश हैं तो आइये गायत्री की तीसरी बड़ी शक्ति केवल क्लीं(दुर्गा साधना) को जानते हैं, और उन्हें बताते है:-

*दुर्गति नाशिनी एवं मंगल कारिणी दुर्गा माता का प्रार्थना मंन्त्र*

ॐ जयंती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी।
दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तु‍ते।।

*रोग नाश के लिए* -
'रोगान शेषानपहंसि तुष्टा रुष्टा,
तु कामान् सकलानभीष्टान्।
त्वांमाश्रितानां न विपन्नराणां,
त्वामाश्रिता ह्याश्रयतां प्रयान्ति।।'


*दु:ख-दारिद्रय नाश के लिए प्रार्थना मंन्त्र* -
'दुर्गे स्मृता हरसि भीतिमशेषजन्तो:,
स्वस्थै: स्मृता मतिमअतीव शुभां ददासि।
दारिद्रय-दु:ख-भयहारिणी का त्वदन्या,
सर्वोपकार करणाय सदाऽर्द्रचित्ता:।।

*समस्त कार्यों की सिद्धि तथा देवी कृपा प्राप्ति के लिए*-

'शरणागत-दीनार्त-परित्राण-परायणे,
सर्वस्यार्तिहरे देवि! नारायणि! नमोस्तुते।'

या देवी सर्वभूतेषु मातृरूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः

या देवी सर्वभूतेषु शक्तिरूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः

या देवी सर्वभूतेषु सद्बुद्धिरूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः

*दुर्गा का ध्यान* - गहरा नीला आकाश है, हिमालय के कैलाश पर्वत का दृश्य है। माता पार्वती श्वेत वस्त्रों में भगवान शिव शंकर के साथ बर्फ़ की शिला पर विराजमान हैं। आप उन दोनों के श्री चरणों मे प्रणाम कर उनकी पूजा अर्चना करते हैं। अब माता से उनके दुर्गा रूप में दर्शन देने की विनती करते है। माता अपने नौ दुर्गा के रूप में क्रमशः प्रकट होती हैं:-

1-शैलपुत्री
2- ब्रह्मचारिणी
3- चन्द्रघंटा
4- कूष्माण्डा
5- स्कंदमाता
6- कात्यायनी
7- कालरात्रि
8- महागौरी
9- सिद्धिदात्री

अब मान लीजिये माता *सिद्धिदात्री अष्टभुजी दुर्गा* का रूप आप ध्यान में स्थिर चाहते हैं तो माता को अपने अन्य आठ स्वरूप समेटने की विनती करिये और एक होने पर उस पर एकाग्र हो जाइए। सिंह को देखिए, माता के चरणों को देखिए। माता को सर से नख तक देखिए और अपनी कल्पना अनुसार उनका मनभावन पूजन कीजिये।



3 या 5 या 7 सुविधानुसार पहले गायत्री मंत्र जपिये।

👉🏼 *गायत्री मंत्र* - *ॐ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात्।*

👉🏼 *एक माला दुर्गा गायत्री* -

*दुर्गा गायत्री*–ॐ गिरिजायै विद्महे शिवप्रियायै धीमहि। तन्नो दुर्गा प्रचोदयात्।

*दुर्गा माता की आराधना के वक्त के लिए भावार्थ:*- हे दुर्गति नाशिनी दुर्गा, तुम प्राणस्वरूप, दुःखनाशक, सुखस्वरूप, श्रेष्ठ, तेजस्वी, पापनाशक, देवस्वरूप देवी हो, हम आपको अपने अन्तःकरण में धारण करते। हे माते आप हमारी बुद्धि को सन्मार्ग में प्रेरित करे। आप मुझे सद्बुद्धि दो और बलपूर्वक सही रास्ते पर चलाओ।

*भजन दुर्गा माता का* -

👉🏼 *भजन - हृदय से लगा लो*

हृदय से लगा लो-या आँचल हटा लो।
मगर भक्ति माँ तेरी-करते रहेंगे॥
पड़े हैं पगों में यही आस लेकर-
कभी तो दया दृष्टि होगी तुम्हारी।
कभी शीश पर हाथ तेरा फिरेगा-
तुम्हारी चरण धूलि के हम भिखारी॥
हमें चाहे तारो-कभी न उबारो-
मगर मन्त्र जप तेरा करते रहेंगे॥
नमो वेदमाता नमो विश्वमाता-
भला कौन जग में तुम्हें जो न भाता।
परम भक्त वत्सल परम ज्योति जननी-
हृदय में हमारे यही भाव आता॥
कि होकर रहेंगे-कभी तो तुम्हारे-
कभी तो तुम्हीं में माँ खोकर रहेंगे॥
गहन वेदना से दु:खी सारी दुनियाँ-
जगत् के अन्धेरे मिटाने चले हैं।
तुम्हारी कृपा की किरण के सहारे-
अमित ज्ञान दीपक जलाने चले हैं॥
अगर मिल गया माँ तुम्हारा सहारा-
तो सचमुच ये व्रत पूर्ण करके रहेंगे॥

*मुक्तक*-
माँ का आँचल छोड़ कहाँ पर जायेंगे-
ठोकर में भी प्यार तुम्हारा पायेंगे।।
हम बालक हैं हमसे गलती होगी तो-
माँ के संरक्षण में सद्पथ पायेंगे।

👇🏻🙏🏻😇
*वृद्ध एवं उम्रदराज लोगो को ज्ञान से ज़्यादा भक्ति रास आती है। पुरानी मान्यताओं को तोड़ना और नई खड़ी करने में उन्हें असुविधा होती है। अतः वो जिसकी भक्ति कर रहे हैं उसे ही विधिवत व भावपूर्वक करने लगे और लाभान्वित हों इसमें मदद कीजिये। गायत्री ही दुर्गा है और दुर्गा ही गायत्री है। किसी की भी पूजा श्राद्ध भक्ति व विश्वास पूर्वक करें, उनका कल्याण निश्चत: होगा।*

🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन

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