प्रश्न - *आयुर्वेद कहता है कि घी और शहद मिलाकर खाना नहीं चाहिए, यह विष के समान है। फ़िर पंचामृत, मधुपर्क इत्यादि में दोनो का मिश्रण क्यों?*
उत्तर- सत्य है, केवल घी और शहद का मिश्रण विषकारक होता है। क्योंकि दोनों ही गर्म प्रवृत्ति के हैं। अतः इन दोनों की उष्ण प्रवृत्ति को सही तरीके से शरीर के लिए उपयोगी और गुणकारी बनाने के लिए दही का उपयोग किया जाता है। दही की खटास, ठंडक व गुणकारी बैक्टीरिया व वेदमन्त्रों की तरंगें इन्हें डाइल्यूट करती हैं और पेट के लिए सर्वाधिक उत्तम औषधि बनाती है।
आयुर्वेद में विष का तातपर्य यहां दो गर्म प्रवृत्ति की वस्तुओं घी व शहद के मिलन से उतपन्न गर्मी को शरीर बर्दास्त नहीं कर पायेगा से ही है।
यह बात हमारे ऋषिमुनि भी भली भांति जानते थे कि दो तारों के मिलन से करंट उतपन्न होगा अर्थात दो गर्म प्रवृत्ति की वस्तुएं अत्यधिक गर्मी उतपन्न करेंगी, लेकिन यदि सही उपकरण लगा दिया जाय तो जैसे विद्युत से प्रकाश, एयरकंडीशनर, हीटर जो चाहे चलाया जा सकता है वैसे ही यदि दही की अधिक मात्रा में इनका मिश्रण बारी बारी से किया जाय तो दोनों पदार्थों की उष्ण ऊर्जा दही की शीतल ऊर्जा के संयोग से पेट के लिए उपयोग वेद मन्त्र की तरंग युक्त शीतल पेय का निर्माण करती है।
हमेशा जब भी पंचामृत या मधुपर्क बनाये मन्त्र जपते हुए बनाये और पहले बर्तन में दही डालें, फिर उसमें थोड़ी शहद को डालकर मिक्स करें, पुनः थोड़े ड्राइफ्रूट्स डालें व अंत मे थोड़ा घी डालकर मिक्स करें।
🙏🏻श्वेता, DIYA
उत्तर- सत्य है, केवल घी और शहद का मिश्रण विषकारक होता है। क्योंकि दोनों ही गर्म प्रवृत्ति के हैं। अतः इन दोनों की उष्ण प्रवृत्ति को सही तरीके से शरीर के लिए उपयोगी और गुणकारी बनाने के लिए दही का उपयोग किया जाता है। दही की खटास, ठंडक व गुणकारी बैक्टीरिया व वेदमन्त्रों की तरंगें इन्हें डाइल्यूट करती हैं और पेट के लिए सर्वाधिक उत्तम औषधि बनाती है।
आयुर्वेद में विष का तातपर्य यहां दो गर्म प्रवृत्ति की वस्तुओं घी व शहद के मिलन से उतपन्न गर्मी को शरीर बर्दास्त नहीं कर पायेगा से ही है।
यह बात हमारे ऋषिमुनि भी भली भांति जानते थे कि दो तारों के मिलन से करंट उतपन्न होगा अर्थात दो गर्म प्रवृत्ति की वस्तुएं अत्यधिक गर्मी उतपन्न करेंगी, लेकिन यदि सही उपकरण लगा दिया जाय तो जैसे विद्युत से प्रकाश, एयरकंडीशनर, हीटर जो चाहे चलाया जा सकता है वैसे ही यदि दही की अधिक मात्रा में इनका मिश्रण बारी बारी से किया जाय तो दोनों पदार्थों की उष्ण ऊर्जा दही की शीतल ऊर्जा के संयोग से पेट के लिए उपयोग वेद मन्त्र की तरंग युक्त शीतल पेय का निर्माण करती है।
हमेशा जब भी पंचामृत या मधुपर्क बनाये मन्त्र जपते हुए बनाये और पहले बर्तन में दही डालें, फिर उसमें थोड़ी शहद को डालकर मिक्स करें, पुनः थोड़े ड्राइफ्रूट्स डालें व अंत मे थोड़ा घी डालकर मिक्स करें।
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