Wednesday, 30 October 2019

प्रश्न - *क्या यह सत्य है कि खाने के पदार्थ में मन्त्र भी मिलाया जा सकता है, नमक व चीनी की तरह?*

प्रश्न - *क्या यह सत्य है कि खाने के पदार्थ में मन्त्र भी मिलाया जा सकता है, नमक व चीनी की तरह?*

उत्तर- जी, 100% सत्य है कि खाने के पदार्थ या पीने के पदार्थ में मन्त्र या विचार या भावना को ठीक वैसे ही मिलाया जा सकता जैसे कि चीनी या नमक को मिलाते हैं। फ़र्क़ यह है कि नमक व चीनी का स्वाद आप स्थूल इन्द्रिय से महसूस करते हैं और मन्त्र या विचार या भावना का स्वाद/प्रभाव आप सूक्ष्म इन्द्रियों से महसूस करते हैं। नमक मिलने पर नमकीन स्वाद, मीठा मिलने पर मधुर स्वाद और मन्तरतरँगे मिलने संतुष्टि-शांति-तृप्ति की अनुभूति होती है।
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एक प्रयोग घर पर कीजिये,
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लड़ते झगड़ते व कुढ़ते हुए एक निश्चित रेसिपी के अनुसार आलू टमाटर की सब्जी, पूड़ी व खीर बनाइये। फिर कुछ चयनित मित्रों को बुलाकर खिलाइए व खाइए। उस दिन निज मन में उठ रहे भावों के अनुसार सबको भोजन को 1 से लेकर 10 में रेटिंग देने को बोलिये।
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एक सप्ताह बाद घर में टीवी पर फ़िल्म देखते हुए व हाई बीट पर फिल्मी गाने सुनते हुए वही सेम रेसिपी से आलू, टमाटर, खीर की सब्ज़ी बनाईये, वही मित्र मंडल के सदस्यों सहित खाइये। भोजन को रेटिंग दीजिये और तृप्ति-शांति कितनी मिली नोट कीजिये।
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एक सप्ताह बाद पुनः घर में भजन सन्ध्या रखिये व दीप जलाईये और भजनों को गुनगुनाते हुए व भजन सुनते हुए वही सेम रेसिपी से आलू, टमाटर, खीर की सब्ज़ी बनाईये, पहले भगवान को भोग लगाइये फिर वही मित्र मंडल के सदस्यों सहित खाइये। भोजन को रेटिंग दीजिये और तृप्ति-शांति कितनी मिली नोट कीजिये।
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एक सप्ताह बाद पुनः घर में एक घण्टे का गायत्री मंत्र जप कीजिये व यज्ञ कीजिये, दीपक जलाईये और गायत्री मंत्र मन में जपते हुए भक्तिभाव से वही सेम रेसिपी से आलू, टमाटर, खीर की सब्ज़ी बनाईये, पहले खीर-पूड़ी की आहुति देकर भोग लगाइये, फिर वही मित्र मंडल के सदस्यों सहित खाइये। भोजन को रेटिंग दीजिये और तृप्ति-शांति कितनी मिली नोट कीजिये।
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भोजन वही रेसिपी वही खाने वाले लोग भी वही। फ़िर भोजन के स्वाद, और उसे खाने के बाद मिलने वाली संतुष्टि, शांति, तृप्ति भिन्न क्यों हुई?
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इससे सिद्ध होता है कि खाद्य पदार्थ व पेय पदार्थ में मन्त्र/विचार/भाव घुलते हैं। इसका प्रभाव आप भोजन करने के बाद मिली शांति-तुष्टि-तृप्ति की मात्रा से समझ व अनुभूति कर सकते हैं।

इसे आधुनिक युग में वाटर मेमोरी के नाम से जाना जाता है। गूगल कीजिये और स्वयं निम्नलिखित यूट्यूब में देखिए कि कैसे भिन्न भिन्न विचार व मन्त्र पानी के भीतर के मॉलिक्यूल व उनकी आकृति को बदल देते हैं।

https://youtu.be/ILSyt_Hhbjg

https://youtu.be/Pao9Q80EmMg

मन्त्र को खाद्य या पेय पदार्थ में मिलाने की विधि को अध्यात्म की भाषा में अभिमंत्रित करना कहते हैं। खाद्य पदार्थ व पेय पदार्थ में मन्त्र संचरण द्वारा उसके कारण तत्व व सूक्ष्म ऊर्जा को बढ़ाया जा सकता है व अपेक्षित परिणाम पाया जा सकता है।

🙏🏻श्वेता, DIYA

Water and food can be easily charged, as water is a good conductor of electricity, every vegetables has some content of water.       Now let's understand something about human behaviour. Why they behave in a particular manner, is due to the karma of our's pastlife and the genes of 7 generation where we take our birth, in this past 7 generation we donot know how many would have been a generous, good, helpful, criminal, revolutionaries etc all genes accomodate themselves into our DNA and becomes the reason for the behaviour........ Few steps if we follow through water charging we can rectify many patterns of our behaviour as well as cure for many ailments. This patterns helps us in speeding treatment of yagyopathy. 1) charge your water before bath.. write 9 times Om/ AUM in the water before bath. Close your mouth while bathing and take bath chanting any mantra, internally. You can see the results in 15 days.  When doing balivaishwa, some people says we do with full of belief but still, changes are difficult, here also you can change the food fully charged before cooking , all raw material. Then balivaishwa works with great force.

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