प्रश्न - *दी, मैं डायबटीज़ व किडनी रोग से ग्रसित हूँ। मेरा डायलसिस भी होता है, मैं टीचर हूँ। मेरा मार्गदर्शन करें*
उत्तर- आत्मीय भाई, भारत देश ऐसा देश है जहाँ महामृत्युंजय मंत्र जपकर मृत्यु को टाल दिया जाता है और जहाँ सावित्री गायत्री साधना से इतना तेज अर्जित करती है कि पति के प्राण वापस यमराज से ले लेती है।
मग़र मेरे भाई, चमत्कार स्वतः नहीं होते करने पड़ते हैं, स्वास्थ्य लाभ रूपी चमत्कार इस हालत में भी हो सकता है लेकिन कठिन परिश्रम व संयम की आवश्यकता है।
मधुमेह वह बीमारी है जिसे मनुष्य अपने विचारों, संकल्पों व कर्मो से पैदा करता है। शरीर से काम कम लेता है व शर्करा युक्त चीज़ों का सेवन अधिक करता है। जब स्वयं व निज मन को साधता नहीं अपितु परिस्थितियों को वश में करने की कोशिश करता तो चिंता, शोक, उद्विग्नता, अत्यधिक मानसिक तनाव लेकर स्वयं के भीतर डायबटीज़ उतपन्न कर लेता है। जब कोई दुर्घटना घटती है, दिल टूटता है और प्रियजन का विछोह जब मन-मष्तिष्क -हृदय में जम जाता है तो भी डायबटीज़ उतपन्न होता है।
चीनी,आटा, मैदा, चावल, आलू इत्यादि चीज़ों में श्वेतसार होता है जो शर्करा में बदलता है, इसे *पैंक्रियाज* से निकलने वाला *इन्सुलिन* रस से जलाकर पचाता है, जिससे शरीर को गर्मी तथा शक्ति मिलती है। अब पैंक्रियाज की क्षमता से अधिक शर्करा शरीर में भोजन से डालोगे तो वह सीधे रक्त में मिलेगा, मधुमेह होगा। रक्त से शर्करा गुर्दे(किडनी) खिंचती है और पेशाब शर्करा युक्त होती है। जब गुर्दो में लगातार यह शर्करा पहुंचेगी तो किडनी रोग निश्चयत: होगा।
एलोपैथी डायबटीज़ ठीक नहीं करता केवल सम्हालता है। जीवन डायबटीज़ के साथ चलता है।
ठीक होना है तो भाई अप्राकृतिक रहन सहन छोड़कर प्रकृति की ओर लौटना होगा।
अब कुछ दिन लगभग दो सप्ताह हरी शाक - पालक, चौलाई व बथुआ ख़ाकर रहें, साथ में खट्टे रस वाले फ़ल, मट्ठा इत्यादि पर रहें। मीठे फलों का सेवन न करें। लौकी तोरई इत्यादि उबालकर कालानमक व काली मिर्च डालकर खाएं।
*सब्जी ख़ाकर उपवास से पेशाब में आने वाली चीनी तो तीन दिन में ही बन्द हो जाएगी। किडनी को तो तीसरे दिन आराम मिलने लगेगा। पैंक्रियाज की भी यह हरे शाक मरम्मत करने लगेंगे।*
चीनी,आटा, मैदा, चावल, आलू यह मधुमेह के मरीज के लिए जहर से कम नहीं। अगर बिन रोटी खाये न रहा जाए तो आटा किसी भी हरी सब्जी को पीसकर उसमें जितना आटा समाए मिलाकर गूथ के थोड़ी चुटकी मेथी का पावडर मिलाकर यह हरी रोटी ही खाये।
अन्न खाना भूल जाये तो अच्छा है। सब्जी फ़ल को ही आहार बना लें, प्रोटीन के लिए अंकुरित खाएं।
सुबह जगने के एक घण्टे बाद खाली पेट हरे पेठे का रस लें इससे भी आपकी सेहत सुधरेगी। नीम्बू व आंवले के रस भी मिलाकर ले सकते हैं।
*नित्य पाँच माला गायत्रीमंत्र की व तीन माला महामृत्युंजय मंत्र की अपने स्वास्थ्य की हिंलिंग के लिए करें।*
*यग्योपैथी में भी इसका उपचार है, औषधि देवसंस्कृति विश्वविद्यालय, हरिद्वार सम्पर्क करके मंगवा लें। नित्य औषधि से यज्ञ करे। लाभ अवश्य मिलेगा।*
*प्रणायाम*− प्रणायाम मधुमेह के रोगियों के लिए बहुत फायदेमंद होता है। खासतौर से, भ्रामरी और भ्रस्रिका प्रणायाम तो डायबिटिक लोगों को जरूर करना चाहिए। इनके नियमित अभ्यास से स्ट्रेस लेवल कम होता है और शरीर में ऑक्सीजन की मात्रा बढ़ती है। भ्रामरी प्रणायाम करने के लिए पद्मासन में बैठ जाएं। अंगूठे से कान बंद करें और ऊपर की तीन उंगलियों को आंखों पर रखें। अब गहरी सांस लेते हुए गले से उच्चारण करें। भस्रिका प्रणायाम के लिए पद्मासन में बैठ जाएं। गहरी सांस लें और उसे जल्दी−जल्दी छोड़ें। इस प्रक्रिया में मुंह बंद रखें और सांस की सारी प्रक्रिया नाक से ही करें।
*सूर्य नमस्कार*− अगर आपके पास सभी आसनों को करने का पूरा समय नहीं है तो रोज दो से तीन बार सूर्य नमस्कार अवश्य करें। सिर्फ इस आसन को करने से भी आप काफी हद तक इस रोग को नियंत्रित कर सकेंगे। इससे श्वास, पेट और प्रतिरोधी क्षमता को लाभ पहुंचता है।
*पश्चिमोत्तानासन,सर्वांगासन,सर्वांगासन* इत्यादि आसन डायबटीज़ के लिए बहुत उपयोगी हैं।
*अभी आप जिस कुर्सी पर हैं वह क्रोध, मोह, लोभ, क्षोभ इन चार पाए पर है। अतः इन्हें त्याग के नई कुर्सी पर बैठिए जिसके चार पाए आत्मियता विस्तार, दानशीलता, संयमशीलता, व विचारशीलता से बने हो।*
स्कूल में कोई अच्छी कहानी बच्चों को *वांग्मय नम्बर 57 - तेजस्विता मनस्विता प्रखरता* से सुनाइये। फिर उनसे प्रश्न पूँछिये, सही जवाब बताने वाले को चॉकलेट या पेंसिल इत्यादि कुछ दीजिये। आप येनकेन प्रकारेण आपको उन्हें हंसाना व खुश करना है, जब वो हंसे उस वक्त गहरी श्वांस लीजिएगा। बच्चे जब हंसते हैं तो बहुत तेज प्राण ऊर्जा की विद्युत छोड़ते हैं, जिन्हें गहरी श्वांस लेकर भीतर लिया जा सकता है। स्वयं की प्राणिक हिंलिंग की जा सकती है। आप तो टीचर हैं विद्युत ऊर्जा का ख़ज़ाना आपके समक्ष है, उन्हें दिल से कुछ भी करके खुश करिये, प्राणऊर्जा से लाभान्वित होइए।
सौ वर्ष की आनन्ददायक जीवन के सूत्र जानने के लिए पुस्तक - *जीवेम शरद: शतम* वांग्मय 41 पढ़िये।
इस दुनियाँ में असम्भव कुछ नहीं, मनुष्य अपने भाग्य का निर्माता स्वयं है। विचार संयम व जिह्वा संयम से व दृढ़ इच्छाशक्ति से जैसा चाहे वैसा स्वास्थ्य प्राप्त कर सकते हैं।
आपके उत्तम स्वास्थ्य की प्रार्थना करते हैं।
🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन
उत्तर- आत्मीय भाई, भारत देश ऐसा देश है जहाँ महामृत्युंजय मंत्र जपकर मृत्यु को टाल दिया जाता है और जहाँ सावित्री गायत्री साधना से इतना तेज अर्जित करती है कि पति के प्राण वापस यमराज से ले लेती है।
मग़र मेरे भाई, चमत्कार स्वतः नहीं होते करने पड़ते हैं, स्वास्थ्य लाभ रूपी चमत्कार इस हालत में भी हो सकता है लेकिन कठिन परिश्रम व संयम की आवश्यकता है।
मधुमेह वह बीमारी है जिसे मनुष्य अपने विचारों, संकल्पों व कर्मो से पैदा करता है। शरीर से काम कम लेता है व शर्करा युक्त चीज़ों का सेवन अधिक करता है। जब स्वयं व निज मन को साधता नहीं अपितु परिस्थितियों को वश में करने की कोशिश करता तो चिंता, शोक, उद्विग्नता, अत्यधिक मानसिक तनाव लेकर स्वयं के भीतर डायबटीज़ उतपन्न कर लेता है। जब कोई दुर्घटना घटती है, दिल टूटता है और प्रियजन का विछोह जब मन-मष्तिष्क -हृदय में जम जाता है तो भी डायबटीज़ उतपन्न होता है।
चीनी,आटा, मैदा, चावल, आलू इत्यादि चीज़ों में श्वेतसार होता है जो शर्करा में बदलता है, इसे *पैंक्रियाज* से निकलने वाला *इन्सुलिन* रस से जलाकर पचाता है, जिससे शरीर को गर्मी तथा शक्ति मिलती है। अब पैंक्रियाज की क्षमता से अधिक शर्करा शरीर में भोजन से डालोगे तो वह सीधे रक्त में मिलेगा, मधुमेह होगा। रक्त से शर्करा गुर्दे(किडनी) खिंचती है और पेशाब शर्करा युक्त होती है। जब गुर्दो में लगातार यह शर्करा पहुंचेगी तो किडनी रोग निश्चयत: होगा।
एलोपैथी डायबटीज़ ठीक नहीं करता केवल सम्हालता है। जीवन डायबटीज़ के साथ चलता है।
ठीक होना है तो भाई अप्राकृतिक रहन सहन छोड़कर प्रकृति की ओर लौटना होगा।
अब कुछ दिन लगभग दो सप्ताह हरी शाक - पालक, चौलाई व बथुआ ख़ाकर रहें, साथ में खट्टे रस वाले फ़ल, मट्ठा इत्यादि पर रहें। मीठे फलों का सेवन न करें। लौकी तोरई इत्यादि उबालकर कालानमक व काली मिर्च डालकर खाएं।
*सब्जी ख़ाकर उपवास से पेशाब में आने वाली चीनी तो तीन दिन में ही बन्द हो जाएगी। किडनी को तो तीसरे दिन आराम मिलने लगेगा। पैंक्रियाज की भी यह हरे शाक मरम्मत करने लगेंगे।*
चीनी,आटा, मैदा, चावल, आलू यह मधुमेह के मरीज के लिए जहर से कम नहीं। अगर बिन रोटी खाये न रहा जाए तो आटा किसी भी हरी सब्जी को पीसकर उसमें जितना आटा समाए मिलाकर गूथ के थोड़ी चुटकी मेथी का पावडर मिलाकर यह हरी रोटी ही खाये।
अन्न खाना भूल जाये तो अच्छा है। सब्जी फ़ल को ही आहार बना लें, प्रोटीन के लिए अंकुरित खाएं।
सुबह जगने के एक घण्टे बाद खाली पेट हरे पेठे का रस लें इससे भी आपकी सेहत सुधरेगी। नीम्बू व आंवले के रस भी मिलाकर ले सकते हैं।
*नित्य पाँच माला गायत्रीमंत्र की व तीन माला महामृत्युंजय मंत्र की अपने स्वास्थ्य की हिंलिंग के लिए करें।*
*यग्योपैथी में भी इसका उपचार है, औषधि देवसंस्कृति विश्वविद्यालय, हरिद्वार सम्पर्क करके मंगवा लें। नित्य औषधि से यज्ञ करे। लाभ अवश्य मिलेगा।*
*प्रणायाम*− प्रणायाम मधुमेह के रोगियों के लिए बहुत फायदेमंद होता है। खासतौर से, भ्रामरी और भ्रस्रिका प्रणायाम तो डायबिटिक लोगों को जरूर करना चाहिए। इनके नियमित अभ्यास से स्ट्रेस लेवल कम होता है और शरीर में ऑक्सीजन की मात्रा बढ़ती है। भ्रामरी प्रणायाम करने के लिए पद्मासन में बैठ जाएं। अंगूठे से कान बंद करें और ऊपर की तीन उंगलियों को आंखों पर रखें। अब गहरी सांस लेते हुए गले से उच्चारण करें। भस्रिका प्रणायाम के लिए पद्मासन में बैठ जाएं। गहरी सांस लें और उसे जल्दी−जल्दी छोड़ें। इस प्रक्रिया में मुंह बंद रखें और सांस की सारी प्रक्रिया नाक से ही करें।
*सूर्य नमस्कार*− अगर आपके पास सभी आसनों को करने का पूरा समय नहीं है तो रोज दो से तीन बार सूर्य नमस्कार अवश्य करें। सिर्फ इस आसन को करने से भी आप काफी हद तक इस रोग को नियंत्रित कर सकेंगे। इससे श्वास, पेट और प्रतिरोधी क्षमता को लाभ पहुंचता है।
*पश्चिमोत्तानासन,सर्वांगासन,सर्वांगासन* इत्यादि आसन डायबटीज़ के लिए बहुत उपयोगी हैं।
*अभी आप जिस कुर्सी पर हैं वह क्रोध, मोह, लोभ, क्षोभ इन चार पाए पर है। अतः इन्हें त्याग के नई कुर्सी पर बैठिए जिसके चार पाए आत्मियता विस्तार, दानशीलता, संयमशीलता, व विचारशीलता से बने हो।*
स्कूल में कोई अच्छी कहानी बच्चों को *वांग्मय नम्बर 57 - तेजस्विता मनस्विता प्रखरता* से सुनाइये। फिर उनसे प्रश्न पूँछिये, सही जवाब बताने वाले को चॉकलेट या पेंसिल इत्यादि कुछ दीजिये। आप येनकेन प्रकारेण आपको उन्हें हंसाना व खुश करना है, जब वो हंसे उस वक्त गहरी श्वांस लीजिएगा। बच्चे जब हंसते हैं तो बहुत तेज प्राण ऊर्जा की विद्युत छोड़ते हैं, जिन्हें गहरी श्वांस लेकर भीतर लिया जा सकता है। स्वयं की प्राणिक हिंलिंग की जा सकती है। आप तो टीचर हैं विद्युत ऊर्जा का ख़ज़ाना आपके समक्ष है, उन्हें दिल से कुछ भी करके खुश करिये, प्राणऊर्जा से लाभान्वित होइए।
सौ वर्ष की आनन्ददायक जीवन के सूत्र जानने के लिए पुस्तक - *जीवेम शरद: शतम* वांग्मय 41 पढ़िये।
इस दुनियाँ में असम्भव कुछ नहीं, मनुष्य अपने भाग्य का निर्माता स्वयं है। विचार संयम व जिह्वा संयम से व दृढ़ इच्छाशक्ति से जैसा चाहे वैसा स्वास्थ्य प्राप्त कर सकते हैं।
आपके उत्तम स्वास्थ्य की प्रार्थना करते हैं।
🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन
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