Thursday 29 August 2019

*"देवात्मा हिमालय तीर्थ सेवन महात्म्य - गर्भस्थ शिशु का निर्माण - एक मनोविज्ञान - गर्भ सम्वाद(भाग 5) (कुल 30 भाग हैं)*

*"देवात्मा हिमालय तीर्थ सेवन महात्म्य - गर्भस्थ शिशु का निर्माण - एक मनोविज्ञान - गर्भ सम्वाद(भाग 5) (कुल 30 भाग हैं)*

👉🏻 *गर्भ सम्वाद की पूर्व तैयारी*

शांत चित्त होकर सर्वप्रथम लम्बी व गहरी श्वांसों द्वारा प्राणाकर्षण प्राणायाम करें।

यह प्रक्रिया टहलते हुए, या आराम से बैठकर या लेटकर भी कर सकते हैं।

गर्मी का वक्त हो ठंडे जल का प्रयोग करें, और ठंडी का वक्त हो तो गुनगुने जल का प्रयोग करें। हाथ में कांच की ग्लास में जल लेकर 3 गायत्री मंत्र और 1 महामृत्युंजय मंत्र बोलते हुए उसे एकटक देखें, घर में यज्ञ भष्म हो तो एक चुटकी से भी कम उसमें मिला लें।  अभिमंत्रित जल पेट मे लगा लें और थोड़ा सा पी लें।

गर्भ पर प्यार से हाथ फेरे और निम्नलिखित बोलें

👉🏻 मेरे प्यारे बच्चे तुम्हारी माँ तुमसे बात करने आई है, मम्मा से बात करेगा मेरा बच्चा। हाँजी, ओके..

बताओ आप पेट मे कैसे हो? मम्मी पापा और घर मे सब आपको बहुत प्यार करते हैं, सब आपसे मिलने के लिए बेकरार हैं। क्योंकि तुम तो मेरे भीतर हो इसलिए तुम्हारी मम्मा तुमसे कभी भी मिल सकती है।

👉🏻 *गर्भ सम्वाद-5* - देवात्मा हिमालय

📯 चलो बेटा आज हम तुम और तुम्हारे पापा ध्यान में देवात्मा हिमालय चलते हैं, भावना करो कि एक दिव्य रथ में  मम्मा, पापा और प्यारा मेरा बच्चा बादलों के बीच हवा में उड़ते हुए दिव्य सुंदर हंस के पंखों युक्त रथ में गंगोत्री पहुंच रहे हैं। देखो कितनी ऊंची ऊंची यह उत्तराखंड की पहाड़ियां है, पिघलते ग्लेशियर से कितने सारे खूबसूरत झरने पहाड़ो से नीचे गिर रहे हैं, अद्भुत मनोरम दृश्य है,  अरे ध्यान से सुनो कल कल करते इन झरनों की मधुर ध्वनि कितनी मन भावन है, कितनी शांति व दिव्य देवात्मा हिमालय क्षेत्र में है।

मम्मा गाइड की तरह तुम्हें और पापा को तीर्थ यात्रा ध्यान में कराएगी। तो तीर्थयात्री तैयार?

जानते हो, मनुष्य को अच्छे संस्कार व प्रेरणाये देकर सुसंस्कृत बनाने ज्ञान, विज्ञान व विधान को *संस्कृति* कहते हैं। जिस स्थान में इस लोकल्याण की भावना से देव संस्कृति को गढ़ने हेतु अनेकों तप साधन किये गए हों, जहां के वातावरण में वो तप ऊर्जा व दिव्य चेतना सर्वाधिक सक्रिय, जीवन्त व मुखर अनुभव हो उस स्थान को *तीर्थ* कहते हैं। तीर्थ चेतना पारस की तरह है इसके स्पर्श से *हमारी चेतना उर्ध्वगामी बनती है*।

जानते हो बेटे, यहां स्थूल नेत्रों से देखने में बहुत कम दिखेगा। मग़र यदि तुम भावना क्षेत्र से यहाँ श्रद्धा भाव से प्रवेश करोगे तो तुम्हें कई हिमालय के तीर्थ क्षेत्र दिखेंगे जो आम जनता के लिए दृश्य नहीं है।

चलो हम श्रद्धा-भावना के साथ प्रार्थना करते हैं कि देवात्मा हिमालय का ज्ञानगंज सिद्धक्षेत्र दिखने लगे।

वो देखो, हमारी प्रार्थना स्वीकार हो गयी, यह वह सिद्ध क्षेत्र है जहाँ ऋषि सत्ताएं सूक्ष्म शरीर से तप कर रही हैं।

यहां की हिमालय श्रृंखला इन तपस्वियों के प्राण ऊर्जा से नीले रंग की दिख रही है, ऐसा लग रहा है मानो हिमालय की यह बर्फ में किसी ने हल्के नीले रंग को घोल दिया है। चारों तऱफ बर्फ़ ही बर्फ़ है और पूर्णिमा के चाँद ने इसे चांदी वर्क में मानो ढक दिया है। कितना सुंदर दृश्य है बर्फ़ के हिमालय व गहरे नीले आकाश में चमकते यह तारे और सुंदर चन्द्रमा का मनोहर दर्शन। ऐसा लग रहा है यही समाधिस्थ हो जाये, बस बैठ कर इस मनोरम दृश्य को अपलक देखते रहें।

यह देखो बर्फ़ के शिवलिंग इन्हें स्पर्श करो,  कितने ऊर्जावान व ठंडे है।  चलो जलाभिषेक करें, जल चढ़ाएं। प्रणाम करो🙏🏻

इस तीर्थ क्षेत्र की तप ऊर्जा से जुडो मेरे बेटे, इस तप ऊर्जा के प्राण को अपने प्राणों में घोलो। इन सबसे आशीर्वाद लो और इनके श्री चरणों के ध्यान में खो जाओ। यहां वेदमन्त्रों की गूंज है इन्हें ध्यान से सुनो और हृदय तक पहुंचाओ।

हिमालय की पवित्रता   शांति यदि मष्तिष्क में रखोगे तो जीवन मे जो चाहोगे हासिल कर सकोगे।

चलो मेरे साथ मंत्रराज वेदों का सार गायत्री मन्त्र 5 बार बोलो

*ॐ भूर्भुवः स्व: तत् सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो योन: प्रचोदयात !*

चलो प्रणाम करो, अब तुम दोनों हाथ रगड़ो जैसे मम्मा रगड़ रही है। अब मम्मा पहले बच्चे को लगाएगी गर्भ में हाथ फेरिये। बेटे आप अपने मुंह मे लगाइए। अब मम्मा  अपने मुंह मे लगाएगी। शाबास अब आप आराम करो पेट में और मम्मा कुछ घर का काम कर लेती है।  चलो अब घर चलते है।

क्रमशः....(अगली कड़ी - भाग 6 में)

🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन

*सभी गर्भ सम्वाद निम्नलिखित ब्लॉग पर उपलब्ध हैं:-*
http://awgpggn.blogspot.com/

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