प्रश्न - *दीदी ! मैं इंटरमीडिएट में पढ़ने वाले छोटे भाई बहनों को गणित पढाता हूं । मेरी हमेशा ये कोशिश रहती है कि छात्रों को मनोरंजकपूर्ण ढंग से गणित सिखाया जाए ताकि गणित से डर खत्म हो । इसके लिए मैं अक्सर चुटकुले का सहारा लेता हूं लेकिन कभी-कभी चुटकुले का स्टॉक खत्म हो जाता है , जिसके कारण मैं खुद अपनः शिक्षण शैली से असंतुष्ट हो जाता हूँ । कृपया कोई ऐसा उपाय बताएं ताकि यह समस्या सदा के लिए दूर हो जाए । (जबकि मेरी ये भी कोशिश रहती है कि गुरूदेव के विचार को भी छात्रों के बीच उसी रोचकपूर्ण तरीके से पेश किया जाय)*
उत्तर- आत्मीय भाई, शिक्षा को अँग्रेजी में - Education कहते है, और यह लैटिन भाषा Educare से बना है, जिसका अर्थ होता है To bring out something.. अर्थात बाहर के ज्ञान स्रोत को बाहर निकालना।
मेरे भाई, शिक्षा में मनोमन्जन (Edutainment) के साथ पढ़ाई रुचिकर बनाओ न कि चुटकुले से मनोरंजन(Entertainment) करो। क्योंकि चुटकुला थोड़ी देर के लिए ब्रेन रिलैक्स करेगा और ज्ञानवर्धक कहानियां जीवन भर ब्रेन रिलैक्स करेंगी।
तुम्हारे विद्यार्थी सिर्फ पास होने के चक्कर में न रह जाएं, अपितु तुम और वह आर्यभट्ट और रामानुजन जैसे गणित को एक नई ऊंचाई दें। गणित रुचिकर तब होगी, जब इस विषय को चुनौती के रूप में तुम व तुम्हारे विद्यार्थी लेंगे।
तुम अति व्यस्त हो, सबसे पहले मैँ चाहती हूँ कि तुम्हारे अंदर का महान गणितज्ञ आर्यभट्ट जागृत हो। जिस आर्यभट्ट की गणना के सूत्र से मंगलयान प्रथम प्रयास व कम खर्च में मंगल ग्रह तक पहुंचा था। वो ज्ञान की गंगा तुममें प्रवाहित हो।
तुम स्वयं व अपने विद्यार्थियों को एक प्रयोग करने को बोलो:-
1- सोने से पूर्व व जागने के तुरंत बाद स्वयं 5 बार निम्नलिखित शब्द बोलो
मैं सर्वशक्तिमान परमात्मा का सर्वशक्तिमान पुत्र हूँ,
मेरे पूर्वज आर्यभट्ट हैं और मेरे भीतर गणित के ज्ञान का स्रोत है,
मुझे गणित विषय से अनन्य प्रेम है,
इसमें कुछ नया करने के लिए पैदा हुआ हूँ,
मैं गणित का सर्वश्रेष्ठ व लोकप्रिय शिक्षक हूँ,
इसीतरह स्वयं को मोटिवेट करो
2- उपरोक्त भाव के साथ अपनी तकिया के ऊपर गायत्री मंत्र लेखन करने के बाद, उसे अपनी तकिया के नीचे रखकर उसपर सो जाओ, जिससे तुम मन्त्र वाइब्रेशन को रात में ज्यादा से ज्यादा मष्तिष्क तक पहुंचा सको।
3- सुबह उठकर शुभ वचन बोलने के बाद, ईश्वर को धन्यवाद दो कि उन्होंने दुनियाँ का सर्वश्रेष्ठ उपहार ब्रेन तुम्हें दिया है। तथा अन्य जीवन मे जो कुछ है उसके लिए धन्यवाद दो।
5 मिनट उस सर्वशक्तिमान परमात्मा के उगते सूर्य का ध्यान करो।
4- सुबह योग प्राणायाम दिनचर्या करने के बाद पढ़ाने जाने से पहले 15 मिनट 📖 पुस्तक - *मनस्विता, प्रखरता और तेजस्विता(वांग्मय 57)* पढ़ो। क्लास में इसी पुस्तक से जीवन में आगे बढ़ने के सूत्र, छोटी छोटी कहानियां व सत्य घटना सुनाओ। उनके अंदर कुछ कर गुजरने की प्रेरणा जगाओ।
5- अपने विद्यार्थियों को गणित पढ़ने की अनेकों वजह दो, एक नूतन स्वप्न से उन्हें जोड़ो। गणित को उनके जीवन में रचा बसा दो।
👉🏻 *एक कहानी सुनों*- एक फेमस पेंटर था, उसकी कोई भी पेंटिंग 500 रुपये से कम में न बिकती। उसने अपने बेटे को पुस्तों से चली आ रही पेंटिंग परम्परा से जोड़ा। बेटे ने पेंटिंग बनाई वो मात्र 100 रुपये में बिकी, वो पापा के पास आया बोला पापा मुझे कुछ ऐसा सिखाओ कि मैं 500 रुपये की पेंटिंग बेंच सकूँ। फिर बाप ने बेटे को सिखाया और नई पेंटिंग इस बार 200 रुपये की बिकी। बेटे ने कहा पापा मैं और मेहनत करूंगा आप मुझे सिखाओ, इस बार गुरु पिता और शिष्य बेटे की मेहनत रंग लाई। बेटे की पेंटिंग 700 रुपये की बिकी। वो अहंकार से भर उठा, घर आया पापा को अपनी सफलता के किस्से सुनाया। पिता ने कहा, चलो पुनः और मेहनत करके 1000 रुपये की पेंटिंग बनाते हैं। बेटा बोला आपकी पेंटिंग तो 500 रुपये से ज्यादा की बिकी नहीं आप भला मुझे कैसे सिखाओगे। पिता की आंखों से आँशु टपके और बोले मेरे गुरु पिता की पेंटिंग 300 रुपये की बिकती थी। मैं तब तक मन लगा के सिखा जब तक मेरी पेन्टिंग 500 रुपये की न बिकी। गुरु से 200 रुपये ज्यादा कमाने के अहंकार में मैंने आगे सीखना बन्द कर दिया और मैं ताउम्र 500 रुपये की पेंटिंग से आगे न बढ़ सका। निर्णय तुम्हारा है कि मेरी तरह गलती दोहराओगे और ताउम्र 700 रुपये की पेंटिंग बनाओगे। या नित्य शिष्य बने रहोगे तब तक सीखोगे जब तक विश्व प्रसिद्ध न बन जाओगे।
भाई, गुरु वही महान जो ताउम्र शिष्य रहे और कुछ न कुछ नया सीखे। अतः रोज इंटरनेट या यूट्यूब पर जाकर अपने विषय गणित के सम्बंध में कुछ न कुछ नया सीखो। आर्यभट्ट व रामानुज को मानसिक गुरु बनाके उनकी चेतना से जुड़ो।
कुछ कर जाओ ऐसा कि दुनियां बनना चाहे तुम्हारे जैसा।
जगा तो अपने भीतर गणित के ज्ञान की भूख, और यही ज्ञान की भूख व कुछ कर गुजरने की चाहत अपने विद्यार्थियों के भीतर भी डाल दो। नित्य क्लास की शुरुआत एक 3 मिनट की छोटी प्रेरणापद कहानी और जोशीले घटनाक्रम को सुनाकर करो।
तुम व तुम्हारे विद्यार्थी सफलता की बुलंदियों को छुएं ऐसी गुरुदेव से प्रार्थना है।
🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन
उत्तर- आत्मीय भाई, शिक्षा को अँग्रेजी में - Education कहते है, और यह लैटिन भाषा Educare से बना है, जिसका अर्थ होता है To bring out something.. अर्थात बाहर के ज्ञान स्रोत को बाहर निकालना।
मेरे भाई, शिक्षा में मनोमन्जन (Edutainment) के साथ पढ़ाई रुचिकर बनाओ न कि चुटकुले से मनोरंजन(Entertainment) करो। क्योंकि चुटकुला थोड़ी देर के लिए ब्रेन रिलैक्स करेगा और ज्ञानवर्धक कहानियां जीवन भर ब्रेन रिलैक्स करेंगी।
तुम्हारे विद्यार्थी सिर्फ पास होने के चक्कर में न रह जाएं, अपितु तुम और वह आर्यभट्ट और रामानुजन जैसे गणित को एक नई ऊंचाई दें। गणित रुचिकर तब होगी, जब इस विषय को चुनौती के रूप में तुम व तुम्हारे विद्यार्थी लेंगे।
तुम अति व्यस्त हो, सबसे पहले मैँ चाहती हूँ कि तुम्हारे अंदर का महान गणितज्ञ आर्यभट्ट जागृत हो। जिस आर्यभट्ट की गणना के सूत्र से मंगलयान प्रथम प्रयास व कम खर्च में मंगल ग्रह तक पहुंचा था। वो ज्ञान की गंगा तुममें प्रवाहित हो।
तुम स्वयं व अपने विद्यार्थियों को एक प्रयोग करने को बोलो:-
1- सोने से पूर्व व जागने के तुरंत बाद स्वयं 5 बार निम्नलिखित शब्द बोलो
मैं सर्वशक्तिमान परमात्मा का सर्वशक्तिमान पुत्र हूँ,
मेरे पूर्वज आर्यभट्ट हैं और मेरे भीतर गणित के ज्ञान का स्रोत है,
मुझे गणित विषय से अनन्य प्रेम है,
इसमें कुछ नया करने के लिए पैदा हुआ हूँ,
मैं गणित का सर्वश्रेष्ठ व लोकप्रिय शिक्षक हूँ,
इसीतरह स्वयं को मोटिवेट करो
2- उपरोक्त भाव के साथ अपनी तकिया के ऊपर गायत्री मंत्र लेखन करने के बाद, उसे अपनी तकिया के नीचे रखकर उसपर सो जाओ, जिससे तुम मन्त्र वाइब्रेशन को रात में ज्यादा से ज्यादा मष्तिष्क तक पहुंचा सको।
3- सुबह उठकर शुभ वचन बोलने के बाद, ईश्वर को धन्यवाद दो कि उन्होंने दुनियाँ का सर्वश्रेष्ठ उपहार ब्रेन तुम्हें दिया है। तथा अन्य जीवन मे जो कुछ है उसके लिए धन्यवाद दो।
5 मिनट उस सर्वशक्तिमान परमात्मा के उगते सूर्य का ध्यान करो।
4- सुबह योग प्राणायाम दिनचर्या करने के बाद पढ़ाने जाने से पहले 15 मिनट 📖 पुस्तक - *मनस्विता, प्रखरता और तेजस्विता(वांग्मय 57)* पढ़ो। क्लास में इसी पुस्तक से जीवन में आगे बढ़ने के सूत्र, छोटी छोटी कहानियां व सत्य घटना सुनाओ। उनके अंदर कुछ कर गुजरने की प्रेरणा जगाओ।
5- अपने विद्यार्थियों को गणित पढ़ने की अनेकों वजह दो, एक नूतन स्वप्न से उन्हें जोड़ो। गणित को उनके जीवन में रचा बसा दो।
👉🏻 *एक कहानी सुनों*- एक फेमस पेंटर था, उसकी कोई भी पेंटिंग 500 रुपये से कम में न बिकती। उसने अपने बेटे को पुस्तों से चली आ रही पेंटिंग परम्परा से जोड़ा। बेटे ने पेंटिंग बनाई वो मात्र 100 रुपये में बिकी, वो पापा के पास आया बोला पापा मुझे कुछ ऐसा सिखाओ कि मैं 500 रुपये की पेंटिंग बेंच सकूँ। फिर बाप ने बेटे को सिखाया और नई पेंटिंग इस बार 200 रुपये की बिकी। बेटे ने कहा पापा मैं और मेहनत करूंगा आप मुझे सिखाओ, इस बार गुरु पिता और शिष्य बेटे की मेहनत रंग लाई। बेटे की पेंटिंग 700 रुपये की बिकी। वो अहंकार से भर उठा, घर आया पापा को अपनी सफलता के किस्से सुनाया। पिता ने कहा, चलो पुनः और मेहनत करके 1000 रुपये की पेंटिंग बनाते हैं। बेटा बोला आपकी पेंटिंग तो 500 रुपये से ज्यादा की बिकी नहीं आप भला मुझे कैसे सिखाओगे। पिता की आंखों से आँशु टपके और बोले मेरे गुरु पिता की पेंटिंग 300 रुपये की बिकती थी। मैं तब तक मन लगा के सिखा जब तक मेरी पेन्टिंग 500 रुपये की न बिकी। गुरु से 200 रुपये ज्यादा कमाने के अहंकार में मैंने आगे सीखना बन्द कर दिया और मैं ताउम्र 500 रुपये की पेंटिंग से आगे न बढ़ सका। निर्णय तुम्हारा है कि मेरी तरह गलती दोहराओगे और ताउम्र 700 रुपये की पेंटिंग बनाओगे। या नित्य शिष्य बने रहोगे तब तक सीखोगे जब तक विश्व प्रसिद्ध न बन जाओगे।
भाई, गुरु वही महान जो ताउम्र शिष्य रहे और कुछ न कुछ नया सीखे। अतः रोज इंटरनेट या यूट्यूब पर जाकर अपने विषय गणित के सम्बंध में कुछ न कुछ नया सीखो। आर्यभट्ट व रामानुज को मानसिक गुरु बनाके उनकी चेतना से जुड़ो।
कुछ कर जाओ ऐसा कि दुनियां बनना चाहे तुम्हारे जैसा।
जगा तो अपने भीतर गणित के ज्ञान की भूख, और यही ज्ञान की भूख व कुछ कर गुजरने की चाहत अपने विद्यार्थियों के भीतर भी डाल दो। नित्य क्लास की शुरुआत एक 3 मिनट की छोटी प्रेरणापद कहानी और जोशीले घटनाक्रम को सुनाकर करो।
तुम व तुम्हारे विद्यार्थी सफलता की बुलंदियों को छुएं ऐसी गुरुदेव से प्रार्थना है।
🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन
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