Thursday, 29 August 2019

ब्रह्मलोक ध्यान - गर्भस्थ शिशु का निर्माण - एक मनोविज्ञान - गर्भ सम्वाद(भाग 3) (कुल 30 भाग हैं)

*गर्भस्थ शिशु का निर्माण - एक मनोविज्ञान - गर्भ सम्वाद(भाग 3) (कुल 30 भाग हैं)*

👉🏻 *गर्भ सम्वाद की पूर्व तैयारी*

शांत चित्त होकर सर्वप्रथम लम्बी व गहरी श्वांसों द्वारा प्राणाकर्षण प्राणायाम करें।

यह प्रक्रिया टहलते हुए, या आराम से बैठकर या लेटकर भी कर सकते हैं।

गर्मी का वक्त हो ठंडे जल का प्रयोग करें, और ठंडी का वक्त हो तो गुनगुने जल का प्रयोग करें। हाथ में कांच की ग्लास में जल लेकर 3 गायत्री मंत्र और 1 महामृत्युंजय मंत्र बोलते हुए उसे एकटक देखें, घर में यज्ञ भष्म हो तो एक चुटकी से भी कम उसमें मिला लें।  अभिमंत्रित जल पेट मे लगा लें और थोड़ा सा पी लें।

गर्भ पर प्यार से हाथ फेरे और निम्नलिखित बोलें

👉🏻 मेरे प्यारे बच्चे तुम्हारी माँ तुमसे बात करने आई है, मम्मा से बात करेगा मेरा बच्चा। हाँजी, ओके..

बताओ आप पेट मे कैसे हो? मम्मी पापा और घर मे सब आपको बहुत प्यार करते हैं, सब आपसे मिलने के लिए बेकरार हैं। क्योंकि तुम तो मेरे भीतर हो इसलिए तुम्हारी मम्मा तुमसे कभी भी मिल सकती है।

👉🏻 यदि पापा या दादी या बुआ को गर्भस्थ से बात करनी है तो  पेट पर हाथ रखकर प्यार से बोल सकते हैं। 

👉🏻 *गर्भ सम्वाद-3*

📯 चलो बेटा आज तुम्हें हम ब्रह्मलोक लेकर चलते हैं, जहां सृष्टि का संचालन करने वाले भगवान ब्रह्मा जी व बुद्धि की देवी सरस्वती की का वास है। भावना करो कि एक दिव्य रथ में मम्मा और प्यारा मेरा बच्चा बादलों के बीच हवा में उड़ते हुए दिव्य सुंदर हंस के पंखों युक्त रथ में ब्रह्मलोक पहुंचे हैं। अरे ध्यान से सुनो वीणा की मधुर ध्वनि कितनी मन भावन है, कितनी शांति व दिव्य वातावरण यहाँ है। यहां ब्रह्मसरोवर है चलो थोड़ा सा जल हम अपने मुंह और बेबी के मुंह मे लगा लेते हैं। अरे यह तो कितना अमृत जैसा मीठा जल है। देखो कितने सुंदर कमल के फूल, रंगबिरंगे फूल। चलो कुछ पुष्प भगवान परमपिता ब्रह्मा और माता सरस्वती जी को चढाते हैं।

ब्रह्मा जी की उत्तपत्ति विष्णु जी के नाभि कमल से हुई थी, जैसे कि तुम मेरे नाभि कमल नाल से उत्तपन्न हुए हो। ब्रह्मा जी को सृष्टि करने का आदेश भगवान विष्णु ने दिया। तब ब्रह्मा जी ने कई वर्षों तक कठोर तप माता गायत्री के मन्त्रो का जप करके किया। माता प्रकट हुईं और सृष्टि करने की शक्ति प्रदान की। ब्रह्मा जी ने  सृष्टि की और मानव जाति को वेदों का   ज्ञान दिया। माता सरस्वती ब्रह्मा जी की अर्धांगिनी है, वो हमें बुद्धि देती है इसलिए हम सोच समझ सकते हैं और समस्त जीवों में मानव श्रेष्ठ बना। चलो पुनः दोनो शक्तियों को प्रणाम करो।

चलो तुम जल डालो और मैं भगवान  के चरण धोती हूँ। सम्हाल के मेरे बच्चे धीरे धीरे जल डालो। ओह हो मेरे प्यारे बच्चे आपको तो भगवान ब्रह्मा जी ने और माता सरस्वती ने गोद मे ले लिया, इतना प्यार दुलार दोनो से मिल रहा है। देखो तुम्हारे अंदर दिव्य शक्ति का प्राण संचार कर रहे हैं, तुम नीले नीले प्रकाश से भर उठे हो, देखो  मम्मा को भी भगवान ब्रह्मा एव माता सरस्वती का प्यार आशीर्वाद मिल रहा है।

चलो बेटा पुष्प जो हम लाये थे भगवान को दो, मुंह खोलो चरणामृत जल का प्रसाद ग्रहण करो। हम भी पी लेते हैं।

देखो जो ब्रह्मा हैं वही हम हैं, हम उन्हीं का अंश हैं। शेर का बच्चा शेर होता है न, तो सत चित आनन्द स्वरूप सृष्टिकर्ता भगवान ब्रह्मा का अंश सृजनकर्ता ही होगा। तुम भगवान ब्रह्मा के समान बुद्धिमान, शक्तिमान, ऐश्वर्यवान हो। तुम सर्वशक्तिमान हो। इसे याद रखना। जानते हो इसे याद रखने का मन्त्र क्या है?

*सो$हम* अर्थात जो भगवान ब्रह्मा है उसी का अंश मैं भी हूँ। मैं वही हूँ।

चलो मम्मा के साथ 5 बार बोलो *सो$हम*

चलो प्रणाम करो और घर चलते हैं, अब तुम दोनों हाथ रगड़ो जैसे मम्मा रगड़ रही है। अब मम्मा पहले बच्चे को लगाएगी गर्भ में हाथ फेरिये। बेटे आप अपने मुंह मे लगाइए। अब मम्मा  अपने मुंह मे लगाएगी। शाबास अब आप आराम करो पेट में और मम्मा कुछ घर का काम कर लेती है।

क्रमशः....(अगली कड़ी - भाग 4 में)

🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन

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