Sunday, 3 November 2019

गोपाष्टमी - कार्तिक शुक्ल अष्टमी, 4 नवम्बर 2019* 🌹🐂

🐂 🌹 *गोपाष्टमी - कार्तिक शुक्ल अष्टमी, 4 नवम्बर 2019* 🌹🐂

आज दिल्ली एनसीआर व उत्तर भारत ज़हरीले प्रदूषण का शिकार है। ऐसे में लोग प्योरिफायर मशीन ख़रीदने में जुटे हैं जो pm 2.5 से नीचे के पॉल्युटेंट पर प्रभावी भी नहीं हैं।

*ऐसे ज़हरीले पॉल्युशन के वक्त में हमने अपने घर की हवा के प्योरिफिकेशन के लिए ऋषियों की परम्परा 🔥गोमय कुंड के यज्ञ का सहारा लिया है। सुबह शाम 50-50 अनुपात में घी व शान्तिकुंज की कॉमन हवन सामग्री मिलाकर उसमें थोड़ा गुड़ मिश्रित किया है। इससे नित्य यज्ञाहुति देते हैं, हमने एयर्वेदा के एयरइंडेक्स मीटर पर चेक किया है कि बाहर की हवा में पॉल्युटेंट 500 से 600 संख्या में क्यों न हो, इस यज्ञ से मेरे घर के भीतर की हवा 150 से 180 ही रहती, चाहे किचन की खिड़की से हवा हल्की अंदर ही क्यों न आ रही हो। हमने प्रत्येक कमरे में एयर प्योरिफिकेशन के पौधे भी लगा रखें है। क्योंकि हम यज्ञ के धूम्र को ग्रहण किये होते है तो बाह्य पॉल्युशन जब हम घर के बाहर जाते है तो हम पर ज्यादा प्रभावी नहीं होता। मध्यप्रदेश भोपाल गैस कांड में भी दो परिवारों की जान यज्ञ से ही बची थी।*

*यदि सभी भाई बहन एक साथ गोमयकुण्ड मे घी से आहुति दें, तो जैसे दीपावली में दुनियाँ अपने अपने घर को सजाने से जगमगा जाती है, वैसे ही घर घर गोमयकुण्ड मे गो घृत की आहुति से पूरा भारत प्रदूषण मुक्त हो जाएगा।*

*युगऋषि ने यज्ञ के ज्ञान विज्ञान पर पुस्तक - "यज्ञ एक समग्र उपचार" व "यज्ञ का ज्ञान विज्ञान" लिखी है। देवसंस्कृति विश्वविद्यालय में इस पर अनेक रिसर्च हुए हैं। आदरणीय डॉक्टर ममता सक्सेना ने देवसंस्कृति विश्वविद्यालय और दिल्ली प्रदूषण बोर्ड के संयुक्त प्रयास पर रिसर्च कर यह सिद्ध भी कर दिया है कि यज्ञ से प्रदूषण नियंत्रित होता है। आप स्वयं यज्ञ करके इसका प्रभाव देख सकते हो।*

गौ के प्रति श्रद्धा प्रकट करने के लिए ही कार्तिक शुक्ल पक्ष अष्टमी के दिन गोपाष्टमी के दिन गाय की पूजा की जाती है और इसके प्रतीक के रूप में गाय की।

स्वामी दयानन्द सरस्वती कहते हैं कि एक गाय अपने जीवनकाल में 4,10,440 मनुष्यों हेतु एक समय का भोजन जुटाती है

गाय की रीढ़ में स्थित सूर्यकेतु नाड़ी सर्वरोगनाशक, सर्वविषनाशक होती है।

*सूर्यकेतु नाड़ी सूर्य के संपर्क में आने पर स्वर्ण का उत्पादन करती है। गाय के शरीर से उत्पन्न यह सोना गाय के दूध, मूत्र व गोबर में मिलता है। यह स्वर्ण दूध या मूत्र पीने से शरीर में जाता है और गोबर के माध्यम से खेतों में। कई रोगियों को गोबर भस्म दिया जाता है।*

*वैज्ञानिक कहते हैं कि गाय एकमात्र ऐसा प्राणी है, जो ऑक्सीजन ग्रहण करता है और ऑक्सीजन ही छोड़ता है, ‍जबकि मनुष्य सहित सभी प्राणी ऑक्सीजन लेते और कार्बन डाई ऑक्साइड छोड़ते हैं। पेड़-पौधे इसका ठीक उल्टा करते हैं।*

*देशी गाय के एक ग्राम गोबर में कम से कम 300 करोड़ पौधों को पोषण देने वाले जीवाणु होते हैं। धरती की नमी बचाये रखते है।*

*रूस में गाय के घी से हवन पर वैज्ञानिक प्रयोग किए गए हैं। अमेरिका ने 4 पेटेंट गौमूत्र की दवाई पर लिए हैं।*

*गाय के घी से यज्ञ करने पर प्राणऊर्जा उतपन्न है।*


*इस पर्व का सन्देश है, क़ि यदि मानवजाति और भोजन को जहर से बचाना चाहते हो तो कीटनाशक और अन्य रासायनिक खादों को बन्द करके, गौ मूत्र और गुड़ को मिलाकर अमृत जल से खेती में छिड़काव करो। गाय के गोबर की कम्पोस्ट खाद बना, अमृत मिट्टी गाय के गोबर, अमृत जल और वृक्षों के सूखे पत्तों को मिलाकर अमृत मिट्टी से खेती करे।*

*पूजन विधि, निरोगी जीवन और धन धान्य के लिए* -

गाय को नहला कर पूजन करे, और खेत से उपजे अन्न से बने पकवान का भोग लगाएं।

एक दिन का हरा चारा गौशाला में दान दें।

शहर में रहने वाले गाय की डेरी में जाकर चना और गुड़ दान दें, गाय को खिलाएं। गाय का तिलक चन्दन करें। और घर आते वक़्त थोड़ा सा गाय का ताज़ा गोबर घर ले आएं। साथ ही गाय के गोबर से बने सूखे उपले(कण्डे) भी ले आएं।

पूजन वेदी में गाय के गोबर को सुपारी जैसा गोल बना के एक तस्तरी में रख कर उसका पूजन करें।

एक छोटे मिट्टी के बर्तन में सूखे उपलों को तोड़कर, उसे कपूर और घी बाती की सहायता से जला कर, गाय के घी, जौ, तिल, हवन सामग्री से हवन करें, उसके बाद अंतिम एक आहुति  घर के बने मीठे पकवान खीर या हलवा से स्विष्टिकृत आहुति देकर यज्ञ पूरा करें।

यज्ञ में 11 आहुति गायत्री मन्त्र की दें -

*ॐ भूर्भुवः स्वः तत् सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो योनः प्रचोदयात्*
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तीन आहुति महामृत्युंजय मन्त्र की - *ॐ त्र्यम्बकम् यजामहे सुगन्धिम् पुष्टि वर्धनम् उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्*

तीन आहुति कृष्ण गायत्री मन्त्र की

*ॐ देवकीनन्दनाय विद्महे, वासुदेवाय धीमहि। तन्नः कृष्णः प्रचोदयात्॥* - कृ० गा०.

एक आहुति माँ कामधेनु गौ माता को

*त्वं माता सर्वदेवानां त्वं च यज्ञस्य कारणम्।*
*त्वं तीर्थ सर्व तीर्थानां नमस्तेदस्तु सदानघे।।*

यज्ञ के बाद हाथ जोड़कर प्रार्थना कीजिये निम्नलिखित मन्त्र से,

*या देवी सर्वभूतेषु गौ रूपेण संस्थिता, नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः*

आज के दिन गौ रक्षण का व्रत-सङ्कल्प लें। यदि उपवास रखेंगे तो और भी अच्छा है।

🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाईन इंडिया यूथ एसोसिएशन
Email- sweta.awgp@gmail.com

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