प्रश्न- *क्या केवल यज्ञोपवीत संस्कार/शिखा/चोटी धारण करनेवाले ही केवल गायत्रीमंत्र जप सकते हैं? क्या गुरुदीक्षा के बिना गायत्री मंत्र नहीं जपा जा सकता?*
उत्तर- आत्मीय भाई,
जिस प्रकार पढ़ाई विद्यालय में प्रवेश ले कर या बिना प्रवेश लिए हो सकती है, साथ ही अध्यापक के मार्गदर्शन में और बिना अध्यापक के मार्गदर्शन की हो सकती है। यूनिफॉर्म या बिना यूनिफॉर्म के हो सकती है।
ठीक इसी तरह गायत्रीमंत्र की साकार व निराकार दोनों साधना हो सकता है, गायत्रीमंत्र साधना सद्गुरु के मार्गदर्शन के साथ व बिना मार्गदर्शन के भी हो सकता है।
बस जैसे बिना विद्यालय व अध्यात्मक के पढ़ने पर कठिनाई ज्यादा होती है, वैसे ही बिना सद्गुरु के मार्गदर्शन के और साकार त्रिपदा गायत्री की धागे की मूर्ति को शरीर में धारण किये बिना कठिनाई ज्यादा हो सकती है।
अतः निर्णय आपको करना है कि विद्यालय व शिक्षक के मार्गदर्शन में पढ़ना है या नहीं। चेतना के महाविद्यालय में गुरुदीक्षा के माध्यम से प्रवेश लेकर सद्गुरु के मार्गदर्शन में साधना करनी है या नहीं।
गायत्रीमंत्र की साधना बिना सद्गुरु के फलित नहीं होती जो यह कहते हैं वो गलत कहते हैं।
फ़लित बिना गुरु के भी गायत्रीमंत्र साधना होती है, लेकिन कठिनाई बहुत सहनी पड़ती है, जप से पूर्व गुरुआह्वाहन के वक्त जो कार्य गुरुचेतना स्वतः कर देती है, वो समस्त कार्य बिना गुरु वाले साधक को स्वतः करना पड़ता है। गुरु संरक्षण नहीं मिला होता तो बिना संरक्षण की आध्यात्मिक जगत की कठिनाई से स्वयं उबरना होगा।
🙏🏻श्वेता, DIYA
उत्तर- आत्मीय भाई,
जिस प्रकार पढ़ाई विद्यालय में प्रवेश ले कर या बिना प्रवेश लिए हो सकती है, साथ ही अध्यापक के मार्गदर्शन में और बिना अध्यापक के मार्गदर्शन की हो सकती है। यूनिफॉर्म या बिना यूनिफॉर्म के हो सकती है।
ठीक इसी तरह गायत्रीमंत्र की साकार व निराकार दोनों साधना हो सकता है, गायत्रीमंत्र साधना सद्गुरु के मार्गदर्शन के साथ व बिना मार्गदर्शन के भी हो सकता है।
बस जैसे बिना विद्यालय व अध्यात्मक के पढ़ने पर कठिनाई ज्यादा होती है, वैसे ही बिना सद्गुरु के मार्गदर्शन के और साकार त्रिपदा गायत्री की धागे की मूर्ति को शरीर में धारण किये बिना कठिनाई ज्यादा हो सकती है।
अतः निर्णय आपको करना है कि विद्यालय व शिक्षक के मार्गदर्शन में पढ़ना है या नहीं। चेतना के महाविद्यालय में गुरुदीक्षा के माध्यम से प्रवेश लेकर सद्गुरु के मार्गदर्शन में साधना करनी है या नहीं।
गायत्रीमंत्र की साधना बिना सद्गुरु के फलित नहीं होती जो यह कहते हैं वो गलत कहते हैं।
फ़लित बिना गुरु के भी गायत्रीमंत्र साधना होती है, लेकिन कठिनाई बहुत सहनी पड़ती है, जप से पूर्व गुरुआह्वाहन के वक्त जो कार्य गुरुचेतना स्वतः कर देती है, वो समस्त कार्य बिना गुरु वाले साधक को स्वतः करना पड़ता है। गुरु संरक्षण नहीं मिला होता तो बिना संरक्षण की आध्यात्मिक जगत की कठिनाई से स्वयं उबरना होगा।
🙏🏻श्वेता, DIYA
No comments:
Post a Comment