Friday, 17 January 2020

प्रश्न - *दीदी असल में ब्रम्हमुहूर्त कितने बजे से कितने बजे तक होता है?*

प्रश्न - *दीदी असल में ब्रम्हमुहूर्त कितने बजे से कितने बजे तक होता है?*

*कोई 3:30 से बताता है कोई 4 बजे से बताता है सही में ये कब से शुरू होता है?*

उत्तर - हमारे ऋषि मुनियों ने ब्रह्म मुहूर्त का विशेष महत्व बताया है। उनके अनुसार नींद का त्याग करने के लिए ये 3:20 से 3:40 समय सर्वश्रेष्ठ है। व्यावहारिक रूप से अच्छी सेहत, ताजगी और ऊर्जा पाने के लिए पूजन, ध्यान, पढ़ाई  इत्यादि के लिए ब्रह्ममुहूर्त सबसे बेहतर समय है। क्योंकि रात की नींद के बाद पिछले दिन की शारीरिक और मानसिक थकान उतर जाने पर दिमाग शांत और स्थिर रहता है। वातावरण और हवा भी स्वच्छ होती है। ऐसे समय की गई देव उपासना, ध्यान, योग और पूजा से तन, मन और बुद्धि पवित्र होती है। सूर्योदय से चार घड़ी (लगभग डेढ़ घण्टे)पहले ब्रह्म-मुहूर्त में ही जागना चाहिये। शास्त्रों में इस समय सोना निषिद्ध है।

इसलिए कहा भी गया है -
“ब्रह्ममुहूर्ते या निद्रा सा पुण्यक्षयकारिणी”
अर्थ - ब्रह्ममुहूर्त की निद्रा पुण्य का नाश करने वाली होती है।

-👉🏻 *ब्रह्म-मुहूर्त का सही समय और महत्त्व* -👈🏻
ब्रह्म-मुहूर्त अनेक कारणों से हमारे लिए महत्त्वपूर्ण है। व्यावहारिक रूप से यह समय सुबह सूर्योदय से पहले चार या पांच बजे के बीच माना जाता है। किंतु शास्त्रों में स्पष्ट बताया गया है कि रात के आखिरी प्रहर का तीसरा हिस्सा या सूर्योदय से चार घड़ी पहले यानी सूर्योदय से लगभग डेढ़ घण्टे पूर्व तड़के ही ब्रह्ममुहूर्त होता है।

*क्या है इसका धार्मिक महत्व* - मान्यता है कि इस वक्त जागकर भगवान की पूजा, ध्यान और पवित्र कर्म करना बहुत शुभ होता है। ऐसा करने से ज्ञान, विवेक, शांति, ताजगी, निरोग और सुंदर शरीर, सुख और ऊर्जा मिलती है। प्रमुख मंदिरों के पट भी ब्रह्म मुहूर्त में खोल दिए जाते हैं तथा भगवान का श्रृंगार व पूजन भी ब्रह्म-मुहूर्त में किए जाने का विधान है।वाल्मीकि रामायण के मुताबिक माता सीता को ढूंढते हुए श्री हनुमान ब्रह्ममुहूर्त में ही अशोक वाटिका पहुंचे। जहां उन्होंने वेद व यज्ञ के ज्ञाताओं के मंत्र उच्चारण की आवाज सुनी।भगवान की पूजा या ध्यान के बाद दही, घी, आईना, सफेद सरसों, बैल, फूलमाला के दर्शन करने से भी पुण्य मिलता है।

*वैज्ञानिक महत्त्व* - वैज्ञानिक शोध से पताा चला है कि ब्रह्म-मुहुर्त में वायु मंडल प्रदूषण रहित होता है। इसी समय वायु मंडल में ऑक्सीजन (प्राण वायु) की मात्रा सबसे ज्यादा (41 प्रतिशत) होती है, जो फेफड़ों की शुद्धि के लिए महत्वपूर्ण होती है। शुद्ध वायु मिलने से मन, मस्तिष्क भी स्वस्थ रहता है। इस समय ली गई सांस से उम्र बढ़ती है और बीमारियां दूर होती हैं।

*आयुर्वेदिक महत्त्व* - आयुर्वेद के अनुसार ब्रह्म-मुहूर्त में उठकर टहलने से शरीर में संजीवनी शक्ति बढ़ती है। यही कारण है कि इस समय बहने वाली हवा को अमृत के बराबर माना गया है। इसके अलावा यह समय पढ़ाई के लिए भी बहुत महत्वपूर्ण माना गया है क्योंकि रात को आराम करने के बाद सुबह जब हम उठते हैं तो शरीर तथा मस्तिष्क में भी स्फूर्ति व ताजगी बनी रहती है।

वृक्ष वनस्पति भी ब्रह्ममुहूर्त में ही बढ़ते हैं।

🙏🏻श्वेता, DIYA

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