प्रश्न - *दी, मुझे नवजात बच्चे की गर्भनाल से सम्बन्धी जानकारी चाहिए। मेरी पत्नी 7 महीने की गर्भवती है। गर्भनाल का थोड़ा सा जो हिस्सा बच्चे के शरीर में लगा होता है, उसे छोड़कर अन्य सब भाग नर्स कूड़े में फेंक देती है। क्या उसका विधिवत निस्तारण होना चाहिए?*
उत्तर- आत्मीय भाई, मां व पिता बनना किसी भी महिला व पुरुष के लिए काफी सुखद और रोमांचक एहसास होता है। एक मां व पिता अपने बच्चे को अपनी जान से ज्यादा प्यार करती है। अपने बच्चे की हर तकलीफ को मां व पिता गहराई से समझ सकते है। माता का गर्भ पेट होता है तो पिता का गर्भ उसका दिमाग होता है।
आइये आपको गर्भ में 9 महीने तक उसके जीवन की रक्षा करने में बच्चे की माँ के साथ- साथ गर्भनाल(Umbilical Cord) का क्या महत्व है समझाते हैं। गर्भावस्था में बच्चे की गर्भनाल ही उसकी लाइफलाइन होती है जिसकी मदद से बच्चे को सभी पोषक तत्व और ऑक्सीजन मिलता है। ये गर्भाशय में आपको और बच्चे को छठे सप्ताह से बच्चे के जन्म तक जोड़े रखता है।
*बच्चे के लिए गर्भनाल का महत्व*
गर्भनाल कई तरीकों से बच्चे के लिए महत्वपूर्ण होती है। बच्चे के कुल वजन का छठा हिस्सा इसी गर्भनाल का होता है। आइए जानते हैं कि बच्चे के विकास में गर्भनाल किस तरह अहम भूमिका निभाती है:
गर्भनाल ही बच्चे के विकास को प्रेरित करती है। इसी की वजह से बच्चा मां के गर्भ में जीवित रहता है। यह सुरक्षा के साथ-साथ पोषण देने का भी काम करती है। यह बच्चे को कई तरह के संक्रमण से सुरक्षित रखने का काम करती है। गर्भनाल मां और बच्चे को जोड़ने का काम करती है। मां जो कुछ भी खाती है, आहार नाल के माध्यम से उसका पोषण बच्चे को भी मिलता है। गर्भनाल बच्चे के लिए फिल्टर की तरह भी काम करती है। यह उस तक सिर्फ पोषण पहुंचाती है और विषैले पदार्थों को भ्रूण तक नहीं जाने देती।
साथ ही गर्भनाल शरीर में लैक्टोजन के बनने में मदद करती है, जो मां के शरीर में दूध बनने की प्रक्रिया को प्रेरित करता है। जब बच्चे का जन्म होता है तो गर्भनाल की जरूरत नहीं होती है। तब बच्चा सांस ले सकता है, खुद खा सकता है और शरीर के अपशिष्ट भी निकाल सकता है। इसलिए गर्भावस्था के अंत में इस गर्भनाल को दोनों माँ और शिशु के छोरों से काट दिया जाता है। जब इसे शिशु के छोर से काटा जाता है, तो 2 से 3 सेंटीमीटर तक की छोटी सी खूंटी यानि गर्भनाल के स्टंप को बच्चे के पेट पर छोड़ दिया जाता है। अब तो बच्चे की नाल को सहेजकर रखा जाने लगा है क्योंकि इससे बच्चे की अनुवांशिक बीमारियों या फिर किसी भी मेडिकल केस हिस्ट्री को समझने में मदद मिलती है और बेहतर तरीके से सटीक इलाज मिल पाता है।
👇🏻
*अतः जो गर्भनाल बच्चे की एक सप्ताह में स्वतः सूखकर गिरे उसे सम्हाल कर रुई से कवर कर एयरटाइट डब्बे में गायत्रीमंत्र बोलकर सुरक्षित रख लें। घर में सुरक्षित किसी आलमारी में रख दें।*
*अन्य जो गर्भनाल का पार्ट जन्म के वक्त हॉस्पिटल में फेंका जाता है उसकी परवाह करने की जरूरत नहीं वो नाखून व बाल की तरह कचड़ा है। उसके फेंकने से कोई नुकसान नहीं।*
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गर्भनाल के स्टंप का ध्यान इसके सूखने तक रखना होता है क्योंकि इस गर्भनाल के स्टंप में कोई भी नस नहीं होती इसलिए यह आपके शिशु को पीड़ा नहीं पहुँचाती है। जन्म के तुंरत बाद गर्भनाल बिल्कुल सफेद और चमकता हुआ नजर आता है। अगले कुछ सप्ताह के (लगभग दो-तीन सप्ताह) बाद स्टंप मुरझाने लग जाता है फिर सूख जाता है। इसका रंग धीरे धीरे भूरा, ग्रे या काला भी हो जाता है। ये स्टंप धीरे धीरे खुद खत्म हो जाते हैं। लेकिन कई ऐसी बातें हैं जो नए पैरेंट्स को ध्यान में रखनी चाहिए।
आपके बच्चे के गर्भनाल स्टंप को डॉक्टर अच्छे से एंटिसेप्टिक से जन्म के एक घंटे के अंदर साफ करते हैं। ऐसा इंफेक्शन से बचने के लिए किया जाता है। बच्चे के गर्भनाल पर लगे क्लिप को अमूमन 24 घंटे में हटा दिया जाता है। हॉस्पिटल से निकलने से पहले क्लिप को जरूर हटा दें क्योंकि इसका डायपर बदलने के दौरान खींचे जाने का डर होता है जिससे स्टंप को नुकसान भी पहुंच सकता है और ये बच्चे के लिए भी सही नही है।
पहले पैरेंट्स को पहले कहा जाता था कि डायपर बदलते वक्त बेबी स्टंप को अच्छे से साफ करें। लेकिन अब हेल्थ प्रोफेशन ऐसा करने से मना करते हैं और ज्यादातर समय कहा जाता है कि इसे बिल्कुल भी ना छुए। इससे ये जल्दी ठीक होता है। अगर क्लिप अभी भी जुड़ा हुआ है तो क्लिप को धीरे से उठाएं और साफ करें। गर्भनाल के स्टंप के साथ आपको छेड़खानी करने से बचना चाहिए , उसे खुद से ही गिरने दें। ज्यादातर समय स्टंप खुद एक से दो सप्ताह के अंदर गिर जाता है। कभी कभी हो सकता है आप हल्का नाम मात्र का खून दिखे लेकिन इसके लिए आप चिंता ना करें। साफ कपड़े से उसे पोंछ दे।
*गर्भनाल से जुडी इन 6 बातों का ध्यान रखें*
इसके अलावा कुछ अन्य बातों का ध्यान रखा जाना भी आवश्यक है, जैसे...
👉🏻अगर नवजात शिशु में बुखार (100.4° F/38°C) से अधिक हो तो इसे मेडिकल इमरजेंसी समझें औरबच्चे को तुरंत डॉक्टर के पास लेकर जाएं।
👉🏻अगर गर्भनाल के आसपाल त्वचा लाल, गर्म, सूजन नहीं हो लेकिन आप स्टंप गिर जाने के बाद भी नाभी से लगातार हल्का हरा या पीला डिस्चार्च देख रहे हैं तो ये गर्भनाल ग्रैनुलोमा हो सकता है। ये हल्का गुलाबी-लाल रंग का गांठ होता है जहां से डिस्चार्ज दिखाई देता है। इसका आसानी से उपचार किया जा सकता है। इस स्थिति में सिल्वर नाइट्रेट गर्भनाल में दिया जाता है। सिल्वर नाइट्रेट स्टंप के पास टिशू को सूखा कर देता है और धीरे धीरे नॉर्मल त्वचा वहां बनने लगती है। सबसे अच्छी बात है कि इस प्रक्रिया से बेबी को दर्द भी नहीं होता है।
👉🏻स्टंप के आसपास हल्का सूखे खून का होना नॉर्मल है लेकिन अगर आपको गर्भनाल से निरंतर रक्तस्त्राव दिखाई दे तो ये चिंता की बात जरूर है। अगर गर्भनाल के स्टंप में किसी तरह की परेशानी आ रही है । जैसे गर्भ नाल स्टंप के तल पर आये पस से बदबू आ रहीं हो, या फिर गर्भ नाल स्टंप के पास से खून की बूँदें लगातार बह रही हो, गर्भ नाल स्टंप का तल लाल और सूजा हुआ लगे, आपका शिशु गर्भ नाल स्टंप पर हाथ लगाने से रोने लगता है, तो आप अपने बच्चे को तुरंत डॉक्टर को दिखाएँ।
👉🏻बच्चे के नाभी के आसपास उभरा हुआ टिशू स्टंप के गिरने के बाद दिखाई दे तो इसे गर्भनाल हर्निया कहते हैं। ज्यादातर ये खुद ब खुद ठीक हो जाते हैं लेकिन फिर भी डॉक्टर को जरूर दिखाएं।
👉🏻अगर बच्चे का गर्भनाल स्टंप खुद 4 सप्ताह में ना खत्म हो तो डॉक्टर से जरूर संपर्क करें। ये इम्यून से जुड़ी समस्या भी हो सकती है।
👉🏻इस बात को याद रखें कि हल्का हल्का सूखा खून होना नॉर्मल है। पीडियाट्रिशियन के अनुसार स्टंप को हमेशा हवा लगने दें। इससे वो जल्दी सूखेगा। गर्मियों के मौसम में बच्चों को सूती कपड़े पहनाएं। इससे उनका स्टंप जल्दी सूखेगा। हमेशा कोशिश करें कि बच्चे को स्पॉन्ज बाथ दें खासकर जब बच्चे का गर्भनाल स्टंप सूख रहा हो। गर्भनाल के गिरने तक शिशु को टब में नहलाने से परहेज रखें।
अतः स्पष्ट है कि गर्भावस्था में बच्चे के पोषण के लिए गर्भनाल अत्यंत महत्वपूर्ण है और बच्चे के जन्म के बाद भी गर्भनाल के स्टम्प का ख्याल रखना उतना ही जरूरी है। संक्रमण से बचने के लिए साफ-सफाई रखें और किसी भी समस्या के लिए तत्काल डॉक्टर से संपर्क करें।
बच्चे को गोद में लेकर गायत्री मंत्र उगते हुए सूर्य का ध्यान करते हुए जपें, इससे बालक की प्राण ऊर्जा चार्ज होगी। बच्चे को गोद मे लेकर गायत्री चालीसा का पाठ अत्यंत लाभकारी है, इससे बच्चे की प्राणिक ऊर्जा चार्ज व सुरक्षित होती है।
🙏🏻श्वेता, DIYA
उत्तर- आत्मीय भाई, मां व पिता बनना किसी भी महिला व पुरुष के लिए काफी सुखद और रोमांचक एहसास होता है। एक मां व पिता अपने बच्चे को अपनी जान से ज्यादा प्यार करती है। अपने बच्चे की हर तकलीफ को मां व पिता गहराई से समझ सकते है। माता का गर्भ पेट होता है तो पिता का गर्भ उसका दिमाग होता है।
आइये आपको गर्भ में 9 महीने तक उसके जीवन की रक्षा करने में बच्चे की माँ के साथ- साथ गर्भनाल(Umbilical Cord) का क्या महत्व है समझाते हैं। गर्भावस्था में बच्चे की गर्भनाल ही उसकी लाइफलाइन होती है जिसकी मदद से बच्चे को सभी पोषक तत्व और ऑक्सीजन मिलता है। ये गर्भाशय में आपको और बच्चे को छठे सप्ताह से बच्चे के जन्म तक जोड़े रखता है।
*बच्चे के लिए गर्भनाल का महत्व*
गर्भनाल कई तरीकों से बच्चे के लिए महत्वपूर्ण होती है। बच्चे के कुल वजन का छठा हिस्सा इसी गर्भनाल का होता है। आइए जानते हैं कि बच्चे के विकास में गर्भनाल किस तरह अहम भूमिका निभाती है:
गर्भनाल ही बच्चे के विकास को प्रेरित करती है। इसी की वजह से बच्चा मां के गर्भ में जीवित रहता है। यह सुरक्षा के साथ-साथ पोषण देने का भी काम करती है। यह बच्चे को कई तरह के संक्रमण से सुरक्षित रखने का काम करती है। गर्भनाल मां और बच्चे को जोड़ने का काम करती है। मां जो कुछ भी खाती है, आहार नाल के माध्यम से उसका पोषण बच्चे को भी मिलता है। गर्भनाल बच्चे के लिए फिल्टर की तरह भी काम करती है। यह उस तक सिर्फ पोषण पहुंचाती है और विषैले पदार्थों को भ्रूण तक नहीं जाने देती।
साथ ही गर्भनाल शरीर में लैक्टोजन के बनने में मदद करती है, जो मां के शरीर में दूध बनने की प्रक्रिया को प्रेरित करता है। जब बच्चे का जन्म होता है तो गर्भनाल की जरूरत नहीं होती है। तब बच्चा सांस ले सकता है, खुद खा सकता है और शरीर के अपशिष्ट भी निकाल सकता है। इसलिए गर्भावस्था के अंत में इस गर्भनाल को दोनों माँ और शिशु के छोरों से काट दिया जाता है। जब इसे शिशु के छोर से काटा जाता है, तो 2 से 3 सेंटीमीटर तक की छोटी सी खूंटी यानि गर्भनाल के स्टंप को बच्चे के पेट पर छोड़ दिया जाता है। अब तो बच्चे की नाल को सहेजकर रखा जाने लगा है क्योंकि इससे बच्चे की अनुवांशिक बीमारियों या फिर किसी भी मेडिकल केस हिस्ट्री को समझने में मदद मिलती है और बेहतर तरीके से सटीक इलाज मिल पाता है।
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*अतः जो गर्भनाल बच्चे की एक सप्ताह में स्वतः सूखकर गिरे उसे सम्हाल कर रुई से कवर कर एयरटाइट डब्बे में गायत्रीमंत्र बोलकर सुरक्षित रख लें। घर में सुरक्षित किसी आलमारी में रख दें।*
*अन्य जो गर्भनाल का पार्ट जन्म के वक्त हॉस्पिटल में फेंका जाता है उसकी परवाह करने की जरूरत नहीं वो नाखून व बाल की तरह कचड़ा है। उसके फेंकने से कोई नुकसान नहीं।*
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गर्भनाल के स्टंप का ध्यान इसके सूखने तक रखना होता है क्योंकि इस गर्भनाल के स्टंप में कोई भी नस नहीं होती इसलिए यह आपके शिशु को पीड़ा नहीं पहुँचाती है। जन्म के तुंरत बाद गर्भनाल बिल्कुल सफेद और चमकता हुआ नजर आता है। अगले कुछ सप्ताह के (लगभग दो-तीन सप्ताह) बाद स्टंप मुरझाने लग जाता है फिर सूख जाता है। इसका रंग धीरे धीरे भूरा, ग्रे या काला भी हो जाता है। ये स्टंप धीरे धीरे खुद खत्म हो जाते हैं। लेकिन कई ऐसी बातें हैं जो नए पैरेंट्स को ध्यान में रखनी चाहिए।
आपके बच्चे के गर्भनाल स्टंप को डॉक्टर अच्छे से एंटिसेप्टिक से जन्म के एक घंटे के अंदर साफ करते हैं। ऐसा इंफेक्शन से बचने के लिए किया जाता है। बच्चे के गर्भनाल पर लगे क्लिप को अमूमन 24 घंटे में हटा दिया जाता है। हॉस्पिटल से निकलने से पहले क्लिप को जरूर हटा दें क्योंकि इसका डायपर बदलने के दौरान खींचे जाने का डर होता है जिससे स्टंप को नुकसान भी पहुंच सकता है और ये बच्चे के लिए भी सही नही है।
पहले पैरेंट्स को पहले कहा जाता था कि डायपर बदलते वक्त बेबी स्टंप को अच्छे से साफ करें। लेकिन अब हेल्थ प्रोफेशन ऐसा करने से मना करते हैं और ज्यादातर समय कहा जाता है कि इसे बिल्कुल भी ना छुए। इससे ये जल्दी ठीक होता है। अगर क्लिप अभी भी जुड़ा हुआ है तो क्लिप को धीरे से उठाएं और साफ करें। गर्भनाल के स्टंप के साथ आपको छेड़खानी करने से बचना चाहिए , उसे खुद से ही गिरने दें। ज्यादातर समय स्टंप खुद एक से दो सप्ताह के अंदर गिर जाता है। कभी कभी हो सकता है आप हल्का नाम मात्र का खून दिखे लेकिन इसके लिए आप चिंता ना करें। साफ कपड़े से उसे पोंछ दे।
*गर्भनाल से जुडी इन 6 बातों का ध्यान रखें*
इसके अलावा कुछ अन्य बातों का ध्यान रखा जाना भी आवश्यक है, जैसे...
👉🏻अगर नवजात शिशु में बुखार (100.4° F/38°C) से अधिक हो तो इसे मेडिकल इमरजेंसी समझें औरबच्चे को तुरंत डॉक्टर के पास लेकर जाएं।
👉🏻अगर गर्भनाल के आसपाल त्वचा लाल, गर्म, सूजन नहीं हो लेकिन आप स्टंप गिर जाने के बाद भी नाभी से लगातार हल्का हरा या पीला डिस्चार्च देख रहे हैं तो ये गर्भनाल ग्रैनुलोमा हो सकता है। ये हल्का गुलाबी-लाल रंग का गांठ होता है जहां से डिस्चार्ज दिखाई देता है। इसका आसानी से उपचार किया जा सकता है। इस स्थिति में सिल्वर नाइट्रेट गर्भनाल में दिया जाता है। सिल्वर नाइट्रेट स्टंप के पास टिशू को सूखा कर देता है और धीरे धीरे नॉर्मल त्वचा वहां बनने लगती है। सबसे अच्छी बात है कि इस प्रक्रिया से बेबी को दर्द भी नहीं होता है।
👉🏻स्टंप के आसपास हल्का सूखे खून का होना नॉर्मल है लेकिन अगर आपको गर्भनाल से निरंतर रक्तस्त्राव दिखाई दे तो ये चिंता की बात जरूर है। अगर गर्भनाल के स्टंप में किसी तरह की परेशानी आ रही है । जैसे गर्भ नाल स्टंप के तल पर आये पस से बदबू आ रहीं हो, या फिर गर्भ नाल स्टंप के पास से खून की बूँदें लगातार बह रही हो, गर्भ नाल स्टंप का तल लाल और सूजा हुआ लगे, आपका शिशु गर्भ नाल स्टंप पर हाथ लगाने से रोने लगता है, तो आप अपने बच्चे को तुरंत डॉक्टर को दिखाएँ।
👉🏻बच्चे के नाभी के आसपास उभरा हुआ टिशू स्टंप के गिरने के बाद दिखाई दे तो इसे गर्भनाल हर्निया कहते हैं। ज्यादातर ये खुद ब खुद ठीक हो जाते हैं लेकिन फिर भी डॉक्टर को जरूर दिखाएं।
👉🏻अगर बच्चे का गर्भनाल स्टंप खुद 4 सप्ताह में ना खत्म हो तो डॉक्टर से जरूर संपर्क करें। ये इम्यून से जुड़ी समस्या भी हो सकती है।
👉🏻इस बात को याद रखें कि हल्का हल्का सूखा खून होना नॉर्मल है। पीडियाट्रिशियन के अनुसार स्टंप को हमेशा हवा लगने दें। इससे वो जल्दी सूखेगा। गर्मियों के मौसम में बच्चों को सूती कपड़े पहनाएं। इससे उनका स्टंप जल्दी सूखेगा। हमेशा कोशिश करें कि बच्चे को स्पॉन्ज बाथ दें खासकर जब बच्चे का गर्भनाल स्टंप सूख रहा हो। गर्भनाल के गिरने तक शिशु को टब में नहलाने से परहेज रखें।
अतः स्पष्ट है कि गर्भावस्था में बच्चे के पोषण के लिए गर्भनाल अत्यंत महत्वपूर्ण है और बच्चे के जन्म के बाद भी गर्भनाल के स्टम्प का ख्याल रखना उतना ही जरूरी है। संक्रमण से बचने के लिए साफ-सफाई रखें और किसी भी समस्या के लिए तत्काल डॉक्टर से संपर्क करें।
बच्चे को गोद में लेकर गायत्री मंत्र उगते हुए सूर्य का ध्यान करते हुए जपें, इससे बालक की प्राण ऊर्जा चार्ज होगी। बच्चे को गोद मे लेकर गायत्री चालीसा का पाठ अत्यंत लाभकारी है, इससे बच्चे की प्राणिक ऊर्जा चार्ज व सुरक्षित होती है।
🙏🏻श्वेता, DIYA
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