*कविता - उसके जाने का शोक क्यों?*
*जिसे अब हम याद तक नहीं*
उसके जानें का शोक क्यों?
जिसे अब हम याद तक नहीं,
उसके लिए अब मोह क्यों?
जिसे हमारे होने का अहसास तक नहीं।
पिछले जन्म में जब हम मरे थे,
हम भी तो कई परिवार जन से जुड़े थे,
चिता की अग्नि में हमारा देह जला था,
उसी आग में रिश्तों का अस्तित्व भी मिटा था।
जब हमें पूर्वजन्म के परिवार जन याद नहीं,
तो जो हमें छोड़ गया उसे हम भला याद क्यों होंगे?
जिस रिश्ते का अस्तित्व ही जल गया,
जिस रिश्ते का वजूद ही मिट गया।
उसके लिए हमारी आंखों में आँसू क्यों?
जो पंचतत्वों में मिल गया उसके लिए अब मोह क्यों?
माना कठिन है,
एक माँ के लिए सन्तान को भुलाना,
एक पत्नी के लिए पति को भुलाना,
एक पति के लिए पत्नी को भुलाना,
एक बच्चे के लिए माता-पिता को भुलाना,
लेकिन भुलाना तो पड़ेगा,
क्योंकि याद करने से भी,
जो गया वो लौट के नहीं आने वाला।
जिस दिन जन्म हुआ,
उसी दिन मौत का दिन भी तय हुआ,
शरीर रूपी सराय को,
छोड़ने का दिन तय हुआ,
अनन्त यात्रा में बढ़ने का,
एक दिन पुनः तय हुआ।
माना ब्रह्म ज्ञान से,
जाने वाला नहीं लौटेगा,
उसकी क्षति की पूर्ति,
यह ब्रह्म ज्ञान नहीं करेगा।
यह ब्रह्मज्ञान,
बस एक मरहम है,
जो हृदय के घावों को,
जल्दी ठीक करेगा,
जो मोह में पड़े मन को,
पुनः सम्हाल देगा।
हम नहीं चाहेंगे,
जिसे हम छोड़ आये पिछले जन्मों में,
वो हमारे लिए शोक करे,
हम नही चाहेंगे,
जिसे हम छोड़ जाए इस जन्मों में,
वो हमारे लिए शोक करे,
हम चाहेंगे सब ब्रह्म ज्ञानी बने,
आत्मा की अमरता को समझें,
न हम पिछले जन्म में मरे,
न इस जन्म में जन्में,
हम तो अमर यात्री है,
पिछले जन्म की शरीर की सराय खाली करके,
कुछ पल इस शरीर की सराय में ठहरे है,
यह भी खाली करके इक दिन,
नए सफ़र में फिर बढ़ जाएंगे,
बस जो हम समझ गए,
वही समझाना चाहते हैं,
आपको स्वजन बिछोह की,
असह्य पीड़ा से उबारना चाहते हैं।
🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन
*जिसे अब हम याद तक नहीं*
उसके जानें का शोक क्यों?
जिसे अब हम याद तक नहीं,
उसके लिए अब मोह क्यों?
जिसे हमारे होने का अहसास तक नहीं।
पिछले जन्म में जब हम मरे थे,
हम भी तो कई परिवार जन से जुड़े थे,
चिता की अग्नि में हमारा देह जला था,
उसी आग में रिश्तों का अस्तित्व भी मिटा था।
जब हमें पूर्वजन्म के परिवार जन याद नहीं,
तो जो हमें छोड़ गया उसे हम भला याद क्यों होंगे?
जिस रिश्ते का अस्तित्व ही जल गया,
जिस रिश्ते का वजूद ही मिट गया।
उसके लिए हमारी आंखों में आँसू क्यों?
जो पंचतत्वों में मिल गया उसके लिए अब मोह क्यों?
माना कठिन है,
एक माँ के लिए सन्तान को भुलाना,
एक पत्नी के लिए पति को भुलाना,
एक पति के लिए पत्नी को भुलाना,
एक बच्चे के लिए माता-पिता को भुलाना,
लेकिन भुलाना तो पड़ेगा,
क्योंकि याद करने से भी,
जो गया वो लौट के नहीं आने वाला।
जिस दिन जन्म हुआ,
उसी दिन मौत का दिन भी तय हुआ,
शरीर रूपी सराय को,
छोड़ने का दिन तय हुआ,
अनन्त यात्रा में बढ़ने का,
एक दिन पुनः तय हुआ।
माना ब्रह्म ज्ञान से,
जाने वाला नहीं लौटेगा,
उसकी क्षति की पूर्ति,
यह ब्रह्म ज्ञान नहीं करेगा।
यह ब्रह्मज्ञान,
बस एक मरहम है,
जो हृदय के घावों को,
जल्दी ठीक करेगा,
जो मोह में पड़े मन को,
पुनः सम्हाल देगा।
हम नहीं चाहेंगे,
जिसे हम छोड़ आये पिछले जन्मों में,
वो हमारे लिए शोक करे,
हम नही चाहेंगे,
जिसे हम छोड़ जाए इस जन्मों में,
वो हमारे लिए शोक करे,
हम चाहेंगे सब ब्रह्म ज्ञानी बने,
आत्मा की अमरता को समझें,
न हम पिछले जन्म में मरे,
न इस जन्म में जन्में,
हम तो अमर यात्री है,
पिछले जन्म की शरीर की सराय खाली करके,
कुछ पल इस शरीर की सराय में ठहरे है,
यह भी खाली करके इक दिन,
नए सफ़र में फिर बढ़ जाएंगे,
बस जो हम समझ गए,
वही समझाना चाहते हैं,
आपको स्वजन बिछोह की,
असह्य पीड़ा से उबारना चाहते हैं।
🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन
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