*विद्यार्थी मन व उसकी उलझन सम्बन्धी प्रश्नोत्तर (1 से 20)*
प्रश्न 1- *बुद्धिमान विद्यार्थी कौन है?*
उत्तर- वह विद्यार्थी बुद्धिमान है, जो 'टूटे मन' को बनाना, 'रूठे मन' को मनाना व 'उलझे मन' को सुलझाना जानता है। जो मन को मित्र बनाकर अपने लक्ष्य में नियोजित करना जानता है।
प्रश्न 2- *टूटे मन को पुनः बनाये कैसे?*
उत्तर- मन तब टूटता है जब आप जिसे प्यार करते हैं वो आपको धोखा दे देता है। मन को प्यार से अच्छे प्रेरक वाक्यों से समझाएं कि धोखा देने वाला आपका भला नहीं चाहता था, अतः उसके लिए रोने धोने से उसे कोई फर्क नहीं पड़ने वाला। तू एक के लिए रो रहा है जिसे तू चाहता था, लेकिन ज़रा सोच जो तूझे चाहते हैं तेरे माता-पिता व मित्रगण उनके लिए भी सोच। वो तुझे दुःखी देखेंगे तो कितना उनका मन दुःखी होगा। तू स्वार्थी नहीं हो सकता, एक के लिए अनेकों को दुःख नहीं दे सकता। अच्छा हुआ जो उस धोखेबाज से तुम्हे मुक्ति मिली। जीवन का सफ़र नई उम्मीदों के साथ पुनः आगे बढ़ाओ... इत्यादी बार बार मन को बोलोगे तो मन मान जाएगा।
प्रश्न 3- *पढ़ाई में मन नहीं लगता, बार बार रूठ जाता है। भटकते मन को पढ़ाई में लगायें कैसे?*
उत्तर- मन दो अवस्था मे रहता है - पहला *प्रश्न से भरा चित्त जिसे 'प्रश्नचित्त'* कहते हैं, दूसरा है *प्रशन्नता से भरा चित्त जिसे 'प्रशन्नचित्त'* कहते हैं। रुठे मन को अवार्ड दो जैसे उसका पसन्दीदा कुछ खा-पी लो, कुछ अच्छा पढ़-सुन व देख लो। उसके प्रश्नों के उत्तर दो कि पढ़ना क्यों जरूरी है? पढ़कर क्या होगा? इत्यादि इत्यादि। मन को प्रश्नमुक्त कर दो तो मन प्रशन्नचित्त स्वतः हो जाता है। रूठा मन मान जाता है, पढ़ने में लगने लगता है।
प्रश्न 4- *मन की उलझन सुलझाएं कैसे?*
उत्तर- धागे में यदि गांठ लगी हो या धागा उलझ गया हो तो उसे सुलझाने का एक मात्र तरीका यह है कि यह पता लगाना कि वो उलझा किस विधि से था? पुनः जिस विधि से उलझा उसकी उल्टी विधि अपना के खोला जा सकता है। मन में उलझन किन विचारों से कैसे आयी व कब उपजी? जब यह समझ लोगे तो ठीक उसकी उल्टी विधि अपनाकर उस उलझन से निकल भी सकते हो।
प्रश्न 5- *जिन दोस्तों का साथ मुझे अच्छा लगता है वो व्यसनी नशेबाज हैं। उनकी संगति में रहूँ व नशे से बचूँ क्या सम्भव होगा?*
उत्तर- काजल की कोठरी से बेदाग केवल योगी निकल सकता है, आम इंसान नहीं। क्योंकि अभी तुम योगी की तरह परिपक्व विचारों के नहीं हो जो कि दूसरों को अपने ज्ञान के प्रकाश से बदल सके। अतः ऐसे व्यसनी दोस्तों का त्याग जरूरी है। उनसे बहाने बनाकर दूर रहने में समझदारी है।
प्रश्न- 6- *टीवी सिरियल व फ़िल्म देखने की इच्छा करती है। मगर एग्जाम भी आ रहे हैं क्या करें?*
उत्तर- टीवी सीरियल धीमा जहर है जो व्यक्तित्व को और तुम्हारी मेमोरी को खा जाएगा। इससे बचना चाहिए। वैसे तो फ़िल्म भी नहीं देखना चाहिए, लेकिन यदि देखना चाहो तो इस शर्त के साथ महीने में एक या दो बार फ़िल्म देखो कि, हे मन फ़िल्म का चिंतन दिमाग मे नहीं चले, अन्यथा दुबारा फ़िल्म नहीं दिखाऊंगा।
प्रश्न - 7- *प्रेम हो गया है, उसकी याद आती है। पढ़ाई में मन नहीं लगता।*
उत्तर- युवास्था में प्रेम *लव इन फ़र्स्ट साइट , व डिवोर्स इन फर्स्ट फाइट होता।* हार्मोनल चेन्ज का अटैक प्रेम है, जिसके माध्यम से 'मानसिक पॉटी' उतपन्न होती है। निष्काशन के लिए पार्टनर की आवश्यकता होती है। बेटे कभी देखा कि कोई अपना मकान बनाये तो उसमें केवल 'पॉटी' हेतु बाथरूम बनाये। लेकीन न किचन बनाये और नहीं सोने के लिए रूम बनाये। किचन में भोजन कहाँ से आएगा उसकी भी व्यवस्था न करे। तो ऐसे व्यक्ति को तुम पागल ही कहोगे न..है ना..। जब खाओगे ही नहीं तो टॉयलेट में निकालोगे क्या? माना टॉयलेट जरूरी है मगर एक इंसान टॉयलेट मे कितना समय व्यतीत कर सकता है? क्या टॉयलेट की जरूरत समझते हुए किचन की उपेक्षा करना उचित है? बेटे प्रेम के निष्कासन के लिए क्या प्रेमी के भोजन व आवास की आवश्यकता को इग्नोर करना उचित है? आवास व भोजन के बिना प्रेमी एक दिन प्रेम लुटा सकता है, उम्रभर नहीं। अतः पढ़ लो और कोई अच्छा जॉब व व्यवसाय कर लो, प्रेमी के लिए भोजन व आवास की व्यवस्था कर लो फ़िर उससे विवाह कर जीवन आनन्द पूर्वक जियो। प्रेम को आनन्द दो, प्रेमी को न पढ़कर बेमौत मत मारो।
प्रश्न - 8- *पढ़ाई तो करते हैं कुछ याद ही नहीं होता। एक लेसन याद करने में एक घण्टे लग जाते हैं।*
उत्तर- विवेकानंद जी, कुछ घण्टों में एनसाइक्लोपीडिया याद कर लेते थे। जानते हो क्यूँ? क्योंकि जब वो पढ़ रहे होते थे तो केवल ध्यानस्थ हो पढ़ रहे होते थे, उनके दिमाग़ के बैकग्राउंड में फ़ालतू चिंतन व विचारों का प्रवाह नहीं होता था। जिस प्रकार हज़ारो लोग बात कर रहे हों उसके बीच किसी की बात सुनना मुश्किल है, वैसे ही हज़ारो विचार व चिंतन के बीच पढ़ना मुश्किल है। अतः अपनी बुद्धि व दिमाग को दोष मत दो। विवेकानंद जी की तरह ध्यान का अभ्यास करो, जब भी मन भटके 5 बार गहरी श्वांस लो, 3 बार गायत्री मंत्र जपकर घूंट घूंट करके जल पियो। थोड़ा आती जाती श्वांस पर ध्यान एकाग्र करो। भगवान से पढ़ने की शक्ति दो यह प्रार्थना करें। पुनः पढ़ने में जुट जाएं। ध्यान का अभ्यास ही एक मात्र उपाय है। कोई दवा व अन्य उपाय नहीं जो एकाग्रता लाये। कोई बाहरी शक्ति आपकी मदद नहीं कर सकती। आपको अपनी मदद स्वयं करनी है। सुबह उठते ही स्वयं को पाँच बार बोलें कि *मैं सर्वशक्तिमान व बुद्धिमान परमात्मा की सर्वशक्तिमान व बुद्धिमान सन्तान हूँ।*
प्रश्न 9- *मुझे लगता है मेरी बुद्धि कमज़ोर है। मुझमें मानसिक स्ट्रेंथ नहीं है।*
उत्तर- यह आपका भ्रम है, जो मन कल्पना में उतपन्न करता है। जिससे आप स्वयं हार मान लें व मन को पढ़ना न पड़े। बुद्धि कुल्हाड़ी की तरह या तो होती है या नहीं होती है। कुल्हाड़ी में यदि धार नहीं तो पेड़ कम कटेंगे। इसमें कुल्हाड़ी को कमज़ोर कहना मूर्खता है। बुद्धि को तेज करने के लिए उगते सूर्य का ध्यान व गायत्री मंत्र जप कीजिये। रोज़ सुबह सूर्य का दर्शन खुले नेत्रों से करिये। सूर्य को जल चढ़ाइए। नादयोग सुनिए। निम्नलिखित वाक्य मन ही मन दोहराइये- *मैं बुद्धिमान हूँ, मैं जो बनना चाहता हूँ वो बनकर रहूंगा। मैं विजेता हूँ, मैं सफल हूँ।*
प्रश्न 10- *मेरे टीचर मेरा मज़ाक उड़ाते हैं, कहते हैं कि मेरा कुछ नहीं हो सकता।*
उत्तर- इसका अर्थ है कि टीचर तुम्हें चुनौती दे रहे हैं, तुम्हें उन्हें गलत साबित करना है। कड़ी मेहनत से कुछ बनकर उन्हें गलत साबित करना है। कुछ बन जाना तब अपनी गाड़ी से कुछ गिफ्ट लेकर उन टीचर से मिलने जाना, चरण स्पर्श करते हुए उन्हें गिफ्ट देते हुए कहना। मैंने आपके मेरे लिए किये पूर्व अनुमान को गलत साबित कर दिया है कि मेरा कुछ नहीं हो सकता। देखिये आज मैंने बहुत कुछ अचीव कर लिया है। आपकी वैसे कोई गलती नहीं है, ऐसे ही एक वक्त महान वैज्ञानिक *एडिसन* व *अल्बर्ट आइंस्टीन* को उनके टीचर नहीं समझ पाए थे। आप भी मुझे नहीं समझ पाए।
प्रश्न - 11- *मुझे एग्जाम के वक्त एग्जाम फ़ोबिया हो जाता है। जो याद रहता है वह भी भूल जाता हूँ।*
उत्तर- फ़ाइनल रेस में वो डरता है, जिसकी तैयारी अधूरी होती है। और जो लोगो से कम्पटीशन करता है। जो बच्चा पूरी तैयारी करता है व योजना बद्ध तरीके से पढ़ता है, वो कभी एग्जाम से नहीं डरता। स्वयं से कम्पटीशन करो, 3 घण्टे के प्रश्न पेपर नित्य स्वयं बनाकर दो। पिछले 10 साल के प्रश्न पत्र सेट आजकल दुकानों मे मिल जाते है। उन्हें सॉल्व नित्य करो। स्वयं को इतना तैयार करो कि भय के लिए जगह ही न बचे।
प्रश्न 12- *सरकारी स्कूल में पढ़ती हूँ और टीचर कोई मदद नहीं करते।*
उत्तर- यह तुम्हारा सौभाग्य है कि तुम्हें सेल्फ मेड बनने का सुअवसर मिला है। सभी सब्जेक्ट के NCRT व अन्य बोर्ड के सॉल्व बुक्स फुल मार्क्स इत्यादि के नाम से मिलती हैं। साथ ही इंटरनेट व यूट्यूब में भी आज़कल बहुत मदद मिल जाती है। जब बुक्स उपलब्ध है तो उनसे प्रैक्टिस करो और पढ़ डालो। *अच्छा यह बताओ यदि किसी ने खाना बना दिया तो क्या तुम परोस के खा नहीं सकते। इसी तरह यदि किसी ने बुक्स लिख दिया तो क्या हम स्वयं से पढ़ भी नहीं सकते?* टीचर केवल परोसने अर्थात समझाने में मदद करते हैं, लर्न तो वैसे भी विद्यार्थी को ही करना पड़ता है। टीचर समझाते तो जल्दी हो जाता, लेकिन स्वयं से पढ़ने में ज्यादा वक्त लगेगा लेकिन पढ़ तो हम सकते ही हैं।
प्रश्न - 13- *इतना सारा कोर्स है, कैसे पढूं?*
उत्तर- नर्सरी के विद्यार्थी को नर्सरी का कोर्स ज्यादा लगता है, प्राइमरी के विद्यार्थी के लिए प्राइमरी का कोर्स ज्यादा लगता है। इसी तरह मिडल स्कूल वाले को मिडल स्कूल कठिन लगता है और टेंथ व ट्वेल्थ को उनका लगता है। वस्तुतः कठिनाई तो हर वक्त कम न थी। फ़िर कोर्स ज्यादा का रोना क्यों? जरूरत बुद्धि बढ़ाने व मेहनत ज्यादा करने की है। स्वयं को इस युद्ध के लिए योद्धा की तरह तैयार करना है। कठिन है तो है, अब इस कठिनाई को पार करना है। कोर्स डिज़ाइन करने वाले टीचर एलियन नहीं थे, इंसान थे। अतः उन्हें विश्वास था कि किस उम्र के बच्चे कितने हद तक युद्ध जीत सकते हैं, उतनी ही कठिनाई नर्सरी से ट्वेल्थ तक कोर्स की रखी है।
प्रश्न 14- *माता-पिता पढ़ने के लिए व अधिक अंक लाने के लिए मानसिक दबाव बनाते हैं।*
उत्तर - बेटे, हवा चलेगी व दिया जलेगा। हवा की मजबूरी है चलना। दिए की मजबूरी है जलना। दोनों को अपना अपना काम करना है। हवा न होगी तो दिया बिन हवा के जलेगा नहीं। ज्यादा तेज चला तो दिया ही बुझ जाएगा। अतः तुम माता पिता के प्रेशर को चुनौती की तरह लो, जो कर सकते हो करो। जो नहीं सम्भव उसके लिए उनकी जली कटी नीम व कड़वे करेले की तरह गाली खा लो। विश्वास मानो यह नीम व करेला स्वाद भले न दे लेकिन स्वास्थ्य बना देता है। मन ही मन उनका एंगल समझो, वो बेचारे तुम्हारा भला ही चाहते हैं, अतः उनके कड़वे वचनों को दिल से मत लो।
प्रश्न 15- *नकारात्मक विचार परीक्षा के परिणाम के भयग्रस्त बनाते हैं।*
उत्तर - नकारात्मक भय का अंधकार तब हावी होगा, जब सकारात्मक प्रकाश युक्त विचारों का अभाव होगा। अतः बेटे नित्य महापुरुषों की जीवनियां 10 मिनट पढ़ो, इनकी जीवनियां तुम्हारे जीवन में साहसी विचारों की भरमार कर देंगी। तुम नकारात्मक विचारों को परास्त करने में सक्षम हो जाओगे।
प्रश्न - 16- *मुझे क्लास में नम्बर वन बनना है इसके लिए क्या करें?*
उत्तर- यह ख्वाइश तुम्हें जीवन में बेस्ट नहीं बनने देगी। तुम अपना वर्तमान स्कोर चेक करो, मान लो 80% आता है। अब इस वर्ष 90% टारगेट बनाया। तो यदि तुमने 90% स्कोर किया तो खुश हो जाओ। किसी का 99% आये तो तुम दुःखी मत हो और किसी का 79% आया तो उससे बेहतर होने की खुशी मत मनाओ। व्यक्ति से नहीं समय व अपने बनाये लक्ष्य से कम्पटीशन करो। बड़े लक्ष्य प्राप्त कर कुछ बनना है तो केवल स्वयं से व समय से कम्पटीशन करो।
प्रश्न - 17- *दोस्तों से गपशप व व्हाट्सएप में चैट करना अच्छा लगता है।*
उत्तर- जैसे चाय को छानकर पीते हो, वैसे ही गपशप व व्हाट्सएप में तीन छन्नी -फिल्टर लगा लो। क्या इस गपशप से मुझे कोई फायदा है? क्या इस गपशप में जो मेरे साथ कर रहा है उसे कोई फायदा है? क्या इस गपशप में कोई सच्चाई तथ्य तर्क प्रमाण है? यदि तीन फिल्टर फेल होते हैं तो यह गपशप हानिकारक है, त्याग दें। यदि फ़िल्टर पास हो रहा है तो गपशप उपयोगी है जरूर करें।
प्रश्न - 18 - *लक्ष्य कैसे निर्धारित करें?*
उत्तर- स्वयं में जन्मजात प्रतिभा व योग्यता क्या है? उस प्रतिभा का क्या शौक के रूप में अपनाना है या उसे कमाने का जरिया बनाना है। प्रतिभा को स्किलसेट बनाने के लिए उस दिशा में मेहनत व प्रयास करें। लक्ष्य स्वयं चुन लें या घर मे बड़ो से मदद लें।
प्रश्न - 19- *कौन सा ध्यान व कितने मिनट बुद्धि के लिए उत्तम है?*
उत्तर- उगते सूर्य का ध्यान व दिमाग मे नीले प्रकाश का ध्यान बुद्धि विकास के लिए उत्तम है।
प्रश्न- 20- *कौन सा योग व्यायाम बुद्धि विकास के लिए करें।?*
उत्तर- सुबह सूर्योदय से पहले उठें, टहलें। घर आकर प्रज्ञा योग व भ्रामरी प्राणायाम करें। गणेश योग(सुपर ब्रेन योग भी उपयोगी है।
🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन
प्रश्न 1- *बुद्धिमान विद्यार्थी कौन है?*
उत्तर- वह विद्यार्थी बुद्धिमान है, जो 'टूटे मन' को बनाना, 'रूठे मन' को मनाना व 'उलझे मन' को सुलझाना जानता है। जो मन को मित्र बनाकर अपने लक्ष्य में नियोजित करना जानता है।
प्रश्न 2- *टूटे मन को पुनः बनाये कैसे?*
उत्तर- मन तब टूटता है जब आप जिसे प्यार करते हैं वो आपको धोखा दे देता है। मन को प्यार से अच्छे प्रेरक वाक्यों से समझाएं कि धोखा देने वाला आपका भला नहीं चाहता था, अतः उसके लिए रोने धोने से उसे कोई फर्क नहीं पड़ने वाला। तू एक के लिए रो रहा है जिसे तू चाहता था, लेकिन ज़रा सोच जो तूझे चाहते हैं तेरे माता-पिता व मित्रगण उनके लिए भी सोच। वो तुझे दुःखी देखेंगे तो कितना उनका मन दुःखी होगा। तू स्वार्थी नहीं हो सकता, एक के लिए अनेकों को दुःख नहीं दे सकता। अच्छा हुआ जो उस धोखेबाज से तुम्हे मुक्ति मिली। जीवन का सफ़र नई उम्मीदों के साथ पुनः आगे बढ़ाओ... इत्यादी बार बार मन को बोलोगे तो मन मान जाएगा।
प्रश्न 3- *पढ़ाई में मन नहीं लगता, बार बार रूठ जाता है। भटकते मन को पढ़ाई में लगायें कैसे?*
उत्तर- मन दो अवस्था मे रहता है - पहला *प्रश्न से भरा चित्त जिसे 'प्रश्नचित्त'* कहते हैं, दूसरा है *प्रशन्नता से भरा चित्त जिसे 'प्रशन्नचित्त'* कहते हैं। रुठे मन को अवार्ड दो जैसे उसका पसन्दीदा कुछ खा-पी लो, कुछ अच्छा पढ़-सुन व देख लो। उसके प्रश्नों के उत्तर दो कि पढ़ना क्यों जरूरी है? पढ़कर क्या होगा? इत्यादि इत्यादि। मन को प्रश्नमुक्त कर दो तो मन प्रशन्नचित्त स्वतः हो जाता है। रूठा मन मान जाता है, पढ़ने में लगने लगता है।
प्रश्न 4- *मन की उलझन सुलझाएं कैसे?*
उत्तर- धागे में यदि गांठ लगी हो या धागा उलझ गया हो तो उसे सुलझाने का एक मात्र तरीका यह है कि यह पता लगाना कि वो उलझा किस विधि से था? पुनः जिस विधि से उलझा उसकी उल्टी विधि अपना के खोला जा सकता है। मन में उलझन किन विचारों से कैसे आयी व कब उपजी? जब यह समझ लोगे तो ठीक उसकी उल्टी विधि अपनाकर उस उलझन से निकल भी सकते हो।
प्रश्न 5- *जिन दोस्तों का साथ मुझे अच्छा लगता है वो व्यसनी नशेबाज हैं। उनकी संगति में रहूँ व नशे से बचूँ क्या सम्भव होगा?*
उत्तर- काजल की कोठरी से बेदाग केवल योगी निकल सकता है, आम इंसान नहीं। क्योंकि अभी तुम योगी की तरह परिपक्व विचारों के नहीं हो जो कि दूसरों को अपने ज्ञान के प्रकाश से बदल सके। अतः ऐसे व्यसनी दोस्तों का त्याग जरूरी है। उनसे बहाने बनाकर दूर रहने में समझदारी है।
प्रश्न- 6- *टीवी सिरियल व फ़िल्म देखने की इच्छा करती है। मगर एग्जाम भी आ रहे हैं क्या करें?*
उत्तर- टीवी सीरियल धीमा जहर है जो व्यक्तित्व को और तुम्हारी मेमोरी को खा जाएगा। इससे बचना चाहिए। वैसे तो फ़िल्म भी नहीं देखना चाहिए, लेकिन यदि देखना चाहो तो इस शर्त के साथ महीने में एक या दो बार फ़िल्म देखो कि, हे मन फ़िल्म का चिंतन दिमाग मे नहीं चले, अन्यथा दुबारा फ़िल्म नहीं दिखाऊंगा।
प्रश्न - 7- *प्रेम हो गया है, उसकी याद आती है। पढ़ाई में मन नहीं लगता।*
उत्तर- युवास्था में प्रेम *लव इन फ़र्स्ट साइट , व डिवोर्स इन फर्स्ट फाइट होता।* हार्मोनल चेन्ज का अटैक प्रेम है, जिसके माध्यम से 'मानसिक पॉटी' उतपन्न होती है। निष्काशन के लिए पार्टनर की आवश्यकता होती है। बेटे कभी देखा कि कोई अपना मकान बनाये तो उसमें केवल 'पॉटी' हेतु बाथरूम बनाये। लेकीन न किचन बनाये और नहीं सोने के लिए रूम बनाये। किचन में भोजन कहाँ से आएगा उसकी भी व्यवस्था न करे। तो ऐसे व्यक्ति को तुम पागल ही कहोगे न..है ना..। जब खाओगे ही नहीं तो टॉयलेट में निकालोगे क्या? माना टॉयलेट जरूरी है मगर एक इंसान टॉयलेट मे कितना समय व्यतीत कर सकता है? क्या टॉयलेट की जरूरत समझते हुए किचन की उपेक्षा करना उचित है? बेटे प्रेम के निष्कासन के लिए क्या प्रेमी के भोजन व आवास की आवश्यकता को इग्नोर करना उचित है? आवास व भोजन के बिना प्रेमी एक दिन प्रेम लुटा सकता है, उम्रभर नहीं। अतः पढ़ लो और कोई अच्छा जॉब व व्यवसाय कर लो, प्रेमी के लिए भोजन व आवास की व्यवस्था कर लो फ़िर उससे विवाह कर जीवन आनन्द पूर्वक जियो। प्रेम को आनन्द दो, प्रेमी को न पढ़कर बेमौत मत मारो।
प्रश्न - 8- *पढ़ाई तो करते हैं कुछ याद ही नहीं होता। एक लेसन याद करने में एक घण्टे लग जाते हैं।*
उत्तर- विवेकानंद जी, कुछ घण्टों में एनसाइक्लोपीडिया याद कर लेते थे। जानते हो क्यूँ? क्योंकि जब वो पढ़ रहे होते थे तो केवल ध्यानस्थ हो पढ़ रहे होते थे, उनके दिमाग़ के बैकग्राउंड में फ़ालतू चिंतन व विचारों का प्रवाह नहीं होता था। जिस प्रकार हज़ारो लोग बात कर रहे हों उसके बीच किसी की बात सुनना मुश्किल है, वैसे ही हज़ारो विचार व चिंतन के बीच पढ़ना मुश्किल है। अतः अपनी बुद्धि व दिमाग को दोष मत दो। विवेकानंद जी की तरह ध्यान का अभ्यास करो, जब भी मन भटके 5 बार गहरी श्वांस लो, 3 बार गायत्री मंत्र जपकर घूंट घूंट करके जल पियो। थोड़ा आती जाती श्वांस पर ध्यान एकाग्र करो। भगवान से पढ़ने की शक्ति दो यह प्रार्थना करें। पुनः पढ़ने में जुट जाएं। ध्यान का अभ्यास ही एक मात्र उपाय है। कोई दवा व अन्य उपाय नहीं जो एकाग्रता लाये। कोई बाहरी शक्ति आपकी मदद नहीं कर सकती। आपको अपनी मदद स्वयं करनी है। सुबह उठते ही स्वयं को पाँच बार बोलें कि *मैं सर्वशक्तिमान व बुद्धिमान परमात्मा की सर्वशक्तिमान व बुद्धिमान सन्तान हूँ।*
प्रश्न 9- *मुझे लगता है मेरी बुद्धि कमज़ोर है। मुझमें मानसिक स्ट्रेंथ नहीं है।*
उत्तर- यह आपका भ्रम है, जो मन कल्पना में उतपन्न करता है। जिससे आप स्वयं हार मान लें व मन को पढ़ना न पड़े। बुद्धि कुल्हाड़ी की तरह या तो होती है या नहीं होती है। कुल्हाड़ी में यदि धार नहीं तो पेड़ कम कटेंगे। इसमें कुल्हाड़ी को कमज़ोर कहना मूर्खता है। बुद्धि को तेज करने के लिए उगते सूर्य का ध्यान व गायत्री मंत्र जप कीजिये। रोज़ सुबह सूर्य का दर्शन खुले नेत्रों से करिये। सूर्य को जल चढ़ाइए। नादयोग सुनिए। निम्नलिखित वाक्य मन ही मन दोहराइये- *मैं बुद्धिमान हूँ, मैं जो बनना चाहता हूँ वो बनकर रहूंगा। मैं विजेता हूँ, मैं सफल हूँ।*
प्रश्न 10- *मेरे टीचर मेरा मज़ाक उड़ाते हैं, कहते हैं कि मेरा कुछ नहीं हो सकता।*
उत्तर- इसका अर्थ है कि टीचर तुम्हें चुनौती दे रहे हैं, तुम्हें उन्हें गलत साबित करना है। कड़ी मेहनत से कुछ बनकर उन्हें गलत साबित करना है। कुछ बन जाना तब अपनी गाड़ी से कुछ गिफ्ट लेकर उन टीचर से मिलने जाना, चरण स्पर्श करते हुए उन्हें गिफ्ट देते हुए कहना। मैंने आपके मेरे लिए किये पूर्व अनुमान को गलत साबित कर दिया है कि मेरा कुछ नहीं हो सकता। देखिये आज मैंने बहुत कुछ अचीव कर लिया है। आपकी वैसे कोई गलती नहीं है, ऐसे ही एक वक्त महान वैज्ञानिक *एडिसन* व *अल्बर्ट आइंस्टीन* को उनके टीचर नहीं समझ पाए थे। आप भी मुझे नहीं समझ पाए।
प्रश्न - 11- *मुझे एग्जाम के वक्त एग्जाम फ़ोबिया हो जाता है। जो याद रहता है वह भी भूल जाता हूँ।*
उत्तर- फ़ाइनल रेस में वो डरता है, जिसकी तैयारी अधूरी होती है। और जो लोगो से कम्पटीशन करता है। जो बच्चा पूरी तैयारी करता है व योजना बद्ध तरीके से पढ़ता है, वो कभी एग्जाम से नहीं डरता। स्वयं से कम्पटीशन करो, 3 घण्टे के प्रश्न पेपर नित्य स्वयं बनाकर दो। पिछले 10 साल के प्रश्न पत्र सेट आजकल दुकानों मे मिल जाते है। उन्हें सॉल्व नित्य करो। स्वयं को इतना तैयार करो कि भय के लिए जगह ही न बचे।
प्रश्न 12- *सरकारी स्कूल में पढ़ती हूँ और टीचर कोई मदद नहीं करते।*
उत्तर- यह तुम्हारा सौभाग्य है कि तुम्हें सेल्फ मेड बनने का सुअवसर मिला है। सभी सब्जेक्ट के NCRT व अन्य बोर्ड के सॉल्व बुक्स फुल मार्क्स इत्यादि के नाम से मिलती हैं। साथ ही इंटरनेट व यूट्यूब में भी आज़कल बहुत मदद मिल जाती है। जब बुक्स उपलब्ध है तो उनसे प्रैक्टिस करो और पढ़ डालो। *अच्छा यह बताओ यदि किसी ने खाना बना दिया तो क्या तुम परोस के खा नहीं सकते। इसी तरह यदि किसी ने बुक्स लिख दिया तो क्या हम स्वयं से पढ़ भी नहीं सकते?* टीचर केवल परोसने अर्थात समझाने में मदद करते हैं, लर्न तो वैसे भी विद्यार्थी को ही करना पड़ता है। टीचर समझाते तो जल्दी हो जाता, लेकिन स्वयं से पढ़ने में ज्यादा वक्त लगेगा लेकिन पढ़ तो हम सकते ही हैं।
प्रश्न - 13- *इतना सारा कोर्स है, कैसे पढूं?*
उत्तर- नर्सरी के विद्यार्थी को नर्सरी का कोर्स ज्यादा लगता है, प्राइमरी के विद्यार्थी के लिए प्राइमरी का कोर्स ज्यादा लगता है। इसी तरह मिडल स्कूल वाले को मिडल स्कूल कठिन लगता है और टेंथ व ट्वेल्थ को उनका लगता है। वस्तुतः कठिनाई तो हर वक्त कम न थी। फ़िर कोर्स ज्यादा का रोना क्यों? जरूरत बुद्धि बढ़ाने व मेहनत ज्यादा करने की है। स्वयं को इस युद्ध के लिए योद्धा की तरह तैयार करना है। कठिन है तो है, अब इस कठिनाई को पार करना है। कोर्स डिज़ाइन करने वाले टीचर एलियन नहीं थे, इंसान थे। अतः उन्हें विश्वास था कि किस उम्र के बच्चे कितने हद तक युद्ध जीत सकते हैं, उतनी ही कठिनाई नर्सरी से ट्वेल्थ तक कोर्स की रखी है।
प्रश्न 14- *माता-पिता पढ़ने के लिए व अधिक अंक लाने के लिए मानसिक दबाव बनाते हैं।*
उत्तर - बेटे, हवा चलेगी व दिया जलेगा। हवा की मजबूरी है चलना। दिए की मजबूरी है जलना। दोनों को अपना अपना काम करना है। हवा न होगी तो दिया बिन हवा के जलेगा नहीं। ज्यादा तेज चला तो दिया ही बुझ जाएगा। अतः तुम माता पिता के प्रेशर को चुनौती की तरह लो, जो कर सकते हो करो। जो नहीं सम्भव उसके लिए उनकी जली कटी नीम व कड़वे करेले की तरह गाली खा लो। विश्वास मानो यह नीम व करेला स्वाद भले न दे लेकिन स्वास्थ्य बना देता है। मन ही मन उनका एंगल समझो, वो बेचारे तुम्हारा भला ही चाहते हैं, अतः उनके कड़वे वचनों को दिल से मत लो।
प्रश्न 15- *नकारात्मक विचार परीक्षा के परिणाम के भयग्रस्त बनाते हैं।*
उत्तर - नकारात्मक भय का अंधकार तब हावी होगा, जब सकारात्मक प्रकाश युक्त विचारों का अभाव होगा। अतः बेटे नित्य महापुरुषों की जीवनियां 10 मिनट पढ़ो, इनकी जीवनियां तुम्हारे जीवन में साहसी विचारों की भरमार कर देंगी। तुम नकारात्मक विचारों को परास्त करने में सक्षम हो जाओगे।
प्रश्न - 16- *मुझे क्लास में नम्बर वन बनना है इसके लिए क्या करें?*
उत्तर- यह ख्वाइश तुम्हें जीवन में बेस्ट नहीं बनने देगी। तुम अपना वर्तमान स्कोर चेक करो, मान लो 80% आता है। अब इस वर्ष 90% टारगेट बनाया। तो यदि तुमने 90% स्कोर किया तो खुश हो जाओ। किसी का 99% आये तो तुम दुःखी मत हो और किसी का 79% आया तो उससे बेहतर होने की खुशी मत मनाओ। व्यक्ति से नहीं समय व अपने बनाये लक्ष्य से कम्पटीशन करो। बड़े लक्ष्य प्राप्त कर कुछ बनना है तो केवल स्वयं से व समय से कम्पटीशन करो।
प्रश्न - 17- *दोस्तों से गपशप व व्हाट्सएप में चैट करना अच्छा लगता है।*
उत्तर- जैसे चाय को छानकर पीते हो, वैसे ही गपशप व व्हाट्सएप में तीन छन्नी -फिल्टर लगा लो। क्या इस गपशप से मुझे कोई फायदा है? क्या इस गपशप में जो मेरे साथ कर रहा है उसे कोई फायदा है? क्या इस गपशप में कोई सच्चाई तथ्य तर्क प्रमाण है? यदि तीन फिल्टर फेल होते हैं तो यह गपशप हानिकारक है, त्याग दें। यदि फ़िल्टर पास हो रहा है तो गपशप उपयोगी है जरूर करें।
प्रश्न - 18 - *लक्ष्य कैसे निर्धारित करें?*
उत्तर- स्वयं में जन्मजात प्रतिभा व योग्यता क्या है? उस प्रतिभा का क्या शौक के रूप में अपनाना है या उसे कमाने का जरिया बनाना है। प्रतिभा को स्किलसेट बनाने के लिए उस दिशा में मेहनत व प्रयास करें। लक्ष्य स्वयं चुन लें या घर मे बड़ो से मदद लें।
प्रश्न - 19- *कौन सा ध्यान व कितने मिनट बुद्धि के लिए उत्तम है?*
उत्तर- उगते सूर्य का ध्यान व दिमाग मे नीले प्रकाश का ध्यान बुद्धि विकास के लिए उत्तम है।
प्रश्न- 20- *कौन सा योग व्यायाम बुद्धि विकास के लिए करें।?*
उत्तर- सुबह सूर्योदय से पहले उठें, टहलें। घर आकर प्रज्ञा योग व भ्रामरी प्राणायाम करें। गणेश योग(सुपर ब्रेन योग भी उपयोगी है।
🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन
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