Sunday, 1 December 2019

नुक्कड़ नाटक - व्यसनमुक्ति

*नुक्कड़ नाटक - व्यसन मुक्ति*

(कॉलेज की फ्रेशर पार्टी एक डिस्को बार में आयोजित हुई )

कॉलेज में दो ग्रुप है, एक ड्रिंक करने वालों का और दूसरा नॉन ड्रिंक करने वालों का। नॉन ड्रिंक वाले लड़कों को ड्रिंक करने वाले लड़के अभद्र शब्दों व तंज कसते हुए। ड्रिंक्स करने वाले ग्रुप का नेतृत्व राकेश कर रहा है, और नॉन ड्रिंक करने वाले समूह का नेतृत्व नितिन कर रहा है जो नशे के दुष्प्रभाव को युगसाहित्य में पढ़ चुका है।

राकेश ने नॉन ड्रिंक करने वाले समूह के लड़के रवि को परेशान करते हुए कहा:-

राकेश - ग्रो अप रवि, कब तक बच्चे बने रहोगे। मर्द बनो और जिंदगी को एन्जॉय करो यह ड्रिंक लो और सिगरेट लो।

रवि - नहीं यार, मैं ड्रिंक नहीं लेता

राकेश - अले बाबा ले, रवि को दुद्धु पिलाओ, ये तो ममा बॉय है। बेटा को दूध को बोतल दो।

(राकेश और उसके दोस्त उसको चिढ़ाते हुए ठहाका मारकर हंसते हैं, रवि रुंआसा हो जाता है और नितिन को आवाज़ देता है। नितिन अपने दोस्तों के साथ रवि के पास आता है।)

नितिन - क्या हो रहा है यहां? राकेश तुम और तुम्हारी टीम क्यों रवि को परेशान कर रहे हो?

राकेश - तुमसे मतलब, जाओ यहां से, हमारे बीच में मत पड़ो।

रवि - देखो न नितिन, यह मुझे जबरजस्ती सिगरेट व शराब पीने के लिए बाध्य कर रहे हैं। मना करने पर कह रहे हैं मैं बच्चा हूँ, ड्रिंक करने पर मर्द बनूँगा।

राकेश और उसके दोस्त - रवि बेटा को दूध पिलाओ, ममा बॉय, अले अले बेटा।

(पुनः जोर के ठहाके)

नितिन - अरे राकेश तू मर्द बनाने का डॉक्टर है, मुझे पता ही नहीं था। तेरी बताई औषधि शराब व सिगरेट पिये बिना हम मर्द नहीं बनेंगे। मुझे पता ही नहीं था। डॉक्टर साहब यदि कुछ आप हमारे प्रश्नों का उत्तर दें और हम संतुष्ट हों तो हम सब भी आज आपके साथ ड्रिंक पियेंगे। अगर मंजूर हो तो बताओ। वैसे आप जैसे मजबूत मर्दों को हम बच्चों के प्रश्न से डर तो नहीं लग रहा।

(सभी लड़के व लड़कियों का ग्रुप आसपास इकट्ठा हो जाता है। हो जाये डिबेट सब कहते हैं। कुछ राकेश को चियर करते हैं और कुछ नितिन को)

(राकेश व नितिन आमने सामने बैठते हैं और सब खड़े हैं)

नितिन - तुम्हारा सबसे ज्यादा भला कौन चाहता है?

राकेश - माता व पिता

नितिन - तो यह बताओ कि क्या सिगरेट व ड्रिंक पीने की सलाह तुम्हें तुम्हारे माता पिता ने दिया?

राकेश - नहीं

नितिन - तो बचपन से लेकर आज तक पढ़ाने वाले किसी भी शिक्षक व शिक्षिका ने शराब व सिगरेट की महत्ता बताते हुए, तुम्हें इन्हें पीने की सलाह दी।

राकेश - नहीं

नितिन - किसी भी चिकित्सक या साइंटिस्ट ने रिसर्च करके यह प्रमाणित किया है कि सिगरेट व शराब या अन्य नशे की वस्तु स्वास्थ्य के लिए लाभप्रद है। और इन्हें पियें।

राकेश - नहीं किसी ने नहीं कहा

नितिन - इंटरनेट पर या किसी जनरल पर नशे के वस्तु के सेवन के लाभ के कोई आर्टिकल उपलब्ध हैं, जो तुमने पढ़े हैं?

राकेश - नहीं, ऐसा कुछ मैंने नहीं पढ़ा।

नितिन - समाज का उद्धार करने वाले किसी भी प्रसिद्ध धर्म गुरु ने नशे के सेवन हेतु प्रोत्साहित किया?

राकेश - नहीं

नितिन - क्या तुमने पहली सिगरेट या पहला शराब की बोतल अपने पैसे से खरीदी थी?

राकेश - नहीं, मेरे दोस्तों ने दी थी।

नितिन - कहीं तुम्हारे दोस्तों ने ऐसे ही डॉयलॉग तो नहीं बोले थे जो तुमने आज रवि को बोले हैं।

राकेश - हाँ, ऐसा ही बोलकर मुझे पिलाया गया था।

राकेश - लेकिन फ़िल्म स्टार भी तो ड्रिंक्स करते हैं, टीवी सिरियल सर्वत्र नशा चलता है।

नितिन - फ़िल्म की शुरुआत में नशे की हानि भी बताई जाती है। वो नहीं देखा।

राकेश - हाँजी देखा है।

नितिन - किसी भी समान को बेंचने के लिए विज्ञापन की जरूरत होती है।

राकेश - हाँ, यदि विज्ञापन नहीं होगा तो लोग जानेंगे कैसे व खरीदेंगे कैसे?

नितिन - विज्ञापन यदि कोई जाना - पहचाना फेमश व्यक्ति करे तब प्रभाव पड़ेगा या कोई अनजाना करेगा तब प्रभाव पड़ेगा।

 राकेश - अरे जाना पहचाना फेमस करेगा तब प्रभाव पड़ेगा।

नितिन - फ़िल्म के हीरो हेरोइन फेमस भी हैं और जाने पहचाने भी।

राकेश - हाँजी।

नितिन -  इसलिए नशे के व्यापारी व अंडरवल्र्ड वाले फ़िल्म बनवाते हैं, व नशे को विभिन्न अवसरों पर हीरो हेरोइन को नशा लेते हुए प्रदर्शित करते हैं।

उदाहरण - कोई अचीवमेंट हो, बर्थडे व मैरिज एनिवर्सरी हो तो सेलिब्रेशन - नशा करते हुए हीरो-हीरोइन व दोस्त।
हीरो व हीरोइन में जो भी दुःखी हुआ तो वो नशा करते हुए व गम भूलते हुए दिखाई देगा। कोई सरप्राइज़ पार्टी कोई फ़िल्म में व टीवी सीरियल में हो तो उसमें भी ड्रिंक्स होगा। जीवन का प्रत्येक क्षण की महत्त्वपूर्ण इवेंट फ़िल्म में नशे के बिना नहीं होती। जब फ़िल्म युवा देखते हैं तो अक्सर फ़िल्म के पात्र से जुड़ जाते हैं, फ़िर अनजाने में उनकी बुरी लत को भी अपना लेते हैं। तब सही क्या है व गलत क्या है यह बुद्धि नहीं रहती। उसका अंध अनुसरण करने लगते हैं।

राकेश - ऐसा तो मैंने कभी सोचा ही नहीं।

नितिन - हम सब वस्तुतः एक ट्रैप में, जाल में व्यसन व फैशन के फंसते जा रहे हैं। धँसते जा रहे हैं। हमारी परम्परागत अच्छी स्वास्थ्यकर ड्रिंक्स दूध, छाछ, लस्सी, नारियल पानी, फलों के जूस इत्यादि  को हमारे हाथों से छीनकर ज़हरीले नशीले पेय थमा दिया। हमें पता भी नहीं चल रहा है।

राकेश - अरे यह तो कभी मैंने सोचा ही नहीं।

नितिन - विज्ञापन एजेंसियां हमारा ब्रेन वाश करती हैं कि हम क्या पहनेंगे, क्या खाएंगे, क्या पियेंगे, क्या सोचेंगे, कैसे रहेंगे इत्यादि। वस्तुतः हम सब उनके साइकोलॉजिकल जाल में फंस चुके हैं।

राकेश - यह साइकोलॉजिकल जाल इन्होंने बनाया कैसे? किसी ने इन्हें रोका क्यों नहीं।

नितिन - एक कहानी के माध्यम से इसे समझो

कहानी - एक गांव में एक चतुर आदमी दूसरे आदमी जो कि कसाई था उस की स्त्री के साथ कमरे में पकड़ा गया। कसाई को गुस्सा आया व उसने छुरे से उस चतुर आदमी की नाक काट दी और बोला। बड़ा घमण्ड है तुझे अपनी चतुराई पर दूसरे की भोली भाली स्त्रियों को मनोवैज्ञानिक जाल(साइकोलॉजीकल ट्रैप) में फँसाता है। अब अपने नककटे होने को एक्सप्लेन करना।

चतुर नककटे ने सोचा, यदि कोई असली कारण जाना तो निश्चयत: मुझे चिढाएंगे। रातों रात अपना गांव छोड़कर कई मील दूर दूसरे गांव में साधु के वेश में बैठ गया। सबको उपदेश देता भगवान व इंसान के मिलन में यह नाक बाधा पहुंचा रही है। इसे काटो व परमात्मा के दर्शन करो, कुछ बुद्धू ने नाक कटवा ली। दर्शन न हुए तो चतुर नककटे ने उन्हें समझाया कि यदि लोगों को पता चला कि तुम बुद्धू बन गए और नाक कटवा ली। तो बड़ी बेइज्जती होगी। अतः इज्जत बचाना है तो मेरी हाँ में हाँ मिलाओ। जब उसके हज़ारों नककटे अनुयायी हो गए तो राजा तक बात पहुंची। भगवान के दर्शन हेतु राजा ने भी नाक कटाने की इच्छा जाहिर की। बूढ़े पुरोहित व मंत्री ने कहा महराज पहले हम चेक करते हैं। फिर आप नाक कटवाना। पुरोहित ने नाक कटने पर जब दर्शन न होने की बात की पुष्टि की तो नककटे ने कहा यह बात बाहर गई तो बेइज्जती होगी।  मंत्री ने उसके मूल गांव का पता लगाया व कसाई और उसकी पत्नी को हाज़िर किया। कसाई की गवाही पर नककटे को दंडित किया गया। लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी, पुरोहित समेत हज़ारो लोग नक कटे बन चुके थे।

राकेश - हाँजी, व्यसन व फैशन में हम लोग नक कटे बन चुके हैं। और अपनी  ज़लालत की टीम को बढाने के लिए आज रवि को भी उसी तरह साइकोलॉजीकल पियर प्रेशर दे रहे थे जैसा मेरे साथ हुआ था। सॉरी रवि।

रवि - नितिन भाई, यह तो नशेड़ी बन चुके हैं इनका नशा छूटेगा कैसे?

नितिन -  साइकोलॉजिकल जाल में नशे को पिलाकर मनुष्य के भीतर असुरत्व जगाया जाता है, यदि स्टडी करोगे तो पाओगे कि समस्त अपराध में 98% अपराध, रेप व मर्डर नशे की हालत में ही किये गए। अब राकेश व सभी नशेड़ी दोस्तों को अपना सङ्कल्प बल बढाना होगा। जप, तप, ध्यान, स्वाध्याय, योग व प्राणायाम से मन को मजबूत करके देवत्व जगाना होगा, तभी मन के असुर को मिटा पाएंगे।

राकेश - मौन व निःशब्द हूँ।

सभी गहन विचार में डूब गए।

रवि - नितिन तुझे इन सबका इतना ज्ञान कैंसे है?

नितिन - मैं डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन का सदस्य हूँ। नशा मुक्ति अभियान का हिस्सा हूँ। युगऋषि पण्डित श्रीराम शर्मा आचार्य जी के साहित्य पढ़ता हूँ। व नित्य उपासना-साधना व आराधना से अपने भीतर देवत्व जगाता हूँ। इसलिए साइकोलॉजीकल व्यसन व फैशन के जाल में नहीं फंसता। और हाँ, नशेड़ियों की तरह न नशा करता हूँ और न भिखारियों का फैशन फ़टी जीन्स पहनता हूँ।

सभी जोर से ठहाके लगाते हुए हंसते हैं। सभी फलों के रस के साथ चियर्स करते हैं।

🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन

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