Friday 24 January 2020

ज़हर जो पियेगा, तो मरेगा भी तो वही..

ज़हर जो पियेगा, तो मरेगा भी तो वही..

लेकिन...बड़े आश्चर्य की बात यह है कि...

ईर्ष्या, द्वेष, क्रोध, घृणा, नफ़रत, बदले की भावना रूपी ज़हर पीते तो हम स्वयं हैं...

 लेकिन चाहते हैं कि ये जहर पियें हम और मरे दूसरा...भाई यह कैसे सम्भव है?

स्वयं विचार करें...

🙏🏻श्वेता, DIYA

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