प्रश्न - *दी, मैं पिछले 13 वर्ष से एक लड़के से प्रेम करती हूँ, मग़र वह जॉब नहीं करता। मेरे भाई, बहन व माता मुझे नित्य ताना देते हैं। विवाह के प्रेशर डाल रहे हैं, मैं क्या करूँ?*
उत्तर- आत्मीय बेटी,
समस्या जहां है समाधान वहाँ है। तुम हृदय को मजबूत कर निर्णय लो कि तुम्हे क्या चुनना है? यह चयन सही व गलत के बीच नहीं है। यह चयन दो गलत में से कम गलत को चुनना है:-
जॉबलेस लड़के से प्रेम किया है, वह आगे भी ऐसे ही रहेगा या बदलेगा कोई गारंटी वारंटी नहीं है। उससे वर्तमान में विवाह के बाद केवल वह तो मिलेगा मग़र आर्थिक सुख नहीं मिलेगा। यहां सुख का स्वप्न टूटेगा।
पिता की मर्जी से विवाह करोगी तो आर्थिक सुख मिलेगा लेकिन पुराना प्रेम नहीं मिलेगा। यहां दिल टूटेगा।
अब वर्तमान परिस्थिति में प्रेम व अर्थ(धन) में से एक ही मिलेगा। चयन कर लो व अनिर्णय में मत रहो।
तुम्हारे चाहने से परिवार के सदस्य व प्रेमी के स्वभाव नहीं बदलने वाले, जो जैसा जन्मजात है वो वैसा ही रहेगा। निर्णय तुम्हे करना है कि जो जैसा है उसे वैसा स्वीकार करने की तुम्हारी हिम्मत है या नहीं।
प्रार्थना व पुरुषार्थ दो चाबियां है जिससे किस्मत का ताला खुलता है। नित्य उपासना जितनी जरूरी है उतना ही पुरुषार्थ भी जरूरी है।
कोई तुम्हारे लिए नहीं बदलेगा, प्रकृति जिसकी जैसी है वह कुत्ते की दुम की तरह है। जो टेढ़ी है तो है, सीधी दुम का कुत्ता नहीं मिलने वाला, मनाचाही परिस्थिति नहीं मिलने वाली।
अतः कठोर निर्णय विवेक से लो और आगे बढ़ो।
पहले रतन टाटा की तरह निर्णय लो, फिर जो भी निर्णय लिया उसे सही साबित करने में पुरुषार्थ लगा दो।
कभी भी निर्णय सही या गलत नहीं होता, निर्णय लेने के बाद उसे सही साबित करने में पुरुषार्थ करना पड़ता है।
अच्छा ड्राइवर टेढ़े मेढ़े गड्ढे भरे रस्ते में भी गाड़ी चला लेता है, बुरा ड्राइवर अच्छे भले रास्ते मे एक्सीडेंट कर देता है। अतः परिस्थिति बदलने की जगह मनःस्थिति बदलो।
ईश्वर उसी की मदद करता है, जो स्वयं अपनी मदद करता है।
यह कर्म क्षेत्र है, यहाँ श्रीराम की पूजा पर समुद्र रास्ता नहीं देता, यहां श्रीराम को पुरुषार्थ करके समुद्र पर पुल बांधना पड़ता है।
यहां इस कर्म क्षेत्र में श्रीकृष्ण को प्रेम नहीं मिलता, जिस राधा से प्रेम किया उसके साथ तो वह विवाह कर सुखी घर गृहस्थी ही नहीं बसा पाए। प्रेम के गीत न गा पाए। अपितु विवाह तो राजनीतिक कारणों से अनेक से बेमन करने पड़े, कुछ कन्याओं को राक्षस से बचाकर शरण देने के लिए विवाह किया, तो कहीं विवश होकर विवाह किया।
राजनीतिक परिस्थितियों के आगे श्रीराम व सीता जी को घुटने टेकने पड़े, प्राण प्यारी सीता को गर्भवती हालत में छोड़ना पड़ा। विवाह सुख तो इन्हें भी कहाँ मिला।
एक गीत याद होगा:-
कभी किसी को मुक्कमल जहां नहीं मिलता,
क्योंकि कभी ज़मीन और आसमान नहीं मिलता।
निर्णय तुम्हें लेना है, चयन तुम्हें करना है। स्वयं रोज़गार करके जॉबलेस पति को स्वीकारना है, या पिताकी मर्जी से विवाह कर आर्थिक बनी बनाई सुदृढ़ता पाना है। दोनों निर्णय में न कोई निर्णय सही है और न ही कोई निर्णय गलत है। बस उसे सही या गलत साबित तुम्हारा निर्णय लेने के बाद किया पुरुषार्थ तय करेगा।
विवाह से पूर्व निम्नलिखित पुस्तक जरूर पढ़ लेना, जो भी निर्णय लोगी उसके बाद घर गृहस्थी सम्हालने में मदद करेगा:-
1- *गृहस्थ एक तपोवन*
2- *गृहस्थ में प्रवेश से पूर्व उसकी जिम्मेदारी समझें*
3- *मित्रभाव बढाने की कला*
4- *भाव सम्वेदना की गंगोत्री*
5- *सफल जीवन की दिशा धारा*
6- *हारिये न हिम्मत*
7- *जीवन जीने की कला*
8- *मनःस्थिति बदले तो परिस्थिति बदले*
9- *सफलता के सात सूत्र साधन*
१0- *प्रबन्ध व्यवस्था एक विभूति एक कौशल*
11- *व्यवस्था बुद्धि की गरिमा*
🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन
उत्तर- आत्मीय बेटी,
समस्या जहां है समाधान वहाँ है। तुम हृदय को मजबूत कर निर्णय लो कि तुम्हे क्या चुनना है? यह चयन सही व गलत के बीच नहीं है। यह चयन दो गलत में से कम गलत को चुनना है:-
जॉबलेस लड़के से प्रेम किया है, वह आगे भी ऐसे ही रहेगा या बदलेगा कोई गारंटी वारंटी नहीं है। उससे वर्तमान में विवाह के बाद केवल वह तो मिलेगा मग़र आर्थिक सुख नहीं मिलेगा। यहां सुख का स्वप्न टूटेगा।
पिता की मर्जी से विवाह करोगी तो आर्थिक सुख मिलेगा लेकिन पुराना प्रेम नहीं मिलेगा। यहां दिल टूटेगा।
अब वर्तमान परिस्थिति में प्रेम व अर्थ(धन) में से एक ही मिलेगा। चयन कर लो व अनिर्णय में मत रहो।
तुम्हारे चाहने से परिवार के सदस्य व प्रेमी के स्वभाव नहीं बदलने वाले, जो जैसा जन्मजात है वो वैसा ही रहेगा। निर्णय तुम्हे करना है कि जो जैसा है उसे वैसा स्वीकार करने की तुम्हारी हिम्मत है या नहीं।
प्रार्थना व पुरुषार्थ दो चाबियां है जिससे किस्मत का ताला खुलता है। नित्य उपासना जितनी जरूरी है उतना ही पुरुषार्थ भी जरूरी है।
कोई तुम्हारे लिए नहीं बदलेगा, प्रकृति जिसकी जैसी है वह कुत्ते की दुम की तरह है। जो टेढ़ी है तो है, सीधी दुम का कुत्ता नहीं मिलने वाला, मनाचाही परिस्थिति नहीं मिलने वाली।
अतः कठोर निर्णय विवेक से लो और आगे बढ़ो।
पहले रतन टाटा की तरह निर्णय लो, फिर जो भी निर्णय लिया उसे सही साबित करने में पुरुषार्थ लगा दो।
कभी भी निर्णय सही या गलत नहीं होता, निर्णय लेने के बाद उसे सही साबित करने में पुरुषार्थ करना पड़ता है।
अच्छा ड्राइवर टेढ़े मेढ़े गड्ढे भरे रस्ते में भी गाड़ी चला लेता है, बुरा ड्राइवर अच्छे भले रास्ते मे एक्सीडेंट कर देता है। अतः परिस्थिति बदलने की जगह मनःस्थिति बदलो।
ईश्वर उसी की मदद करता है, जो स्वयं अपनी मदद करता है।
यह कर्म क्षेत्र है, यहाँ श्रीराम की पूजा पर समुद्र रास्ता नहीं देता, यहां श्रीराम को पुरुषार्थ करके समुद्र पर पुल बांधना पड़ता है।
यहां इस कर्म क्षेत्र में श्रीकृष्ण को प्रेम नहीं मिलता, जिस राधा से प्रेम किया उसके साथ तो वह विवाह कर सुखी घर गृहस्थी ही नहीं बसा पाए। प्रेम के गीत न गा पाए। अपितु विवाह तो राजनीतिक कारणों से अनेक से बेमन करने पड़े, कुछ कन्याओं को राक्षस से बचाकर शरण देने के लिए विवाह किया, तो कहीं विवश होकर विवाह किया।
राजनीतिक परिस्थितियों के आगे श्रीराम व सीता जी को घुटने टेकने पड़े, प्राण प्यारी सीता को गर्भवती हालत में छोड़ना पड़ा। विवाह सुख तो इन्हें भी कहाँ मिला।
एक गीत याद होगा:-
कभी किसी को मुक्कमल जहां नहीं मिलता,
क्योंकि कभी ज़मीन और आसमान नहीं मिलता।
निर्णय तुम्हें लेना है, चयन तुम्हें करना है। स्वयं रोज़गार करके जॉबलेस पति को स्वीकारना है, या पिताकी मर्जी से विवाह कर आर्थिक बनी बनाई सुदृढ़ता पाना है। दोनों निर्णय में न कोई निर्णय सही है और न ही कोई निर्णय गलत है। बस उसे सही या गलत साबित तुम्हारा निर्णय लेने के बाद किया पुरुषार्थ तय करेगा।
विवाह से पूर्व निम्नलिखित पुस्तक जरूर पढ़ लेना, जो भी निर्णय लोगी उसके बाद घर गृहस्थी सम्हालने में मदद करेगा:-
1- *गृहस्थ एक तपोवन*
2- *गृहस्थ में प्रवेश से पूर्व उसकी जिम्मेदारी समझें*
3- *मित्रभाव बढाने की कला*
4- *भाव सम्वेदना की गंगोत्री*
5- *सफल जीवन की दिशा धारा*
6- *हारिये न हिम्मत*
7- *जीवन जीने की कला*
8- *मनःस्थिति बदले तो परिस्थिति बदले*
9- *सफलता के सात सूत्र साधन*
१0- *प्रबन्ध व्यवस्था एक विभूति एक कौशल*
11- *व्यवस्था बुद्धि की गरिमा*
🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन
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