Sunday, 20 October 2019

नर्क चतुर्दशी/रूप चतुर्दशी पूजनविधि एवं महत्त्व 👉🏻 द्वितीय दिन - *रुप चतुर्दशी/नरक चौदस* 26 एवं 27 अक्टूबर

*नर्क चतुर्दशी/रूप चतुर्दशी पूजनविधि एवं महत्त्व*

👉🏻 द्वितीय दिन - *रुप चतुर्दशी/नरक चौदस* 26 एवं 27 अक्टूबर

*अभ्यंग स्नान समय (27 अक्टूबर, रविवार)* : 05:15:59 से 06:29:14 तक
*अवधि* : 1 घंटे 13 मिनट

कार्तिक कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी के दिन चंद्र उदय या अरुणोदय (सूर्य उदय से सामान्यत: 1 घंटे 36 मिनट पहले का समय) होने पर नरक चतुर्दशी मनाई जाती है। हालांकि अरुणोदय पर चतुर्दशी मनाने का विधान सबसे ज्यादा प्रचलित है।

चतुर्दशी तिथि 26 अक्टूबर दोपहर से 27 अक्टूबर 12:25:25 तक है।
सूर्योदय चतुर्दशी तिथि में 27 अक्टूबर रविवार को होगा।

मान्यता है कि कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी ( Naraka Chaturdashi 2019 date ) के दिन ब्रह्ममुहूर्त में तिल(तिल्ली) के तेल लगाकर स्नान करने से नरक से मुक्ति मिलती है। वहीं इस दिन शाम को दीपदान की प्रथा है, जिसे यमराज के लिए किया जाता है।

अतः चतुर्दशी का दीपदान 26 अक्टुबर को करें और सुबह वाला तिल का तेल लगाकर सूर्योदय पूर्व अभ्यंग स्नान 27 अक्टूबर रविवार को करें।

इस दिन सूर्योदय से पूर्व नहाना अनिवार्य है और सूर्य को जल चढ़ा कर सूर्योपासना अनिवार्य है।

नहाते समय मन ही मन माँ गंगा का निम्न मन्त्र जपें-
*ॐ ह्रीं गंगायै, ॐ ह्रीं स्वाहा*

नरक चतुर्दशी पूजन विधि (Narak chaturdashi puja vidhi)

इस दिन सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नान का महत्व होता हैं। इस दिन स्नान करते वक्त तिल एवम तेल से नहाया जाता है, इसके साथ नहाने के बाद सूर्य देव को अर्ध्य अर्पित निम्नलिखित मन्त्रों से करते हैं।

👉🏻 सूर्य अर्घ्य मन्त्र- *ॐ सूर्य देव सहस्त्रांशों तेजोराशे जगत्पते। अनुकंपये माम भक्त्या गृहणार्घ्यं दिवाकर:।।ॐ सूर्याय, आदित्याय नमः*

*ऊं भूर्भुव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि। धियो यो न: प्रचोदयात।*

आज के दिन शरीर पर चंदन लेप लगाकर स्नान किया जाता हैं एवम भगवान कृष्ण की उपासना की जाती हैं.रात्रि के समय घर की दहलीज पर दीप लगाये जाते हैं और दीपयज्ञ किया जाता है। एवम यमराज की पूजा भी की जाती हैं।
इस दिन हनुमान जी का जन्म भी मान जाता है और उनकी अर्चना भी की जाती हैं।

शाम की पूजन विधि -
👉🏻1- गुरु आवाहन मंत्र - *ॐ गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णु, गुरुरेव महेश्वरः । गुरुरेव परब्रह्म, तस्मै श्री गुरुवे नमः ।।*

👉🏻2 - कृष्ण आवाहन मन्त्र - *ॐ देवकी नन्दनाय विद्महे, वासुदेवाय धीमहि । तन्नो कृष्ण प्रचोदयात ।*

राधा आवाहन मंत्र - *ॐ वृषभानुजायै विद्महे, कृष्ण प्रियायै धीमहि। तन्नो राधा प्रचोदयात*

👉🏻3- हनुमान आह्वाहन- *ॐ अंजनीसुताय विद्महे, वायुपुत्राय धीमहि, तन्नो मारुति: प्रचोदयात्*

👉🏻४ -दीपदान मंत्र ( कम से कम 5 या 11 या 21 घी के दीपकों को प्रज्वल्लित करें )-

*ॐ अग्निर्ज्योतिर्ज्योतिरग्नी: स्वाहा । सूर्यो ज्योतिर्ज्योतिः सूर्यः स्वाहा । अग्निर्वर्च्चो ज्योतिर्वर्च्चो स्वाहा । सूर्यो वर्च्चो ज्योतिर्वर्च्च: स्वाहा । ज्योतिः सूर्य्यः सूर्यो ज्योतिः स्वाहा ।।*

👉🏻5 - चौबीस(२४) बार गायत्री मंत्र का जप करें - *ॐ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यम् , भर्गो देवस्य धीमहि धियो योनः प्रचोदयात् ।*

👉🏻6- तीन बार महामृत्युंजय मंत्र का जप करें - *ॐ त्रयम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टि वर्धनम् । उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् ।।*

👉🏻7 - तीन बार लक्ष्मी गायत्री मंत्र का जप करें - *ॐ महा लक्ष्म्यै विद्महे, विष्णु प्रियायै धीमहि । तन्नो लक्ष्मी प्रचोदयात् ॥*

👉🏻8 - तीन बार गणेश मंत्र का जप करें - *ॐ एक दन्ताय विद्महे वक्रतुण्डाय धीमहि । तन्नो दंती प्रचोदयात् ॥*

👉🏻 तीन बार उपरोक्त कृष्ण गायत्री मन्त्र, राधा गायत्री मन्त्र और तीन बार हनुमान गायत्री मन्त्र

👉🏻9 - तीन बार यमराज गायत्री का मंत्र जप करें - *ॐ सूर्यपुत्राय विद्महे महाकालाय धीमहि ! तन्नो यम: प्रचोदयात।*


👉🏻10-  तीन बार आरोग्य देवता सूर्य गायत्री मन्त्र का जप करें- *ऊँ आदित्याय विदमहे, दिवाकराय धीमहि तन्न: सूर्यः प्रचोदयात्*

👉🏻11 - शान्तिपाठ - *ॐ शांतिः शांतिः शांतिः ।*

दीपक नकारात्मकता का शमन कर सकारात्मक दैवीय शक्तियों को घर में प्रवेश देता है। इसलिए दीपक की जगह विद्युत् से जलने वाली led या किसी भी प्रकार की लाईट नहीं ले सकती। घर के मुख्य् द्वार पर दो घी या सरसों या तिल के तेल के रुई बाती वाले दीपक, एक तुलसी के पास, एक रसोईं में और एक बड़ा मुख्य् दीपक सूर्यास्त के बाद जलाकर रख दें। फिर कलश स्थापना कर पूजन करें। दीपयज्ञ/दीपदान के बाद  सब घर के लोग मिलकर भजन गायें, और रात्रि का सब साथ में भोजन करें।

🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाईन इण्डिया यूथ एसोसिएशन
Email:- sweta.awgp@gmail.com
रूप चतुर्दशी के दिन श्रद्धेय डॉक्टर साहब का जन्म दिन चेतना दिवस के रूप में मनाया जाता है। अतः युवाओं को जागृत करें।

पुस्तक -
 📖 *गहना कर्मणो गतिः*(कर्मफ़ल का सिद्धांत) और
📖 *स्वर्ग नरक की स्वचालित प्रक्रिया* युगऋषि पण्डित श्रीराम शर्मा आचार्य रचित का आज के दिन स्वाध्याय करें।

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