कविता - *तन-मन को स्वस्थ रखने का, हर सम्भव प्रयास कीजिये*
निज अस्तित्व के लिए संघर्ष,
हर जीव वनस्पति करती है,
सबके जीवन की सफ़लता,
उनकी कर्मठता पर निर्भर करती है,
जन्म से लेकर मृत्यु तक,
सभी आत्माएं संघर्षरत ही रहती हैं।
मानव शरीर की,
सबसे क़ीमती धरोहर,
मन मष्तिष्क ही होता है,
जिसका जितना मष्तिष्क चलता है,
उसका जीवन उतना ही सफ़ल बनता है।
जब हम किसी चीज़ का,
उपयोग करना बंद कर देते हैं,
तब उस वस्तु में धीरे धीरे,
जंग लगने लगती है,
जिसके अंदर नया सीखने की,
ललक नहीं होती है,
उसके जीवन की प्रगति,
सदा अवरुद्ध ही रहती है।
सफ़ल जीवन जीना है तो,
कुछ रोज नया सीखिए,
चिंता से नाता तोड़कर,
चिंतन करना सीखिए,
जीवन की पहेली को,
बुद्धि प्रयोग से हल कीजिये,
जीवन के खेल का,
खिलाड़ी बन आनन्द लीजिये।
एकाग्रता का नित्य,
थोड़ा थोड़ा अभ्यास कीजिये,
मन स्थिर व कमर सीघी करके,
नित्य ध्यान में बैठा कीजिये,
लयबद्ध श्वांसों से,
भ्रामरी व नाड़ीशोधन,
प्राणायाम कीजिये,
स्वयं की चेतना का योग,
परमात्म चेतना से कीजिये।
अपने अस्तित्व के लिए,
नित्य संघर्ष कीजिये,
तन मन को स्वस्थ रखने का,
हर सम्भव प्रयास कीजिये,
मनुष्य ही अपने भाग्य का निर्माता है,
मनुष्य ही अपने भाग्य का विधाता है,
इस पर विश्वास रखते हुए,
निज जीवन की कमान,
स्वयं सम्हाल लीजिये,
तन-मन को स्वस्थ रखने का,
हर सम्भव प्रयास कीजिये।
🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन
निज अस्तित्व के लिए संघर्ष,
हर जीव वनस्पति करती है,
सबके जीवन की सफ़लता,
उनकी कर्मठता पर निर्भर करती है,
जन्म से लेकर मृत्यु तक,
सभी आत्माएं संघर्षरत ही रहती हैं।
मानव शरीर की,
सबसे क़ीमती धरोहर,
मन मष्तिष्क ही होता है,
जिसका जितना मष्तिष्क चलता है,
उसका जीवन उतना ही सफ़ल बनता है।
जब हम किसी चीज़ का,
उपयोग करना बंद कर देते हैं,
तब उस वस्तु में धीरे धीरे,
जंग लगने लगती है,
जिसके अंदर नया सीखने की,
ललक नहीं होती है,
उसके जीवन की प्रगति,
सदा अवरुद्ध ही रहती है।
सफ़ल जीवन जीना है तो,
कुछ रोज नया सीखिए,
चिंता से नाता तोड़कर,
चिंतन करना सीखिए,
जीवन की पहेली को,
बुद्धि प्रयोग से हल कीजिये,
जीवन के खेल का,
खिलाड़ी बन आनन्द लीजिये।
एकाग्रता का नित्य,
थोड़ा थोड़ा अभ्यास कीजिये,
मन स्थिर व कमर सीघी करके,
नित्य ध्यान में बैठा कीजिये,
लयबद्ध श्वांसों से,
भ्रामरी व नाड़ीशोधन,
प्राणायाम कीजिये,
स्वयं की चेतना का योग,
परमात्म चेतना से कीजिये।
अपने अस्तित्व के लिए,
नित्य संघर्ष कीजिये,
तन मन को स्वस्थ रखने का,
हर सम्भव प्रयास कीजिये,
मनुष्य ही अपने भाग्य का निर्माता है,
मनुष्य ही अपने भाग्य का विधाता है,
इस पर विश्वास रखते हुए,
निज जीवन की कमान,
स्वयं सम्हाल लीजिये,
तन-मन को स्वस्थ रखने का,
हर सम्भव प्रयास कीजिये।
🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन
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