प्रश्न - *रोगोपचार के दौरान "भावना मन्त्र" जप द्वारा शीघ्रता से स्वास्थ्य उपचार करने का उपक्रम व नियम विधि दे दीजिए।*
उत्तर- आत्मीय दी, *युगऋषि* पुस्तक 📖 *पँच तत्वों द्वारा सम्पूर्ण रोगों का निवारण* में गिरा हुआ स्वास्थ्य सम्हालने व रोगी के स्वास्थ्य में आशातीत सुधार हेतु *भावना मन्त्र* को विस्तार से बताया है।
अच्छे सकारात्मक विचार से 👉🏻 अच्छी भावनाएं 👉🏻 अच्छी भावनाओं से 👉🏻 स्वास्थ्यकर अच्छे हार्मोन्स स्राव 👉🏻 जिससे स्वास्थ्य लाभ मिलता है।
प्रतिदिन प्रातःकाल या सायं काल एकांत स्थान पर शांत चित्त होकर, नेत्र बन्द करके बैठ जाइए। शरीर को शिथिल व आरामदायक मुद्रा में रखिये। सब ओर से ध्यान हटाकर शरीर को निम्नलिखित *भावना मन्त्र* पर मन-चित्त को ध्यानस्थ कीजिये। दृढ़ता से यह विश्वास कीजिये कि *भावना मन्त्र* में कहे गए *दिव्य शक्ति युक्त वचन* से आपके स्वास्थ्य में सुधार हो रहा है। आप स्वस्थ हो रहे हैं।
सर्वप्रथम मन ही मन 5 बार गायत्रीमंत्र जपिये व 3 बार महामृत्युंजय मंत्र जपिये:-
गायत्रीमंत्र - *ॐ भूर्भुवः स्व: तत् सवितुर्वरेण्यं। भर्गोदेवस्य धीमहि। धियो यो न: प्रचोदयात्।*
महामृत्युंजय मंत्र - *ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।*
*उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥*
कुछ क्षण ईश्वर का ध्यान कीजिये, फिर भावना मन्त्र के एक एक वाक्यों को ध्यान से बोलिये व महसूस कीजिये।
👉🏻🌹🌹 *भावना मन्त्र* 🌹🌹👈🏻
"मेरे रक्त का रंग खूब लाल है, यह मेरे उत्तम स्वास्थ्य का द्योतक है। इसमें अपूर्व ताजापन है। इसमें कोई विजातीय तत्व नहीं है, इस रक्त में प्राण तत्व प्रवाहित हो रहा है। मैं स्वस्थ व सुडौल हूँ और मेरे शरीर के अणु अणु से जीवन रश्मियाँ नीली नीली रौशनी के रूप में निकल रही है। मेरे नेत्रों से तेज और ओज निकल रहा है, जिससे मेरी तेजस्विता, मनस्विता, प्रखरता व सामर्थ्य प्रकाशित हो रहा है। मेरे फेफड़े बलवान व स्वस्थ हैं, मैं गहरी श्वांस ले रहा हूँ, मेरी श्वांस से ब्रह्मांड में व्याप्त प्राणतत्व खीचा जा रहा है, यह मुझे नित्य रोग मुक्त कर रहा है। मुझे किसी भी प्रकार का रोग नहीं है, मैं मेरे स्वास्थ्य को दिन प्रति दिन निखरता महसूस कर रहा हूँ। यह मेरी प्रत्यक्ष अनुभूति है कि मेरा अंग अंग मजबूत व प्राणवान हो रहा है। मैं शक्तिशाली हूँ। आरोग्य-रक्षिणी शक्ति मेरे रक्त के अंदर प्रचुर मात्रा में मौजूद है।"
"मैं शुद्ध आत्मतेज को धारण कर रहा हूँ, अपनी शक्ति व स्वास्थ्य की वृद्धि करना मेरा परम् लक्ष्य है। मैं आधिकारिक शक्ति प्राप्त करूंगा, स्वस्थ बनूँगा, ऊंचा उठूँगा। समस्त बीमारी और कमज़ोरियों को परास्त कर दूंगा। मेरे भीतर की चेतन व गुप्त शक्तियां जागृत हो उठी हैं।"
"अब मैं एक बलवान शक्ति पिंड हूँ, एक ऊर्जा पुंज हूँ। अब मैं जीवन तत्वों का भंडार हूँ। अब मैं स्वस्थ, बलवान और प्रशन्न हूँ।"
निम्नलिखित सङ्कल्प मन में पूर्ण विश्वास से दोहराईये:-
1- मैं त्रिपदा गायत्री की सर्वशक्तिमान पुत्री हूँ।
2- मैं बुद्धिमान, ऐश्वर्यवान व बलवान परमात्मा का बुद्धिमान, ऐश्वर्यवान व बलवान पुत्री हूँ।
3- मैं गायत्री की गर्भनाल से जुड़ी हूँ और माता गायत्री मेरा पोषण कर रही हैं। मुझे बुद्धि, स्वास्थ्य, सौंदर्य व बल प्रदान कर रही है।
4- मैं वेदमाता का वेददूत पुत्री हूँ। मुझमें ज्ञान जग रहा है।
5- जो गुण माता के हैं वो समस्त गुण मुझमें है।
👇🏻👇🏻
फिर गायत्रीमंत्र - *ॐ भूर्भुवः स्व: तत् सवितुर्वरेण्यं। भर्गोदेवस्य धीमहि। धियो यो न: प्रचोदयात्।* बोलते हुए दोनों हाथ को आपस मे रगड़िये। हाथ की हथेलियों को आंखों के उपर रखिये धीरे धीरे आंख खोलकर हथेलियों को देखिए। फिर हाथ को पहले चेहरे पर ऐसे घुमाइए मानो प्राणतत्व की औषधीय क्रीम चेहरे पर लगा रहे हो। फिर हाथ को समस्त शरीर मे घुमाइए।
शांति तीन पाठ निम्नलिखित मन्त्र द्वारा बोलिये सबके स्वास्थ्य और आरोग्य के लिए दोहराइये:-
सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामयाः,
सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चिद् दुःख भाग्भवेत्।
ॐ शांतिः शांतिः शांतिः
🙏🏻श्वेता, DIYA
उत्तर- आत्मीय दी, *युगऋषि* पुस्तक 📖 *पँच तत्वों द्वारा सम्पूर्ण रोगों का निवारण* में गिरा हुआ स्वास्थ्य सम्हालने व रोगी के स्वास्थ्य में आशातीत सुधार हेतु *भावना मन्त्र* को विस्तार से बताया है।
अच्छे सकारात्मक विचार से 👉🏻 अच्छी भावनाएं 👉🏻 अच्छी भावनाओं से 👉🏻 स्वास्थ्यकर अच्छे हार्मोन्स स्राव 👉🏻 जिससे स्वास्थ्य लाभ मिलता है।
प्रतिदिन प्रातःकाल या सायं काल एकांत स्थान पर शांत चित्त होकर, नेत्र बन्द करके बैठ जाइए। शरीर को शिथिल व आरामदायक मुद्रा में रखिये। सब ओर से ध्यान हटाकर शरीर को निम्नलिखित *भावना मन्त्र* पर मन-चित्त को ध्यानस्थ कीजिये। दृढ़ता से यह विश्वास कीजिये कि *भावना मन्त्र* में कहे गए *दिव्य शक्ति युक्त वचन* से आपके स्वास्थ्य में सुधार हो रहा है। आप स्वस्थ हो रहे हैं।
सर्वप्रथम मन ही मन 5 बार गायत्रीमंत्र जपिये व 3 बार महामृत्युंजय मंत्र जपिये:-
गायत्रीमंत्र - *ॐ भूर्भुवः स्व: तत् सवितुर्वरेण्यं। भर्गोदेवस्य धीमहि। धियो यो न: प्रचोदयात्।*
महामृत्युंजय मंत्र - *ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।*
*उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥*
कुछ क्षण ईश्वर का ध्यान कीजिये, फिर भावना मन्त्र के एक एक वाक्यों को ध्यान से बोलिये व महसूस कीजिये।
👉🏻🌹🌹 *भावना मन्त्र* 🌹🌹👈🏻
"मेरे रक्त का रंग खूब लाल है, यह मेरे उत्तम स्वास्थ्य का द्योतक है। इसमें अपूर्व ताजापन है। इसमें कोई विजातीय तत्व नहीं है, इस रक्त में प्राण तत्व प्रवाहित हो रहा है। मैं स्वस्थ व सुडौल हूँ और मेरे शरीर के अणु अणु से जीवन रश्मियाँ नीली नीली रौशनी के रूप में निकल रही है। मेरे नेत्रों से तेज और ओज निकल रहा है, जिससे मेरी तेजस्विता, मनस्विता, प्रखरता व सामर्थ्य प्रकाशित हो रहा है। मेरे फेफड़े बलवान व स्वस्थ हैं, मैं गहरी श्वांस ले रहा हूँ, मेरी श्वांस से ब्रह्मांड में व्याप्त प्राणतत्व खीचा जा रहा है, यह मुझे नित्य रोग मुक्त कर रहा है। मुझे किसी भी प्रकार का रोग नहीं है, मैं मेरे स्वास्थ्य को दिन प्रति दिन निखरता महसूस कर रहा हूँ। यह मेरी प्रत्यक्ष अनुभूति है कि मेरा अंग अंग मजबूत व प्राणवान हो रहा है। मैं शक्तिशाली हूँ। आरोग्य-रक्षिणी शक्ति मेरे रक्त के अंदर प्रचुर मात्रा में मौजूद है।"
"मैं शुद्ध आत्मतेज को धारण कर रहा हूँ, अपनी शक्ति व स्वास्थ्य की वृद्धि करना मेरा परम् लक्ष्य है। मैं आधिकारिक शक्ति प्राप्त करूंगा, स्वस्थ बनूँगा, ऊंचा उठूँगा। समस्त बीमारी और कमज़ोरियों को परास्त कर दूंगा। मेरे भीतर की चेतन व गुप्त शक्तियां जागृत हो उठी हैं।"
"अब मैं एक बलवान शक्ति पिंड हूँ, एक ऊर्जा पुंज हूँ। अब मैं जीवन तत्वों का भंडार हूँ। अब मैं स्वस्थ, बलवान और प्रशन्न हूँ।"
निम्नलिखित सङ्कल्प मन में पूर्ण विश्वास से दोहराईये:-
1- मैं त्रिपदा गायत्री की सर्वशक्तिमान पुत्री हूँ।
2- मैं बुद्धिमान, ऐश्वर्यवान व बलवान परमात्मा का बुद्धिमान, ऐश्वर्यवान व बलवान पुत्री हूँ।
3- मैं गायत्री की गर्भनाल से जुड़ी हूँ और माता गायत्री मेरा पोषण कर रही हैं। मुझे बुद्धि, स्वास्थ्य, सौंदर्य व बल प्रदान कर रही है।
4- मैं वेदमाता का वेददूत पुत्री हूँ। मुझमें ज्ञान जग रहा है।
5- जो गुण माता के हैं वो समस्त गुण मुझमें है।
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फिर गायत्रीमंत्र - *ॐ भूर्भुवः स्व: तत् सवितुर्वरेण्यं। भर्गोदेवस्य धीमहि। धियो यो न: प्रचोदयात्।* बोलते हुए दोनों हाथ को आपस मे रगड़िये। हाथ की हथेलियों को आंखों के उपर रखिये धीरे धीरे आंख खोलकर हथेलियों को देखिए। फिर हाथ को पहले चेहरे पर ऐसे घुमाइए मानो प्राणतत्व की औषधीय क्रीम चेहरे पर लगा रहे हो। फिर हाथ को समस्त शरीर मे घुमाइए।
शांति तीन पाठ निम्नलिखित मन्त्र द्वारा बोलिये सबके स्वास्थ्य और आरोग्य के लिए दोहराइये:-
सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामयाः,
सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चिद् दुःख भाग्भवेत्।
ॐ शांतिः शांतिः शांतिः
🙏🏻श्वेता, DIYA
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