Wednesday, 6 November 2019

प्राईवेट जॉब व व्यवसाय करने वाले भाई बहन ध्यान दें

कल से जॉब सम्बंधित मैसेज देखकर सबके मन में प्रश्न उठ रहा है कि क्यों एक साथ हमने इतने सारे मैसेज जॉब पर डाले। इसका काऱण है निम्नलिखित ख़बर जिसमें हज़ारों आई टी फील्ड के लोगों की जॉब जाने वाली है।

कबीरदास जी कहते हैं:-

कबीर गर्व न कीजिये, रंक न हँसिये कोय,
अजहूँ नाव समुद्र में का जाने का होय।

जीवन में कुछ भी निश्चित नहीं, कब कोई राजा से रंक बन जाये और रंक से राजा। इसलिए न घमण्ड कीजिये और न ही किसी का मज़ाक उड़ाइये। हमेशा जीवन में चैतन्य रहकर हर परिस्थिति के लिए तैयार रहिये। समुद्र में तूफान कभी भी आ सकता है, मल्टीनेशनल कम्पनियां कभी भी नौकरी से निकाल सकती हैं।

पिछले वर्ष ऐसे ही जॉब त्रासदी के कारण गाँधीनगर गुरुग्राम व खांडसा गुरुग्राम में पढ़े लिखे दो युवकों ने फाँसी लगा ली थी। परिवार को रोता-बिलखता छोड़ गए। क्योंकि उनके माता पिता व आधुनिक शिक्षा ने सफलता के लिए उन्हें प्रोग्राम किया था, असफ़लता को कैसे हैंडल करना है सिखाया ही नहीं था।

जॉब कुछ वर्ष करते ही व्यक्ति निश्चिन्त होकर लोन से घर, गाड़ी व अन्य ऐशोआराम की वस्तुएं खरीद लेता है। सैलरी आते ही EMI में चली जाती है। बाहर से सम्पन्न दिखने वाला भीतर से खोखला होता है। ऐसी परिस्थिति में जब जॉब चली जाती है तो नई जॉब मिलने में कभी कभी औसतन 6 से 8 महीने लग जाते हैं। फिक्स्ड डिपाजिट 6 से 8 महीने की सैलरी का किसी के पास होता नहीं। जॉब जाते ही जो सपोर्ट सिस्टम धन का चाहिए न होने की वजह से डिप्रेशन और बढ़ा देता है। मनुष्य मूर्खतावश आत्महत्या कर लेता है।

जिनके पास रिज़र्व सैलरी नहीं, तो घर के सामान, गाड़ी व ज्वैलरी बेंच दें, जब पुनः जॉब मिल जाये तो इन्हें पुनः खरीद लें। वस्तुओं से मोह न करें और जीवन को महत्त्व दें। यदि परिवार जब अच्छे समय को एन्जॉय करता है तो परिवार को बुरे वक्त में जॉब छूटने वाले एम्प्लोयी का साथ देना चाहिए।

रोने से कोई काम नहीं चलता, स्वयं पर और परमात्मा पर विश्वास करके पुनः कमर कस के नई जॉब ढूंढने से बात बनेगी।

क्या खोया उसका रोना रोने में वक्त बर्बाद न करके , इसके बाद क्या और नया पाया जा सकता है उस पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।

लोग क्या कहेंगे इसकी परवाह न करें, क्योंकि लोग आपके बच्चे की फ़ीस नहीं देते और घर का राशन नहीं लाते। ऐसे लोगों को दिखाने के लिए मत परेशान होइए।

याद रखिये, छोटे प्राइवेट स्कूल का टीचर जो 10 हज़ार महीने कमाता है वो भी परिवार पाल लेता है, सुसाइड नहीं करता। लेकिन लाखों महीने में कमाने वाला प्राइवेट जॉब का बन्दा जॉब छूटते ही पगला जाता है, स्वयं को सम्हाल नहीं पाता।

जब तेल ज्यादा है तो रुई की मोटी बाती लगा के दीपक का ज्यादा प्रकाश एन्जॉय कीजिये, जब तेल कम हो तो रुई की बाती पतली करके उसके प्रकाश में काम कर लीजिए। कम से कम अंधेरे से बचेंगे। यही नियम घर खर्च व सैलरी को सम्हालने में अपनाईये। जब जॉब थी तो ऐश किया जब कुछ दिनों के लिए नहीं है तो प्राइवेट स्कूल टीचर की तरह जीवन कम ख़र्च में छोटे से किराए के घर मे कुछ दिन बिता लीजिये। जब पुनः जॉब मिल जाये तो भी बचत करते हुए विजेता की तरह जीवन जिये।

चार पुस्तक - "हारिये न हिम्मत",  "धन का सदुपयोग" , "जीवन जीने की कला" और "निराशा को पास न फटकने दें" हमेशा पास रखें। खुशहाल जिंदगी जियें।

Cognizant has said it will layoff as many as 7,000 people across its operations, including India. It is also exiting its content operations business that will impact another 6,000 roles.

There are also reports that Infosys and Capgemini are also firing staff.

PTI | Nov 6, 2019, 10.10 PM IST
https://m.economictimes.com/jobs/citu-condemns-mass-retrenchment-of-it-employees/articleshow/71943894.cms

~श्वेता, DIYA

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