Wednesday 27 November 2019

प्रश्न - *महोदया, मेरी प्यारी बिल्ली मुझसे बिछुड़ गयी। उसकी मौत से में व्यथित हूँ। मुझे लगता है मैंने उसकी देखभाल ठीक से नहीं की। मैं इस अपराध बोध से मुक्त कैसे हों सकता हूँ? उपाय बताएं*

प्रश्न - *महोदया, मेरी प्यारी बिल्ली मुझसे बिछुड़ गयी। उसकी मौत से में व्यथित हूँ। मुझे लगता है मैंने उसकी देखभाल ठीक से नहीं की। मैं इस अपराध बोध से मुक्त कैसे हों सकता हूँ? उपाय बताएं*

उत्तर - आत्मीय भाई, मृत्यु अटल है जो जन्मा है वह एक न एक दिन मरेगा ही।

अब जो हुआ उसे बदला नहीं जा सकता। लेक़िन उस बिल्ली की आत्मा की मुक्ति के लिए कुछ प्रयास किया जा सकता है। जिससे उसे नया व बेहतर जन्म मिले।

कुल दस गायत्रीमंत्र की माला जपकर, उसके नाम से यज्ञ कर दीजिए। बिल्ली की मुक्ति के दान पुण्य हेतु आवारा रोड के कुत्ते बिल्लियों को रोटी व दूध खिला दीजिये।

साथ ही एक वृक्ष बिल्ली का नाम का लगा दीजिये। ज्यों ज्यों वृक्ष ऑक्सीजन छोड़ेगा, ऑटोमेटिक पुण्य फल बिल्ली को मिलता रहेगा।

वह वृक्ष जब जब बिल्ली की आत्मा देखेगी, वह आपको दुआएं देगी। वह वृक्ष बिल्ली की याद का स्मारक होगा।

आत्मा मनुष्य की हो या पशु की सब एक ही लेवल की होती है। आत्म लेवल पर किसी मे कोई फर्क नहीं होता। पशु पक्षी जो भी पालें उसकी अंतिम विदाई श्रद्धा पूर्वक ही करनी चाहिए।

🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन

No comments:

Post a Comment

प्रश्न - रुद्र गायत्री मंत्र में *वक्राय* (vakraya) उच्चारण सही है या *वक्त्राय* (vaktraya) ?किसी भी देवताओं के गायत्री मंत्र में ' विद्यमहे’, ' धीमही’ और 'प्रचोदयात्’ का क्या अर्थ है?

 प्रश्न - रुद्र गायत्री मंत्र में *वक्राय* (vakraya) उच्चारण सही है या *वक्त्राय* (vaktraya) ?किसी भी देवताओं के गायत्री मंत्र में ' विद...