*करवा चौथ स्पेशल*
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*सिंदूर धारण मन्त्र* -
सिन्दूरं महतपुण्यं पवित्रम पाप नाशनम
आपदाम हरते नित्यं लक्ष्मी तिष्ठति सर्वदा।
हे सिंदूर आप सदैव पुण्य प्रदाता और पाप नाशक हो
हमारे घर की विपत्ति को दूर करके घर मे सौभाग्य धन धान्य लक्ष्मी की स्थापना करो।
*चूड़ी धारण प्रार्थना व मन्त्र*
यह धातु का रक्षा सूत्र है, जो मुझे व मेरे परिवार को सुख सौभाग्य देगा।
ॐ विश्वानि देव सवितर्दुरितानि परासुव ।
यद् भद्रं तन्न आ सुव ॥१॥
मंत्रार्थ – हे सब सुखों के दाता ज्ञान के प्रकाशक सकल जगत के उत्पत्तिकर्ता एवं समग्र ऐश्वर्ययुक्त परमेश्वर! आप हमारे सम्पूर्ण दुर्गुणों, दुर्व्यसनों और दुखों को दूर कर दीजिए, और जो कल्याणकारक गुण, कर्म, स्वभाव, सुख और पदार्थ हैं, उसको हमें भलीभांति प्राप्त कराइये।
*मेहंदी धारण मन्त्र व प्रार्थना*
मंगलम भगवान विष्णु, मंगलम गरुड़ ध्वज।
मंगलम पुण्डरीकाक्ष, मंगलाय तनो हरि।।
कराग्रे वसते लक्ष्मी करमध्ये सरस्वती।
करमूले तू गोविन्दः प्रभाते करदर्शनम।।
हे परमात्मा आप मंगल स्वरूप हो, मेरे इन हाथों से सबका मंगल करवाना। मैं अपने घर परिवार के लिए सौभाग्यलक्ष्मी बनूँ। मेरे घर में सबको सद्बुद्धि मिले व सदा धनधान्य भरा रहे। मैं सबको मित्रवत देखू और सब मुझे मित्रवत देखें।
*श्रृंगार के कम्प्लीट होने के बाद सर पर चुनरी या साड़ी या गायत्रीमंत्र दुपट्टा डालते वक्त का मन्त्र व प्रार्थना*
सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामयाः,
सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चिद् दुःख भाग्भवेत्।
ॐ शांतिः शांतिः शांतिः
अर्थ - "सभी सुखी होवें, सभी रोगमुक्त रहें, सभी मंगलमय घटनाओं के साक्षी बनें और किसी को भी दुःख का भागी न बनना पड़े।"
अथर्ववेद में उल्लिखित शांति पाठ का हिंदी पद्यानुवाद:-
शांति हो पृथ्वी गगन में और जल में स्वर्ग में शांति हो सारी वनस्पति और औषधि वर्ग में शांति हो संसार में सब देव में हो ब्रह्म में शांति का अनुभव करें हम तुष्ट हों।
🙏🏻श्वेता, DIYA
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*सिंदूर धारण मन्त्र* -
सिन्दूरं महतपुण्यं पवित्रम पाप नाशनम
आपदाम हरते नित्यं लक्ष्मी तिष्ठति सर्वदा।
हे सिंदूर आप सदैव पुण्य प्रदाता और पाप नाशक हो
हमारे घर की विपत्ति को दूर करके घर मे सौभाग्य धन धान्य लक्ष्मी की स्थापना करो।
*चूड़ी धारण प्रार्थना व मन्त्र*
यह धातु का रक्षा सूत्र है, जो मुझे व मेरे परिवार को सुख सौभाग्य देगा।
ॐ विश्वानि देव सवितर्दुरितानि परासुव ।
यद् भद्रं तन्न आ सुव ॥१॥
मंत्रार्थ – हे सब सुखों के दाता ज्ञान के प्रकाशक सकल जगत के उत्पत्तिकर्ता एवं समग्र ऐश्वर्ययुक्त परमेश्वर! आप हमारे सम्पूर्ण दुर्गुणों, दुर्व्यसनों और दुखों को दूर कर दीजिए, और जो कल्याणकारक गुण, कर्म, स्वभाव, सुख और पदार्थ हैं, उसको हमें भलीभांति प्राप्त कराइये।
*मेहंदी धारण मन्त्र व प्रार्थना*
मंगलम भगवान विष्णु, मंगलम गरुड़ ध्वज।
मंगलम पुण्डरीकाक्ष, मंगलाय तनो हरि।।
कराग्रे वसते लक्ष्मी करमध्ये सरस्वती।
करमूले तू गोविन्दः प्रभाते करदर्शनम।।
हे परमात्मा आप मंगल स्वरूप हो, मेरे इन हाथों से सबका मंगल करवाना। मैं अपने घर परिवार के लिए सौभाग्यलक्ष्मी बनूँ। मेरे घर में सबको सद्बुद्धि मिले व सदा धनधान्य भरा रहे। मैं सबको मित्रवत देखू और सब मुझे मित्रवत देखें।
*श्रृंगार के कम्प्लीट होने के बाद सर पर चुनरी या साड़ी या गायत्रीमंत्र दुपट्टा डालते वक्त का मन्त्र व प्रार्थना*
सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामयाः,
सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चिद् दुःख भाग्भवेत्।
ॐ शांतिः शांतिः शांतिः
अर्थ - "सभी सुखी होवें, सभी रोगमुक्त रहें, सभी मंगलमय घटनाओं के साक्षी बनें और किसी को भी दुःख का भागी न बनना पड़े।"
अथर्ववेद में उल्लिखित शांति पाठ का हिंदी पद्यानुवाद:-
शांति हो पृथ्वी गगन में और जल में स्वर्ग में शांति हो सारी वनस्पति और औषधि वर्ग में शांति हो संसार में सब देव में हो ब्रह्म में शांति का अनुभव करें हम तुष्ट हों।
🙏🏻श्वेता, DIYA
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