ज़हर जो पियेगा, तो मरेगा भी तो वही..
लेकिन...बड़े आश्चर्य की बात यह है कि...
ईर्ष्या, द्वेष, क्रोध, घृणा, नफ़रत, बदले की भावना रूपी ज़हर पीते तो हम स्वयं हैं...
लेकिन चाहते हैं कि ये जहर पियें हम और मरे दूसरा...भाई यह कैसे सम्भव है?
स्वयं विचार करें...
🙏🏻श्वेता, DIYA
लेकिन...बड़े आश्चर्य की बात यह है कि...
ईर्ष्या, द्वेष, क्रोध, घृणा, नफ़रत, बदले की भावना रूपी ज़हर पीते तो हम स्वयं हैं...
लेकिन चाहते हैं कि ये जहर पियें हम और मरे दूसरा...भाई यह कैसे सम्भव है?
स्वयं विचार करें...
🙏🏻श्वेता, DIYA
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