Monday, 5 August 2019

प्रश्न - *अध्यात्म की जीवन में आवश्यकता क्यों?*

प्रश्न - *अध्यात्म की जीवन में आवश्यकता क्यों?*

उत्तर -  संसार पदार्थ व चेतन दोनों से मिलकर बना है। विज्ञान केवल पदार्थ की जानकारी दे सकने में समर्थ है। मनुष्य चेतन है अतः चेतना के सम्बंध में जानकारी प्राप्त करने के लिए आध्यात्मिक अभ्यास जरूरी है।

1- मैं क्या हूँ? कौन हूँ? कहाँ से आया हूँ? कहाँ जाऊँगा? इत्यादि प्रश्नो के उत्तर अध्यात्म में ही मिलेंगे। विज्ञान गति देगा और अध्यात्म दिशा, सही जीवन की दिशा ज्ञान के लिए अध्यात्म जरूरी है। उस सही दिशा में जल्दी पहुंचने के लिए विज्ञान जरूरी है।

2- शरीर की क्षमता सीमित है, चेतन स्तर की असीमित क्षमता योग्यता के विकास के लिए अध्यात्म जरूरी है। अंतर्जगत हो या बाह्य सांसारिक जगत दोनों जगह सफ़लता के लिए अध्यात्म जरूरी है।

3- चेतना के परिष्कार, अंतर्जगत के ज्ञान और प्राण ऊर्जा बढ़ाने के लिए अध्यात्म जरूरी है। सम्पूर्ण स्वास्थ्य के लिए अध्यात्म जरूरी है।

4- काम, क्रोध, मद, लोभ, दम्भ, दुर्भाव, द्वेष इत्यादि दूषित भावनाएं हों या प्रेम, सम्वेदना, आत्मियता जैसी अच्छी भावनाएं हों, ये पदार्थ नहीं है, अतः इनके ऊपर भी वैज्ञानिक उपकरण व औषधि से नियंत्रण सम्भव नहीं है। इन्हें घटाने या बढ़ाने व नियमन के लिए आध्यात्मिक अभ्यास जरूरी है।

5- मन-बुद्धि-चित्त-अहंकार यह भी पदार्थ नहीं है, इनको सही ढंग से सही जगह उपयोग करने के लिए आध्यात्मिक अभ्यास जरूरी है। मनुष्य का रूप नहीं वरन गुणों के आधार पर उसकी इज्जत होती है। मनुष्य की सफ़लता का आधार बुद्धि है। बुद्धि व गुणों के विकास के लिए आध्यात्मिक अभ्यास जरूरी है।

6- सन्तान एक चेतन जीव है, अतः उसका शुभ जन्म, उसे गर्भ से ही शुभसँस्कार देना व उसका पालन-पोषण व  निर्माण के लिए आध्यात्मिक अभ्यास जरूरी है।

7- परिवार भी चेतन जीवों के साथ ही बसाया जाता है, अतः परिवार में प्रेम, सहकारिता, सहकारिता, आत्मियता का भाव जगाने और उन्हें सही दिशा देने के लिए आध्यात्मिक अभ्यास जरूरी है।

8- शरीर को मन से और मन को आत्मशक्ति से नियंत्रित किया जा सकता है। आत्मशक्ति के विकास के लिए आध्यात्मिक अभ्यास जरूरी है।

9- स्थूल पदार्थ - भोजन से मन को पूर्ण तृप्ति नहीं मिलती। मन की पूर्ण तृप्ति आत्म तृप्ति पर निर्भर है। अतः सुख, शांति, सुकून की प्राप्ति के लिए आध्यात्मिक अभ्यास जरूरी है।

10- जॉब व व्यवसाय चेतन जगत में चेतन लोगों से व्यवहार करके करते हैं, उनको समझने की और उन्हें हैंडल करने की चेतन शक्ति आध्यात्मिक अभ्यास से ही मिलेगी।

11- प्राचीन समय मे ऋषियों के पास कोई स्थूल उपकरण नहीं थे, फिंर भी ऋषियों ने बिजली बनाने का फार्मूला, योग सूत्र, खगोलीय ज्ञान, वायुयान ज्ञान, वैदिक गणित ज्ञान, शल्य चिकित्सा ज्ञान इत्यादि बखूबी से प्रमाणित तरीक़े से दिया। जिसे आजके आधुनिक उपकरण प्रयोग के बाद सही मान रहे हैं। यह चेतन विज्ञान अध्यात्म की ही देन है।

12- विवेकानंद जी ने कहा था, मनुष्य व पशु दोनों में ही चेतना है। पशु चैतन्य जागरूक होकर बुद्धि प्रयोग नहीं कर सकता, लेक़िन मनुष्य कर सकता है। जो मनुष्य आध्यात्मिक अभ्यास द्वारा अपनी चेतना को परिष्कृत नहीं करता व श्रेष्ठ जीवन नहीं जीता। ऐसा मनुष्य दो पैरों में चलने वाला नर पशु है। आध्यात्मिक अभ्यास से मनन-चिंतन करने पर ही मनुष्यता मिलती है।

🙏🏻श्वेता, DIYA

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