प्रश्न - *प्रणाम दीदी, अगर आपको कष्ट ना हो तो क्या आप मेरी इस जिज्ञासा को शान्त कर सकती है कि जब भी हम इस तरह की कोई पोस्ट या सन्देश, facebook या whatsapp या किसी भी social platform पर साँझा करते है तो उद्देश्य क्या होता है ? हमारे अंदर किस तरह के विचार उस समय होते है ?*
उत्तर - आत्मीय भाई, परमपूज्य गुरुदेव ने विदेश यात्रा के दौरान सन 70-80 के दशक में जब इंटरनेट नहीं था, तब दीवार लेखन और पर्सनल सम्पर्क ही एक मात्र माध्यम था।
तब गुरुदेव ने कहा था कि दैवीय चेतना कुछ ऐसा प्लेटफॉर्म उपलब्ध करवाने जा रही जब फ्री युगचेतना के सन्देश लोगों तक ऐसी दीवारों पर लिखा जाएगा जिसकी पहुँच लाखों तक होगी(जो आज फेसबुक दीवार है) और एक ऐसा सन्देश भेजने का माध्यम मिलेगा जिसमें तुम्हारा धन खर्च न होगा फिर भी तुम हज़ारो तक युग सन्देश पहुंचा सकोगे।
नए वैचारिक युद्ध की नए तरीके से तैयारी होगी, एक युध्द स्थूल वैचारिक और एक युध्द ऐसे माध्यम पर वैचारिक स्तर का होगा जिसमें बुद्धि जीवियों को बुद्धिजीवियों से भिड़ना पड़ेगा।
नए युग का योगी धोती कुर्ता भी पहनेगा और आधुनिक परिधान भी। वह उन लोगो के बीच रहकर हमारा कार्य करेगा।
तुम सब केवल मेरे क्रांतिकारी विचारों को दीवार लेखन, पत्र प्रेषण, वक्तव्य, साहित्य विस्तार इत्यादि माध्यम से पहुंचाओ। वर्तमान समस्याओं के समाधान के रूप में प्रस्तुत करो। जिन तक मैं तुम्हारे माध्यम से पहुंचना चाहता हूँ पहुंच जाऊंगा। मेरे विचार उनकी नज़रो से उनके हृदय पहुंच जाएंगे।
फेसबुक, व्हाट्सएप और किसी भी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म में हम किसी न किसी व्यक्ति के पूँछे प्रश्न का उत्तर देते हैं, तब कई सारे लोग कहते है यह समस्या तो हमारी भी है। एक अनार सौ बीमार होते हैं।
गुरुदेव ने 3200 से ज्यादा पुस्तक लिखी है, सबके बस की नहीं पूरी पढ़ना। लेकिन यदि उन्हें केवल उनकी समस्या के समाधान में पुस्तक थोड़ा समझा के बता दो तो लोग पढ़ लेते है और समस्या समाधान पाकर खुश हो लेते है।
अतः जैसी युगप्रेरणा गुरुदेव ने हमें दी है, आई टी फील्ड और इन सबका ज्ञान दिया है। इस प्लेटफॉर्म के उपयोग का माध्यम दिया है, इससे घर बैठे मुझे सेवा का सौभाग्य मिलता है। नेपॉल से तो एक परिवार घर तक मिलने आया था, समाधान लेने। विदेशो से लोग वीडियो कॉल से समाधान लेते हैं।
देश ही नहीं विदेशों के लोग प्रश्न करके युगसाहित्य से समाधान पाते हैं, कई सारी आत्महत्या रोकने में सफलता मिली, तो कई घर तलाक से रुके, वृद्ध अंकल आंटी निराशा से उबरते हैं।
पुस्तक युगनिर्माण कब और कैसे पढोगे तो इसे और विस्तार से समझोगे, उसमें युगनिर्माण के तीन चरण बताये गए हैं:-
1- प्रचारात्मक
2- रचनात्मक
3- संघर्षात्मक
शोशल मीडिया का सर्वश्रेष्ठ उपयोग बिन पैसे खर्च किये मिशन का प्रचार प्रसार करना है।
गुरुदेव ने युगपिड़ा की दवाई तो बना दी, लेकिन रोगियों तक प्रचार नहीं करोगे तो पहुंचेगी कैसे???
उम्मीद है आपकी जिज्ञासा का समाधान हो गया होगा।
वैसे भी प्रश्नों का उत्तर देने में हमें कभी कोई कष्ट नहीं होता, ऐसा कोई प्रश्न दुनियाँ में नहीं जिसका उत्तर गुरुदेव लिख के नहीं गए। हमें तो मात्र ढूढ़कर उसे कॉपी पेस्ट करके देना है। पोस्टमैन को क्यों कष्ट होगा भला पत्र पहुंचाने में😇😇😇
अतः जितने प्रश्न हों पूँछते जाइये, 3200 पुस्तको का साहित्य खज़ाना युगऋषि परमपूज्य गुरुदेव हम सबको देकर गए हैं।
अतः आप सब फ्री की सोशल मीडिया का उपयोग करके युगपिड़ा की दवा युगसाहित्य व युग सन्देश घर घर पहुंचाइये।
🙏🏻श्वेता, DIYA
उत्तर - आत्मीय भाई, परमपूज्य गुरुदेव ने विदेश यात्रा के दौरान सन 70-80 के दशक में जब इंटरनेट नहीं था, तब दीवार लेखन और पर्सनल सम्पर्क ही एक मात्र माध्यम था।
तब गुरुदेव ने कहा था कि दैवीय चेतना कुछ ऐसा प्लेटफॉर्म उपलब्ध करवाने जा रही जब फ्री युगचेतना के सन्देश लोगों तक ऐसी दीवारों पर लिखा जाएगा जिसकी पहुँच लाखों तक होगी(जो आज फेसबुक दीवार है) और एक ऐसा सन्देश भेजने का माध्यम मिलेगा जिसमें तुम्हारा धन खर्च न होगा फिर भी तुम हज़ारो तक युग सन्देश पहुंचा सकोगे।
नए वैचारिक युद्ध की नए तरीके से तैयारी होगी, एक युध्द स्थूल वैचारिक और एक युध्द ऐसे माध्यम पर वैचारिक स्तर का होगा जिसमें बुद्धि जीवियों को बुद्धिजीवियों से भिड़ना पड़ेगा।
नए युग का योगी धोती कुर्ता भी पहनेगा और आधुनिक परिधान भी। वह उन लोगो के बीच रहकर हमारा कार्य करेगा।
तुम सब केवल मेरे क्रांतिकारी विचारों को दीवार लेखन, पत्र प्रेषण, वक्तव्य, साहित्य विस्तार इत्यादि माध्यम से पहुंचाओ। वर्तमान समस्याओं के समाधान के रूप में प्रस्तुत करो। जिन तक मैं तुम्हारे माध्यम से पहुंचना चाहता हूँ पहुंच जाऊंगा। मेरे विचार उनकी नज़रो से उनके हृदय पहुंच जाएंगे।
फेसबुक, व्हाट्सएप और किसी भी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म में हम किसी न किसी व्यक्ति के पूँछे प्रश्न का उत्तर देते हैं, तब कई सारे लोग कहते है यह समस्या तो हमारी भी है। एक अनार सौ बीमार होते हैं।
गुरुदेव ने 3200 से ज्यादा पुस्तक लिखी है, सबके बस की नहीं पूरी पढ़ना। लेकिन यदि उन्हें केवल उनकी समस्या के समाधान में पुस्तक थोड़ा समझा के बता दो तो लोग पढ़ लेते है और समस्या समाधान पाकर खुश हो लेते है।
अतः जैसी युगप्रेरणा गुरुदेव ने हमें दी है, आई टी फील्ड और इन सबका ज्ञान दिया है। इस प्लेटफॉर्म के उपयोग का माध्यम दिया है, इससे घर बैठे मुझे सेवा का सौभाग्य मिलता है। नेपॉल से तो एक परिवार घर तक मिलने आया था, समाधान लेने। विदेशो से लोग वीडियो कॉल से समाधान लेते हैं।
देश ही नहीं विदेशों के लोग प्रश्न करके युगसाहित्य से समाधान पाते हैं, कई सारी आत्महत्या रोकने में सफलता मिली, तो कई घर तलाक से रुके, वृद्ध अंकल आंटी निराशा से उबरते हैं।
पुस्तक युगनिर्माण कब और कैसे पढोगे तो इसे और विस्तार से समझोगे, उसमें युगनिर्माण के तीन चरण बताये गए हैं:-
1- प्रचारात्मक
2- रचनात्मक
3- संघर्षात्मक
शोशल मीडिया का सर्वश्रेष्ठ उपयोग बिन पैसे खर्च किये मिशन का प्रचार प्रसार करना है।
गुरुदेव ने युगपिड़ा की दवाई तो बना दी, लेकिन रोगियों तक प्रचार नहीं करोगे तो पहुंचेगी कैसे???
उम्मीद है आपकी जिज्ञासा का समाधान हो गया होगा।
वैसे भी प्रश्नों का उत्तर देने में हमें कभी कोई कष्ट नहीं होता, ऐसा कोई प्रश्न दुनियाँ में नहीं जिसका उत्तर गुरुदेव लिख के नहीं गए। हमें तो मात्र ढूढ़कर उसे कॉपी पेस्ट करके देना है। पोस्टमैन को क्यों कष्ट होगा भला पत्र पहुंचाने में😇😇😇
अतः जितने प्रश्न हों पूँछते जाइये, 3200 पुस्तको का साहित्य खज़ाना युगऋषि परमपूज्य गुरुदेव हम सबको देकर गए हैं।
अतः आप सब फ्री की सोशल मीडिया का उपयोग करके युगपिड़ा की दवा युगसाहित्य व युग सन्देश घर घर पहुंचाइये।
🙏🏻श्वेता, DIYA
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