प्रश्न - *दीदी, मै अपने लाइफ से बहुत परेशान हूं कुछ साल पहले मेरे पापा नहीं रहे अब मेरे भैया नहीं रहे मेरा परिवार में भी कोई सहमती से नहीं रहता सब तरह से प्रेसर में रहती हूं ना मुझे कोई जॉब हो रहा है ना ही मेरा मन पढ़ाई में लगता बस मेरे मन में नगेटिव बात चलती रहती है कुछ मेरे साथ अच्छा काम नहीं हो रहा है मै कोई भी काम के लिए निकलती हूं सब उल्टा हो रहा है मै मन करता है मै कुछ कर लू सब तरह से परेशानी में फसी रहती हूं कुछ नहीं समझ में आ रहा हैं क्या करू ?मै बहुत तंग हो गई हूं? मेरा दिल दिनभर रोता रहता है, दीदी मुझे कृपा करके रास्ता बताईए, घर में मुझे कोई भी नहीं समझ रहा है सब कोई कुछ भी सुना देता है ?*
उत्तर- प्रिय बेटी, यह कलियुग और मृत्युलोक है। यहां कोई भी पूर्ण सुखी नहीं है। अकाल मृत्यु, असमय मृत्यु व मृत्यु सम कष्ट देती बीमारियां यह कॉमन बात है। कर्म फल को भोगने के लिए शरीर मिला है, मनुष्य ने ही अपना भाग्य निज कर्मो से लिखा है।
अतः बेटी, शोक मत करो क्योंकि तुम कलियुग व मृत्युलोक में हो,
मृत्यु लोक में, आधी ग्लास भरी व आधी खाली है।
यहां जिस दृष्टि से देखोगी वही सृष्टि तुम्हें दिखेगी, यहां या सब दुःखी दिखेंगे या सब सुखी दिखेंगे।
कोई पूर्ण नहीं यहां....
जिसका पाचन सही उसके पास छप्पन भोग नहीं। जिसके पास छप्पन भोग है वो बीमारी के कारण खा सकता नहीं।
जिनके पास मखमली बिस्तर है तो उनके पास चैन की नींद नहीं। जिनके पास चैन की नींद है तो उनके पास मखमली बिस्तर नहीं।
यदि रोना चाहती हो तो जीवन में क्या नहीं है व क्या खोया है, उसे गिनो।
यदि जीना चाहती हो तो जीवन में क्या अभी है व क्या जीवन में बचा है, उसे देखो।
अगर रोकर कोई फ़ायदा मिलता हो तो 8 से 10 घण्टे नित्य रोकर बिताओ और अपने दुःख की गाथा सबको सुनाओ। दूसरे के कंधे रोने के लिए ढूँढो।
यदि पढ़कर कर कोई फ़ायदा मिलता हो तो रोना छोड़कर 8 से 10 घण्टे पढ़ने में जुट जाओ। स्वयं को आर्थिक व आत्मनिर्भर बनाने हेतु कमर कस लो। मजबूत कंधे स्वयं के बना लो।
जो गया वो लौटकर अब शरीर मे नहीं आएगा, शरीर तो जल गया। यदि उन्हें रो रोकर याद करोगी तो उसकी आत्मा अगर तुमसे मिलने आई तो तुम भयग्रस्त हो जाओगी, फ़िर ओझा व तांत्रिक उन्हीं आत्माओं को घर से भगाने के लिए ढूँढोगी।
किसी भी वैज्ञानिक या सफल इंसान की सफलता के किस्से सब गाते हैं, मगर वो कितनी बार असफ़ल हुये यह सब भूल जाते हैं। घर की बिजली दस हज़ार असफलताओं के झलने के बाद एडिसन बना सके। भगवान बुद्ध एक दिन में ज्ञानी नहीं बने। उन्होंने भी कभी न कभी शुरुआत की थी, शुरू में उनको भी असफ़लता मिली। एक दिन बुद्ध ने भी हमारी ही तरह शुरुआत की होगी।
जो असफ़लता में कुछ सीखता है, उन कारणों को नोट करता है कि क्यों असफल हुए। उन कारणों पर कार्य करके उन्हें हैंडल करना सीखता है वही सफल बनता है।
हम इंजीनियर में कहावत है, दस इंटरव्यू सीखने के लिए दो, और उससे तैयारी करो, उनपर मास्टरी हासिल करो कि क्या मार्किट डिमांड है जानो। कैसे स्वयं को बेस्ट कैंडिडेट साबित करना है पहचानो। फिर पूरी तैयारी से ग्यारहवां इंटरव्यू जॉब पाने के लिए दो सेलेक्शन हो जाएगा।
विजेता सूर्य की तरह नित्य कर्म करता हुआ जीवन जीता है, सूर्य को कोई जल चढ़ाएं या प्रणाम करे या न करे वह समय पर उगता व अस्त होता है। घर में कोई हमें समझे या न समझें, हमसे खुश हो या न हो। हम सूर्य की तरह अपने हिस्से की ईमानदारी बरतते हुए कार्य करते चलें।
कोई भी फ़िल्म तब हिट होती है जब विलेन का चैलेंज बड़ा होता है। फ़िल्म को हिट विलेन बनाता है। श्रीराम को हिट रावण ने बनाया। दिन को हिट रात ने बनाया। मनुष्य को हिट उसके जीवन की समस्याएं बनाती है। जितनी बड़ी समस्याएं है उतना बड़ा हिट जीवन जीने की और कुछ कर गुजरने की सम्भवना तुम्हारे पास है।
समस्या जहां होती है, समाधान भी वहीं होता है। बस समाधान ढूंढने का सच्चा व अनवरत प्रयास चाहिए।
जानती हो हमारा दिमाग़ एक गूगल की तरह सर्च इंजन है। मोबाइल पर गूगल में जो शब्द सर्च करोगी वही डेटा रिजल्ट में देगा। वैसे ही दिमाग को समस्या गिनने को कहोगी तो समस्या की लिस्ट देगा, समाधान ढूढने को कहोगी तो समाधान की लिस्ट देगा, रोना सर्च करोगी तो दस वजह रोने की देगा, हंसना सर्च करोगी तो दस वजह हंसने की देगा, साहस भीतर सर्च करोगी तो दस उपाय साहसी बनने के देगा।
अब निर्णय तुम्हें करना है कि रोतलू बनना है या बहादुर बनना है। समस्या देखकर रोना है या समस्या को मिटाने में जुटना है।
भगवान से प्रार्थना करो, जो समस्या व क्षति की पूर्ति मैं न कर सकूँ उसे स्वीकारने व सहने की शक्ति दें। जैसे पिता व भाई की मृत्यु। जो समस्या मैं हल कर सकूँ और जिस क्षति की मैं पूर्ति कर सकती हूँ उसके लिए मुझमें योग्यता व पात्रता विकसित कीजिये। साहस मेरे भीतर भर दीजिये। जैसे घर की आर्थिक क्षतिपूर्ति, घर को मजबूती प्रदान करना।
कीचड़ में रहकर किसी को कीचड़ से नहीं निकाल सकती। अतः सबसे पहले पढ़लिखकर और योग्य बनकर कीचड़ से बाहर निकलो। फिर घर के सदस्यों को कीचड़ से बाहर निकालने में जुट जाओ।
मुझे पता है तुम कर सकती हो। कुछ बन सकती हो। चलो कुछ कर दिखाओ जीवन मे ऐसा कि दुनियाँ बनना चाहे तुम्हारे जैसा। मेरी प्यारी बेटी तुम लोगों के लिए प्रेरणा स्रोत बनो। जुट जाओ सृजन में उस चिड़िया की तरह, जो आंधी में घोसला टूटने पर भी शोक नहीं करती। पुनः चहचहाते हुए घोसला बनाने में जुट जाती है।
बुद्धिबल व ज्ञानबल के लिए नित्य गायत्री मंत्र का जप करो और निम्नलिखित अच्छी पुस्तको का स्वाध्याय करो।
📖 हारिये न हिम्मत
📖 शक्ति संचय के पथपर
📖 शक्तिवान बनिये
📖 सफल जीवन की दिशाधारा
📖 निराशा को पास न फटकने दें
📖 मानसिक संतुलन
📖 प्रबन्ध व्यवस्था एक विभूति एक कौशल
📖 व्यवस्था बुद्धि की गरिमा
🙏🏻श्वेता, DIYA
उत्तर- प्रिय बेटी, यह कलियुग और मृत्युलोक है। यहां कोई भी पूर्ण सुखी नहीं है। अकाल मृत्यु, असमय मृत्यु व मृत्यु सम कष्ट देती बीमारियां यह कॉमन बात है। कर्म फल को भोगने के लिए शरीर मिला है, मनुष्य ने ही अपना भाग्य निज कर्मो से लिखा है।
अतः बेटी, शोक मत करो क्योंकि तुम कलियुग व मृत्युलोक में हो,
मृत्यु लोक में, आधी ग्लास भरी व आधी खाली है।
यहां जिस दृष्टि से देखोगी वही सृष्टि तुम्हें दिखेगी, यहां या सब दुःखी दिखेंगे या सब सुखी दिखेंगे।
कोई पूर्ण नहीं यहां....
जिसका पाचन सही उसके पास छप्पन भोग नहीं। जिसके पास छप्पन भोग है वो बीमारी के कारण खा सकता नहीं।
जिनके पास मखमली बिस्तर है तो उनके पास चैन की नींद नहीं। जिनके पास चैन की नींद है तो उनके पास मखमली बिस्तर नहीं।
यदि रोना चाहती हो तो जीवन में क्या नहीं है व क्या खोया है, उसे गिनो।
यदि जीना चाहती हो तो जीवन में क्या अभी है व क्या जीवन में बचा है, उसे देखो।
अगर रोकर कोई फ़ायदा मिलता हो तो 8 से 10 घण्टे नित्य रोकर बिताओ और अपने दुःख की गाथा सबको सुनाओ। दूसरे के कंधे रोने के लिए ढूँढो।
यदि पढ़कर कर कोई फ़ायदा मिलता हो तो रोना छोड़कर 8 से 10 घण्टे पढ़ने में जुट जाओ। स्वयं को आर्थिक व आत्मनिर्भर बनाने हेतु कमर कस लो। मजबूत कंधे स्वयं के बना लो।
जो गया वो लौटकर अब शरीर मे नहीं आएगा, शरीर तो जल गया। यदि उन्हें रो रोकर याद करोगी तो उसकी आत्मा अगर तुमसे मिलने आई तो तुम भयग्रस्त हो जाओगी, फ़िर ओझा व तांत्रिक उन्हीं आत्माओं को घर से भगाने के लिए ढूँढोगी।
किसी भी वैज्ञानिक या सफल इंसान की सफलता के किस्से सब गाते हैं, मगर वो कितनी बार असफ़ल हुये यह सब भूल जाते हैं। घर की बिजली दस हज़ार असफलताओं के झलने के बाद एडिसन बना सके। भगवान बुद्ध एक दिन में ज्ञानी नहीं बने। उन्होंने भी कभी न कभी शुरुआत की थी, शुरू में उनको भी असफ़लता मिली। एक दिन बुद्ध ने भी हमारी ही तरह शुरुआत की होगी।
जो असफ़लता में कुछ सीखता है, उन कारणों को नोट करता है कि क्यों असफल हुए। उन कारणों पर कार्य करके उन्हें हैंडल करना सीखता है वही सफल बनता है।
हम इंजीनियर में कहावत है, दस इंटरव्यू सीखने के लिए दो, और उससे तैयारी करो, उनपर मास्टरी हासिल करो कि क्या मार्किट डिमांड है जानो। कैसे स्वयं को बेस्ट कैंडिडेट साबित करना है पहचानो। फिर पूरी तैयारी से ग्यारहवां इंटरव्यू जॉब पाने के लिए दो सेलेक्शन हो जाएगा।
विजेता सूर्य की तरह नित्य कर्म करता हुआ जीवन जीता है, सूर्य को कोई जल चढ़ाएं या प्रणाम करे या न करे वह समय पर उगता व अस्त होता है। घर में कोई हमें समझे या न समझें, हमसे खुश हो या न हो। हम सूर्य की तरह अपने हिस्से की ईमानदारी बरतते हुए कार्य करते चलें।
कोई भी फ़िल्म तब हिट होती है जब विलेन का चैलेंज बड़ा होता है। फ़िल्म को हिट विलेन बनाता है। श्रीराम को हिट रावण ने बनाया। दिन को हिट रात ने बनाया। मनुष्य को हिट उसके जीवन की समस्याएं बनाती है। जितनी बड़ी समस्याएं है उतना बड़ा हिट जीवन जीने की और कुछ कर गुजरने की सम्भवना तुम्हारे पास है।
समस्या जहां होती है, समाधान भी वहीं होता है। बस समाधान ढूंढने का सच्चा व अनवरत प्रयास चाहिए।
जानती हो हमारा दिमाग़ एक गूगल की तरह सर्च इंजन है। मोबाइल पर गूगल में जो शब्द सर्च करोगी वही डेटा रिजल्ट में देगा। वैसे ही दिमाग को समस्या गिनने को कहोगी तो समस्या की लिस्ट देगा, समाधान ढूढने को कहोगी तो समाधान की लिस्ट देगा, रोना सर्च करोगी तो दस वजह रोने की देगा, हंसना सर्च करोगी तो दस वजह हंसने की देगा, साहस भीतर सर्च करोगी तो दस उपाय साहसी बनने के देगा।
अब निर्णय तुम्हें करना है कि रोतलू बनना है या बहादुर बनना है। समस्या देखकर रोना है या समस्या को मिटाने में जुटना है।
भगवान से प्रार्थना करो, जो समस्या व क्षति की पूर्ति मैं न कर सकूँ उसे स्वीकारने व सहने की शक्ति दें। जैसे पिता व भाई की मृत्यु। जो समस्या मैं हल कर सकूँ और जिस क्षति की मैं पूर्ति कर सकती हूँ उसके लिए मुझमें योग्यता व पात्रता विकसित कीजिये। साहस मेरे भीतर भर दीजिये। जैसे घर की आर्थिक क्षतिपूर्ति, घर को मजबूती प्रदान करना।
कीचड़ में रहकर किसी को कीचड़ से नहीं निकाल सकती। अतः सबसे पहले पढ़लिखकर और योग्य बनकर कीचड़ से बाहर निकलो। फिर घर के सदस्यों को कीचड़ से बाहर निकालने में जुट जाओ।
मुझे पता है तुम कर सकती हो। कुछ बन सकती हो। चलो कुछ कर दिखाओ जीवन मे ऐसा कि दुनियाँ बनना चाहे तुम्हारे जैसा। मेरी प्यारी बेटी तुम लोगों के लिए प्रेरणा स्रोत बनो। जुट जाओ सृजन में उस चिड़िया की तरह, जो आंधी में घोसला टूटने पर भी शोक नहीं करती। पुनः चहचहाते हुए घोसला बनाने में जुट जाती है।
बुद्धिबल व ज्ञानबल के लिए नित्य गायत्री मंत्र का जप करो और निम्नलिखित अच्छी पुस्तको का स्वाध्याय करो।
📖 हारिये न हिम्मत
📖 शक्ति संचय के पथपर
📖 शक्तिवान बनिये
📖 सफल जीवन की दिशाधारा
📖 निराशा को पास न फटकने दें
📖 मानसिक संतुलन
📖 प्रबन्ध व्यवस्था एक विभूति एक कौशल
📖 व्यवस्था बुद्धि की गरिमा
🙏🏻श्वेता, DIYA
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