Monday, 2 December 2019

नुक्कड़ नाटक - *गर्भ सँस्कार*

नुक्कड़ नाटक -  *गर्भ सँस्कार/पुंसवन सँस्कार क्यों करवाएं? और गर्भावस्था के दौरान गर्भ के समग्र विकास हेतु माता को क्या करना चाहिए?*


(कांता औऱ रश्मि दोनों बचपन की मित्र हैं। रश्मि गायत्री परिवार की सदस्य है और *आओ गढ़े सँस्कारवान पीढ़ी* की टीम का हिस्सा है। कांता गर्भवती होने की खुशखबरी रश्मि को देती है।)


*रश्मि* - कांता से गले मिलते हुए, अरे बहुत दिनों बाद आना हुआ.. और सुनाओ कैसी हो? चेहरे का ग्लो बता रहा है कोई खुशखबरी है क्या?


*कांता* - हांजी डियर, तुम मौसी बनने वाली हो?


*रश्मि* - बधाई हो, पार्टी तो बनती है। अच्छा ये बताओ किस डॉक्टर से परामर्श ले रही हो।


*कांता* - मेरी बुआ सास स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ हैं। उनकी देखरेख में बच्चा होगा।


*रश्मि* - अरे वाह, तब तो बच्चे के शारीरिक विकास हेतु मार्गदर्शन तो तुम्हें मिल गया होगा। लेक़िन क्या बच्चे के मानसिक, आध्यात्मिक और सामाजिक विकास हेतु तुमने मार्गदर्शन लिया?


*कांता* - मैं कुछ समझी नहीं डियर।


*रश्मि* - डियर, world health organization के अनुसार एक बच्चे को पूर्ण रूप से स्वस्थ और समग्र विकसित माना जायेगा जो शारीरिक, मानसिक, आध्यात्मिक और सामाजिक रूप से स्वस्थ हो। हमारे देश के डॉक्टर्स को मेडिकल कॉलेज में केवल शरीर की चिकित्सा और शरीर के सन्तुलित निर्माण विधि सिखाई जाती है। उनके उपकरण भी बच्चे के वजन, हृदय गति/हार्ट बीट और ब्लड प्रेशर के अतिरिक्त और कुछ चेक नहीं कर सकते। आकृति(शरीर) तो चेक हो गया लेकिन बच्चे की प्रकृति(मानसिक विकास, बुद्धि विकास, गुण, स्वभाव) कैसा बन रहा है वो न तो चेक कर सकते हैं न उनके समुचित विकास की जानकारी डॉक्टर को है। अच्छा यह बताओ कांता बहन, मनुष्य किस कारण सफल और सम्मानित होता है? आकृति से या प्रकृति से?


*कांता* - अरे रश्मि बहन, मनुष्य की सफलता और सम्मानित जीवन मे उसकी प्रकृति का ही हाथ है। उसका मानसिक विकास, बुद्धि विकास, गुण, कर्म स्वभाव उसके सफल व्यक्तित्व का आधार है। लेकिन तुमने तो मुझे सोच में डाल दिया, अब इसके लिए काउंसलर कहाँ ढूँढू? कौन परामर्श देगा कि मुझे गर्भस्थ बच्चे के समग्र विकास और श्रेष्ठ व्यक्तित्व गढ़ने के लिए क्या करना है?


*रश्मि* - अरे चिंता मत करो, इस हेतु अखिलविश्व गायत्री परिवार एक प्रोजेक्ट चला रहा है जिसका नाम है - *आओ गढ़े संस्कारवान पीढ़ी*। अच्छी बात यह है कि इसके सदस्य सभी शहरों में निःशुल्क सेवाएं दे रहे हैं।  और अच्छी बात यह है कि मैं भी इस अभियान का हिस्सा हूँ। तुम्हे गाइड कर दूंगी। तुम इसकी शुरुआत *गर्भ सँस्कार* के माध्यम से करो।


*कांता* - एक प्रश्न मेरे मन मे है, गर्भ तो अबोध है वो जब तक जन्म लेकर 3 वर्ष का कुछ समझने लायक बड़ा नहीं होता उसे कुछ सिखाया नहीं जा सकता। फिंर जो समझ और बोल नही सकता उसके लिए *गर्भ सँस्कार* का क्या महत्त्व?


*रश्मि* - रुको मैं लैपटॉप लेकर आती हूँ। लेपटॉप में प्रेजेंटेशन दिखाते हुए, देखो कांता, गर्भ में बच्चा भाषाएं सीखता है, सुन और सब समझ सकता है। ये देखो इसके वैज्ञानिक सबूत।


*कांता* - अरे, ये तो मुझे पता ही नहीं था। बच्चे का विकास ऐसे गर्भ में होता है। बच्चे का दिमाग इतना कुछ सीखता ।


*रश्मि* - हांजी डियर, ये देखो कुछ वीडियो माँ के नाचने पर बच्चा गर्भ में नाच रहा है। ये देखो पापा के पूंछने पर जवाब देने की कोशिश कर रहा है। गर्भ संवाद में बच्चा गर्भ में रेस्पॉन्स कर रहा है। आसपास बोली जानी वाली भाषाएं सीख रहा है, उनके अनुसार भावनाए व्यक्त कर रहा है।


*कांता* - ओह, कमाल है। मुझे तो ये सब पता ही नहीं था।


*रश्मि* - हाँजी डियर, तुम ये दो पुस्तक लो - *आओ गढ़ें सँस्कारवान पीढ़ी भाग 1 और 2* इसे पूरा पढ़ो। इसके अनुसार दिनचर्या और आहार विहार का क्रम अपनाओ।


👉🏼 तुम्हारे खाये भोजन से बच्चे का शरीर के साथ मन भी बनेगा। अतः शुद्ध सात्विक सन्तुलित आहार करना।


👉🏼 बच्चे के मनोबल, बुद्धिविकास और आत्मविश्वास के लिए नित्य गायत्री मंत्र जप और उगते सूर्य का ध्यान करो। ये देखो AIIMS और अन्य संस्थाओं की रिसर्च जो प्राचीन वैदिक विधि - गायत्री मंत्र जप और ध्यान से  बुद्धि का विकास होता है। जप और ध्यान से अच्छे हार्मोन्स स्राव होंगे जो बच्चे के सन्तुलित विकास में मदद करेंगे।


👉🏼 जिस तरह शरीर के निर्माण के लिए नित्य सन्तुलित भोजन चाहिए वैसे ही मन के सन्तुलित निर्माण के लिए सन्तुलित विचार चाहिए। अतः रोज अच्छी पुस्तको का स्वाध्याय करो।


👉🏼 योग मात्र शरीर का व्यायाम नहीं है। यह प्राण ऊर्जा बढ़ाने का उपक्रम है। यह योग तुम्हे करने हैं।


👉🏼 पुंसवन सँस्कार एक प्रकार का आध्यात्मिक टीका करण है। जीव के पुराने संस्कारों की सफाई करके नए शुभ सँस्कार गढ़ने की विधिव्यस्था है।


👉🏼 एपिजेनेटिक परिवर्तन कोशिका के जीवन की अवधि के लिए कोशिका विभाजन के माध्यम से हो सकते हैं, और कई पीढ़ियों तक भी रह सकते हैं, भले ही वे जीव के अंतर्निहित डीएनए अनुक्रम में परिवर्तन शामिल न करें; जीव के जीनों का व्यवहार करना या "खुद को व्यक्त करना") अलग तरह से करना यह सब डीएनए के प्रभाव से है। कई रोगों की जड़ गर्भ में ही पड़ जाती है। अतः अनुवांशिक रोगों की रोकथाम और नए सकारात्मक व्यवहार को *गर्भ विज्ञान को समझ के* विभिन्न तरीक़े से प्रभावित किया जाता है।


👉🏼 बहन तुम *पुंसवन सँस्कार* आयोजित करो, बाकी परामर्श हम तुम्हें और तुम्हारे परिवार को उसी दिन देंगे।


*कांता* - रश्मि, क्या तुम मुझे यह पीपीटी व्हाट्सएप या ईमेल कर सकती हो। तुमने मुझे जो समझाया वो मैं घर वालो को बताकर उन्हें पुंसवन सँस्कार के लिए तैयार करना चाहती हूँ। जल्दी ही तुम्हे सूचित करती हूँ। बहुत बहुत धन्यवाद डियर। मेरा बच्चा भाग्यशाली है कि तुम्हारे जैसी इंटेलीजेंट मॉसी उसकी है, जो उसका मार्गदर्शन गर्भ से ही कर रही हैं।


*रश्मि* - कांता, बच्चे की प्रथम गुरु उसकी माँ होती है। तुम उसे गर्भ से ही संस्कारित करने का जो शुभ सङ्कल्प ले रही हो वो सराहनीय है।


*कांता* - अगर कुछ भूल गयी तो फोन करूंगी।


*रश्मि* - अपना व्हाट्सएप चेक करो, मैंने डॉक्टर गायत्री शर्मा की एक यूट्यूब वीडियो का लिंक भेजा है। इसे देख लेना और घर मे सबको दिखाना। कुछ पूंछना हो तो फोन कर लेना। हम सदा आपके लिए उपलब्ध है।


(कांता अपने घर जाकर सबको रश्मि से हुई वार्तालाप बताती है। पीपीटी दिखाती है। और डॉक्टर गायत्री की गर्भ सँस्कार की यूट्यूब लिंक भी सबको शेयर करती है।)


🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती

डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन

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