प्रश्न - *अगर कोई व्यक्ति घर से किसी विशेष कार्य के लिए जा रहा हो और कोई व्यक्ति छींक दें तो लोग अशुभ मानते हैं आप इस पर कुछ विचार व्यक्त करें कि छिंकना कितना शुभ है और कितना अशुभ है और इसका उपाय क्या है?*
उत्तर - आत्मीय भाई, पॉल्युशन और प्रदूषण से भरी वायु में छींक का सही कारण शुभ व अशुभ के लिए ढूँढना असम्भव है।
पहले के लोग उच्चकोटी के साधक, संयमित जीवन, हरियाली और स्वच्छ जलवायु में प्राकृतिक जीवन जीते थे। तब उनकी अंतश्चेतना इतनी परिष्कृत होती थी कि वह ब्रह्माण्ड के संदेशों को पकड़ने में सक्षम होती थी। इसलिए इन सभी को समझ के इनके शरीर बिना पॉल्युशन व सर्दी के भी सन्देश का रिस्पॉन्स छींक स्वरूप देते थे, लोग तदनुसार कार्य करते थे। रामायण में शुभ-अशुभ छींक का वर्णन है। प्राचीन समय न यातायात की सुविधा थी और न ही मोबाईल फोन जैसा कुछ उपलब्ध था। अतः यात्रा की कुशलक्षेम का उनका अपना तरीका होता था। शकुन व मुहूर्त वस्तुतः मौसम को परखने का तरीका होता था।
अब गूगल पर जिस जगह जा रहे हो उसके मौसम की रिपोर्ट देख लो, GPS से जाम वग़ैरह को चेक कर लो। मोबाईल हाथ में है ही, अगर कहीं लेट हो तो घर पर फोन करके सूचित कर दो।
तप की सिद्धि से भी वायुगमन कर सकते हो, पैसे हों तो वायुयान की टिकट खरीद के भी वायुगमन कर सकते हों।
मेरी सलाह यह है कि किसी विशेष कार्य के लिए यात्रा करने हेतु टेक्नोलॉजी का ही उपयोग कर लो, और जिस शकुन-अपशकुन विज्ञान की दक्षता हासिल नहीं है उसे छोड़ देना ही बेहतर हैं, आधा अधूरा ज्ञान नुकसान दायक है। जिसका ज्ञान पूर्णता से तथ्य तर्क प्रमाण सहित हो केवल वही स्वीकार करना चाहिए।
अंधविश्वास वस्तुतः हमारा मनोबल तोड़ते हैं, जो हानिकारक है। अतः इन्हें उखाड़ फेंकिये।
कोई यदि छींक दे तो उसे गायत्रीमंत्र जपकर एक ग्लास पानी पिलाइये, और स्वयं भी बैठकर एक ग्लास पानी पीकर जाइये। यज्ञ भष्म थोड़ा सा माथे पर लगाकर जाइये यात्रा शुभ ही शुभ होगी।
ज्यादा जानकारी के लिए युगऋषि द्वारा लिखित पुस्तक- 📖 *अंधविश्वास को उखाड़ फेंकिये* पढ़ लीजिये।
http://literature.awgp.org/book/andhvishwas_ko_ukhad_fenkiye/v1.48
🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन
उत्तर - आत्मीय भाई, पॉल्युशन और प्रदूषण से भरी वायु में छींक का सही कारण शुभ व अशुभ के लिए ढूँढना असम्भव है।
पहले के लोग उच्चकोटी के साधक, संयमित जीवन, हरियाली और स्वच्छ जलवायु में प्राकृतिक जीवन जीते थे। तब उनकी अंतश्चेतना इतनी परिष्कृत होती थी कि वह ब्रह्माण्ड के संदेशों को पकड़ने में सक्षम होती थी। इसलिए इन सभी को समझ के इनके शरीर बिना पॉल्युशन व सर्दी के भी सन्देश का रिस्पॉन्स छींक स्वरूप देते थे, लोग तदनुसार कार्य करते थे। रामायण में शुभ-अशुभ छींक का वर्णन है। प्राचीन समय न यातायात की सुविधा थी और न ही मोबाईल फोन जैसा कुछ उपलब्ध था। अतः यात्रा की कुशलक्षेम का उनका अपना तरीका होता था। शकुन व मुहूर्त वस्तुतः मौसम को परखने का तरीका होता था।
अब गूगल पर जिस जगह जा रहे हो उसके मौसम की रिपोर्ट देख लो, GPS से जाम वग़ैरह को चेक कर लो। मोबाईल हाथ में है ही, अगर कहीं लेट हो तो घर पर फोन करके सूचित कर दो।
तप की सिद्धि से भी वायुगमन कर सकते हो, पैसे हों तो वायुयान की टिकट खरीद के भी वायुगमन कर सकते हों।
मेरी सलाह यह है कि किसी विशेष कार्य के लिए यात्रा करने हेतु टेक्नोलॉजी का ही उपयोग कर लो, और जिस शकुन-अपशकुन विज्ञान की दक्षता हासिल नहीं है उसे छोड़ देना ही बेहतर हैं, आधा अधूरा ज्ञान नुकसान दायक है। जिसका ज्ञान पूर्णता से तथ्य तर्क प्रमाण सहित हो केवल वही स्वीकार करना चाहिए।
अंधविश्वास वस्तुतः हमारा मनोबल तोड़ते हैं, जो हानिकारक है। अतः इन्हें उखाड़ फेंकिये।
कोई यदि छींक दे तो उसे गायत्रीमंत्र जपकर एक ग्लास पानी पिलाइये, और स्वयं भी बैठकर एक ग्लास पानी पीकर जाइये। यज्ञ भष्म थोड़ा सा माथे पर लगाकर जाइये यात्रा शुभ ही शुभ होगी।
ज्यादा जानकारी के लिए युगऋषि द्वारा लिखित पुस्तक- 📖 *अंधविश्वास को उखाड़ फेंकिये* पढ़ लीजिये।
http://literature.awgp.org/book/andhvishwas_ko_ukhad_fenkiye/v1.48
🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन
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