Thursday, 22 August 2019

*सरनेम(आकृति) vs सँस्कार(प्रकृति)*

*सरनेम(आकृति) vs सँस्कार(प्रकृति)*

अपने बेटे आदित्य को पढ़ते हुए देख रही थी, उसकी बुक पर उसका नाम *आदित्य चक्रवर्ती* लिखा था। मन में विचार आया प्रथम पहचान इसके खानदान अर्थात इसकी पिता की पहचान *चक्रवर्ती सरनेम* से होगी। लेक़िन ज्यों ही यह मुँह से कुछ बोलेगा या अपने गुण कर्म स्वभाव जैसे ही व्यवहार करेगा तो लोगों इसकी मां अर्थात मेरे से पहचान होगी।  यह *दैवीय सँस्कार युक्त* हुआ तो लोग बोलेंगे धन्य है वो माँ जिसने ऐसे श्रेष्ठ बालक को जन्म दिया, यदि *दानवीय सँस्कार युक्त* तो लोग कहेंगे विष बेल से विष ही तो निकलेगा। इसकी माँ भी ऐसी ही होगी।

पिता से पुत्र के खानदान की आकृति व माँ से पुत्र के खानदान  की प्रकृति का परिचय मिलेगा।

बड़ी कठिन जिम्मेदारी है, सन्तान की प्रकृति व सँस्कार गढ़ना। शायद इसलिए माँ को बड़ा माना गया है।

शायद इसीलिये पुरुष व प्रकृति कहे गए हैं, एक स्थूल व दूसरा सूक्ष्म, एक दूसरे के पूरक हैं।

🙏🏻श्वेता, DIYA

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