Monday, 19 August 2019

प्रश्न - *दी, मेरा मन उदास रहता है, न जॉब में मन लगता है न घर में, क्या और कैसे ठीक करूं अपना मन?* निन्यानबे का फेर

प्रश्न - *दी, मेरा मन उदास रहता है, न जॉब में मन लगता है न घर में, क्या और कैसे ठीक करूं अपना मन?*

उत्तर -  आत्मीय भाई, *क्या आपको लगता है कि आपके पास सुखी रहने की कोई वजह नहीं है? इसलिए मन उदास है, यदि हाँ तो आप मनोरोग - "मिसिंग टाइल सिंड्रोम" (जिसे हिंदी आम भाषा मे "नियाम्बे का फ़ेर" और अध्यात्म भाषा मे "नकारात्मक चिंतन" कहते हैं) से ग्रसित हैं। तो आपको इलाज़ की सख़्त जरूरत है। यह मन का इलाज़ आप घर बैठे अपनी समस्या को समझ के एवं स्वाध्याय करके मन को ठीक कर सकते हैं, या मनोचिकित्सक से सम्पर्क कर सकते हैं।*

समस्या को समझने के लिए तीन कहानी सुनिएं:-

1- एक मनोवैज्ञानिक ने एक होटल में शानदार स्विमिंग पूल जिसमें प्राचीन महंगी पेंटिंग्स लगी थीं वो बनवाया और जानबूझकर मुख्य जगह से एक टाइल निकाल दी। बहुत सारे लोगों को उद्घाटन में बुलाया और रिसर्च में पाया कि 90% लोगों का ध्यान मात्र *मिसिंग टाइल* पर था, वो बाकी पेंटिंग की खूबसूरती देख ही न सके।

2- एक राजा ने देखा फर्स साफ करने वाला मजदूर गीत गुनगुना रहा था, बहुत खुश रहता था। राजा बड़ा हैरान हुआ कि इतना गरीब सुखी कैसे हो सकता है? मंत्री के पास गया, बोला मैं कुबेर के समान धनी फिर भी नहीं हूँ सुखी, मेरे उच्च पदासीन अमीर दरबारी है दुःखी, फिर यह ग़रीब मज़दूर सुखी कैसे? मंत्री ने कहा - *वह निन्यानबे के फ़ेर में नहीं है* अर्थात वो वर्तमान में जो है उससे सुखी है। राजा ने कहा- तुम इसे निन्यानबे के फेर में डालो और मेरे जैसा दुःखी बनाने का डेमो दो। मंत्री ने रात को उस गरीब मजदुर के घर 99 अशर्फियां डाल दी। सुबह मजदूर व उसके परिवार का खुशी का ठिकाना न रहा, लेकिन ये क्या गिनती में 100 में एक कम? निन्यानबे ही क्यों? पूरी 100 क्यों नहीं? अब उसे 99 मुफ्त की मिली अशर्फियों में सुख दिखाई नहीं दिया, बल्कि मिसिंग एक अशर्फी के लिए दुखी हो गया। उसे कमाने में अब वो दुःखी रहने लगा।

3- एक बार मनोविज्ञान के विद्यार्थियों ने 9 बकरीयों की नम्बरिंग इस क्रम में की कि 7 नम्बर मिस करके क्रमशः 1,2,3,4,5,6,8,9,10 करके एक स्कूल छोड़ दिया। मैथ के दिमाग़दार टीचर ने कहा बकरियाँ पकड़ो। बच्चों ने पकड़ ली, अब सब परेशान की 7 नंबर वाली बकरी कहाँ गयी। मिसिंग बकरी को ढूंढने में इतने परेशान हुए कि उस दिन क्लास ही नहीं हुई। कई दिनों तक स्कूल में चर्चा हुई कि नम्बर 7 बकरी कहाँ गयी, जो कि थी ही नहीं। किसी को भी अन्य बकरियों की याद भी न रही।

🙏🏻 आत्मीय भाई, तुम भी इसलिए उदास हो क्योंकि तुम्हारा ध्यान भी लाइफ की मिसिंग बातों पर है। 99 अच्छी चीज़ें लाइफ की तुम्हें नहीं दिख रही। जो नहीं है बस उसके चिंतन में खोए हो। अपना ध्यान जो है उसे देखने व महसूस करने में लगा दो तो सुखी हो जाओगे।

*उदाहरण नकारात्मक चिन्तन को सकारात्मक में बदल कर सुखी होने के लिए*

👉🏻 - यदि जनता मिसिंग टाइल पर ध्यान केंद्रित करने की जगह खूबसूरत पेंटिंग देखती तो अच्छी मेमोरी साथ ले जाती।

👉🏻गरीब मजदूर मिले हुए 99 अशर्फियों का उपयोग जीवन मे कैसे करना है यह सोचता तो और ज्यादा सुखी हो जाता।

👉🏻मैथ का टीचर व स्कूल स्टॉफ मिली हुई बकरियों को बाहर करके पढ़ाने बैठ जाता तो दिन खराब न होता।

👉🏻 ग्लास आधी व ग्लास आधी भरी की तरह सुख दुःख सबके जीवन मे है। जो सुख की तरफ ध्यान केंद्रित करके सुख गिन रहा है वो सुखी है, जो दुःख की तरफ ध्यान केंद्रित करके जीवन के दुःख गिन रहा है वो दुःखी है।

👉🏻 वीडियो गेम भी वही सबसे ज्यादा  खेला जाता है जिसमें कठिनाई ज्यादा हो, फ़िल्म भी वो हिट होती है जिसमें विलेन बड़ा हो, सांप सीढ़ी के गेम में सांप के बिना मज़ा नहीं आता। फिर जिंदगी को कठिनाई के बिना जीने में क्या मज़ा आयेगा? कठिनाई को पार करो और विजेता बनो।

🙏🏻 अपने दृष्टिकोण की मरम्मत के लिए, सकारात्मक चिंतन के लिए और सुखी होने के लिए निम्नलिखित पुस्तक पढो और आनन्दित हो जाओ।

📖 दृष्टिकोण ठीक रखिये
📖 मानसिक संतुलन
📖 सफल जीवन की दिशा धारा
📖 निराशा को पैन फटकने दें
📖 हारिये न हिम्मत
📖 जीवन जीने की कला
📖 हम सुख से वंचित क्यों है?
📖 विचारों की सृजनात्मक शक्ति

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🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन

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