👉🏼 *कविता - मित्र मन ही*
*तय किये लक्ष्य तक पहुंचाता है* 👈🏻
बिन पते का पत्र,
कहीं नहीं पहुंचता,
जाना कहाँ है? यह न हो पता,
तो यात्री कहीं नहीं पहुंचता।
बिन लक्ष्य के मुसाफ़िर,
कहीं नहीं पहुंचता,
बनना क्या है? यह न हो पता,
तो पढ़ने में मन भी नहीं लगता।
क्या बनना है?
क्यूं बनना है?
कैसे बनना है?
कब तक बनना है?
बनकर क्या करना है?
क्या यह आपको पता है?
इस पर गहनता से क्या विचार किया है?
👇🏻
इसे भी अपनी डायरी में लिखो कि तुम्हारी...
लम्बी अवधि लक्ष्य क्या है?
छोटी अवधि का लक्ष्य क्या?
प्रतिदिन का लक्ष्य क्या है?
प्रति सप्ताह का लक्ष्य क्या है?
प्रति महीने का लक्ष्य क्या है?
प्रति वर्ष का लक्ष्य क्या है?
अगले तीन वर्ष का लक्ष्य क्या है?
अगले पांच वर्ष का लक्ष्य क्या है?
अगले दस वर्ष का लक्ष्य क्या है?
👇🏻
जीवन की सफ़लता का रास्ता,
पुस्तकों से होकर ही गुजरता है,
कितने पृष्ठ रोज़ पढोगे?
कितनी पुस्तक महीने में पढ़ोगे?
कितनी पुस्तकों को एक वर्ष में पढ़ोगे?
क्या यह सब तय किया है?
👇🏻
जानते हो न कि..
मन ही शत्रु व मन ही मित्र है,
मन ही नर्क में धकेलने वाला है,
मन ही स्वर्गीय सुख देने वाला है,
मन ही असफ़लता का कारण है,
मन ही सफलता का कारण भी है,
निज मन को मित्र बनाने के लिए,
क्या क्या उपाय कर रहे हो?
मन को साधने के लिए,
क्या क्या प्रयास कर रहे हो?
क्या नित्य मंन्त्र जप द्वारा,
मन से दोस्ती कर रहे हो?
क्या नित्य स्वाध्याय द्वारा,
उसे अच्छे विचारों का भोजन दे रहे हो?
क्या ध्यान के द्वारा,
चित्त को स्नान करवा रहे हो?
क्या एकांत में कुछ समय,
मन के साथ ध्यान में बिता रहे हो?
क्या प्राणायाम द्वारा,
निज श्वांसों में प्राण भर रहे हो?
क्या स्वयं के उत्थान के लिए,
कुछ नियमित कर रहे हो?
🙏🏻
युगऋषि कहते है,
मनुष्य ही है अपने भाग्य का निर्माता,
पुरुषार्थ व बुद्धिबल से,
वो कुछ भी है पा सकता।
🙏🏻
यदि जीवन में लक्ष्य नहीं बनाया,
तो कहीं नही पहुंचोगे,
यदि मन को मित्र नहीं बनाया,
तो कभी सुखी नहीं रहोगे।
मित्र मन ही,
निर्धारित लक्ष्य तक पहुंचाता है,
निश्चित लक्ष्य ही,
मन में एकाग्रता व जीवन मे सफ़लता दिलाता है।
🙏🏻श्वेता, DIYA
*तय किये लक्ष्य तक पहुंचाता है* 👈🏻
बिन पते का पत्र,
कहीं नहीं पहुंचता,
जाना कहाँ है? यह न हो पता,
तो यात्री कहीं नहीं पहुंचता।
बिन लक्ष्य के मुसाफ़िर,
कहीं नहीं पहुंचता,
बनना क्या है? यह न हो पता,
तो पढ़ने में मन भी नहीं लगता।
क्या बनना है?
क्यूं बनना है?
कैसे बनना है?
कब तक बनना है?
बनकर क्या करना है?
क्या यह आपको पता है?
इस पर गहनता से क्या विचार किया है?
👇🏻
इसे भी अपनी डायरी में लिखो कि तुम्हारी...
लम्बी अवधि लक्ष्य क्या है?
छोटी अवधि का लक्ष्य क्या?
प्रतिदिन का लक्ष्य क्या है?
प्रति सप्ताह का लक्ष्य क्या है?
प्रति महीने का लक्ष्य क्या है?
प्रति वर्ष का लक्ष्य क्या है?
अगले तीन वर्ष का लक्ष्य क्या है?
अगले पांच वर्ष का लक्ष्य क्या है?
अगले दस वर्ष का लक्ष्य क्या है?
👇🏻
जीवन की सफ़लता का रास्ता,
पुस्तकों से होकर ही गुजरता है,
कितने पृष्ठ रोज़ पढोगे?
कितनी पुस्तक महीने में पढ़ोगे?
कितनी पुस्तकों को एक वर्ष में पढ़ोगे?
क्या यह सब तय किया है?
👇🏻
जानते हो न कि..
मन ही शत्रु व मन ही मित्र है,
मन ही नर्क में धकेलने वाला है,
मन ही स्वर्गीय सुख देने वाला है,
मन ही असफ़लता का कारण है,
मन ही सफलता का कारण भी है,
निज मन को मित्र बनाने के लिए,
क्या क्या उपाय कर रहे हो?
मन को साधने के लिए,
क्या क्या प्रयास कर रहे हो?
क्या नित्य मंन्त्र जप द्वारा,
मन से दोस्ती कर रहे हो?
क्या नित्य स्वाध्याय द्वारा,
उसे अच्छे विचारों का भोजन दे रहे हो?
क्या ध्यान के द्वारा,
चित्त को स्नान करवा रहे हो?
क्या एकांत में कुछ समय,
मन के साथ ध्यान में बिता रहे हो?
क्या प्राणायाम द्वारा,
निज श्वांसों में प्राण भर रहे हो?
क्या स्वयं के उत्थान के लिए,
कुछ नियमित कर रहे हो?
🙏🏻
युगऋषि कहते है,
मनुष्य ही है अपने भाग्य का निर्माता,
पुरुषार्थ व बुद्धिबल से,
वो कुछ भी है पा सकता।
🙏🏻
यदि जीवन में लक्ष्य नहीं बनाया,
तो कहीं नही पहुंचोगे,
यदि मन को मित्र नहीं बनाया,
तो कभी सुखी नहीं रहोगे।
मित्र मन ही,
निर्धारित लक्ष्य तक पहुंचाता है,
निश्चित लक्ष्य ही,
मन में एकाग्रता व जीवन मे सफ़लता दिलाता है।
🙏🏻श्वेता, DIYA
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