Monday 16 March 2020

नवरात्रि के नवदिवसीय साधना - शान्तिकुंज युगतीर्थ में करने का महत्त्व

*नवरात्रि के नवदिवसीय साधना - शान्तिकुंज युगतीर्थ में करने का महत्त्व*

आत्मीय बहन भाइयों, आप सभी चैत्र नवरात्र के व्रत अनुष्ठान व नवदिवसीय साधना को लेकर उत्साहित होंगे। माता के साधनात्मक गर्भ में प्रवेश करेंगे। घर घर में साधना होगी।

लेकिन हम आपसे अनुरोध करेंगे कि एक बार नवरात्र में नवदिवसीय साधना युगतीर्थ शान्तिकुंज में अवश्य करें। युगऋषि की तपऊर्जा, तीर्थचेतना और शान्तिकुंज की भूमि में उच्च मनोभूमि का प्रतिपादन करके लाभ अवश्य उठाएं।

हमने नवरात्र में जब शान्तिकुंज में नवदिवसीय साधना की थी, वह दिव्य अनुभव गूंगे का गुड़ है जो शब्दों में व्यक्त तो नहीं हो सकता, फिर भी कोशिश करती हूँ, आपको तीर्थचेतना के लाभ से अवगत करवाने की एक छोटी सी कोशिश कर रही हूँ।

 *शान्तिकुंज युगतीर्थ क्यों है?*
 *युगतीर्थ की महिमा का आध्यात्मिक वैज्ञानिक महत्व*:-

*शांतिकुंज तीर्थ, हरिद्वार के कुछ अद्भुत शक्ति केंद्र/जगह जहां जप ध्यान द्वारा आप दिव्य शक्तियों के केंद्र से जुड़ सकते हैं:-*

1- *शांतिकुंज गायत्री तीर्थ* के ऊपर तपशक्ति से सूक्ष्म विद्युत् तारों का जाल है, जहां कोई भी असुर शक्ति बिना आवाह्न प्रवेश नहीं कर सकती। ऊर्जा के इस तीव्र प्रवाह से समर्पित हो श्रद्धा-विश्वास से जुड़ा जा सकता है।

2- *शांतिकुंज गायत्री युगतीर्थ* की जमीन मिट्टी अभिमन्त्रित है, इस जमीन पर हमेशा पैदल चलिए, इस मिटटी को माथे पर लगाइये। क्योंकि यहां करोड़ो मन्त्र जप नित्य होते हैं।

3-   *समाधि स्थल* - जिस शरीर द्वारा गुरुदेव और माताजी ने तप साधना किया, इसी शरीर से उन्होंने 24 वर्ष तक 24-24 लाख के गायत्री मन्त्र का अनुष्ठान गौ के दूध से बने छाछ और गोबर से परिष्कृत किये जौ की दो रोटी बिन नमक बिन शक्कर  के ग्रहण करके किया, कई वर्ष हिमालय में तप किया, 3200 से अधिक सत् साहित्य का सृजन किया  , उस शरीर के कण कण में अनन्त शक्ति थी, उस तप ऊर्जा को चिता यज्ञ द्वारा भष्मीभूत कर समाधिस्थ किया गया है। तो समाधि स्थल पर तप चेतना जागरण कई गुना स्पीड से होता है।

4- *यज्ञ स्थल*-, यहां यज्ञ हिमालय से लाई अखण्ड अग्नि में होता है, नियमित यज्ञ द्वारा यहां तीव्र दिव्य ऊर्जा केंद्र बन चूका है। तो यहाँ यज्ञ करके इस ऊर्जा से जुड़ने का लाभ ले। यह अग्नि अखंड है और मनोभूमि परिष्कृत करती है।

5- *सप्तर्षि मण्डल* - सिर्फ मूर्ती न समझें, साक्षात् सप्तर्षि की चेतना अनुभव कर उनका सूक्ष्म साक्षात्कार करें। यहाँ वह एक अंश से उपस्थित हैं व तपयुक्त हिमालय की प्राण ऊर्जा को प्रवाहित कर रहे हैं।

6- *माता गायत्री मन्दिर* - साधारण मन्दिर समझने की भूल न करें, खड़े खड़े दर्शन कर न निकल जायेंगे। यहां कुछ क्षण बैठ के जप करें और ऊर्जा से कन्नेक्शन बनाएं। नवदिवसीय साधना के वक्त 3 या 9 माला कम से कम यहां जपें

7- *अखण्डदीप* के पास काश बैठने की सुविधा होती पर ऐसा है नहीं, क्यूंकि वहां तीव्र दिव्य ऊर्जा का प्रवाह है 1926 से अखण्ड जप तप ने वहां दिव्यता भर दी है। अगर उपयोगी मनोभूमि न हुई तो वहां जप करने वाला स्वयं को सम्हाल न पायेगा, समाधिस्थ हो जाएगा और यदि उपयोगी मनोभूमि वाला महर्षि अरविन्द की तरह हुआ तो स्वयं को निहाल कर लेगा। इसलिए कुछ क्षण ही रुकने दिया जाता है वहां।

8- *गुरुदेव माता जी के दर्शन का कमरा* साक्षात्  देवात्मा हिमालय का तप क्षेत्र है, स्वयं की मनोभूमि परिष्कृत कर उससे एक पल में दिव्य चेतना से जुड़ा जा सकता है। उस रूम में गुरुचेतना का साक्षात्कार किया जा सकता है।

9- *देवात्मा हिमालय दर्शन* - ध्यान के लिए उत्तम क्षेत्र स्वयं को ख़ाली कर स्वयं में गुरुचेतना भरने का अद्भुत जगह। हिमालय स्वयं सूक्ष्म रूप में यहाँ वास करते हैं, वह अडिग भक्ति का पुण्यफल यहां जप करने से मिलता है, जो साक्षात हिमालय क्षेत्र में जपने पर मिलेगा।

10- *शिव मन्दिर* - स्वयं के शरीर को शव मानकर स्वयं की आत्मा को साधक मानकर शिवत्व को धारण करने की स्वयं को शिवो$हम जानने का स्थल। छोटा शिवमन्दिर शान्तिकुंज में स्थित है और बड़ा देवसंस्कृति यूनिवर्सिटी में स्थित है। दोनों स्थल शिवत्व की ऊर्जा से जुड़ने के लिए उत्तम हैं। कोई भी साधना किसी भी देवता की हो, उसे आधार शिव ही प्रदान करते हैं।

बिजली तारों में बहती है, सूर्य की किरणों में अनन्त ऊर्जा है। लेकिन कुचालक तत्व लकड़ी और प्लास्टिक उसका अनुभव नहीं कर सकते, जबकि सुचालक तत्व धातु और यन्त्र उस विद्युत् ऊर्जा को संगृहीत कर अनेको चमत्कारिक कार्य कर सकते हैं। *श्रद्धा-भक्ति वह द्वार है जिसके अंदर से अनन्त ऊर्जा हमारे हृदय में प्रवेश करती है।* जब बिना श्रद्धा-विश्वास के दवा असर नहीं करती तो सोचिए बिना श्रद्धा विश्वास के दुआ कैसे फ़लित होगी। अध्यापक के ज्ञान पर श्रद्धा और विश्वास होगा तभी उससे पढ़ने में मन लगेगा और कुछ सीख सकेंगे। इसी तरह युगतीर्थ पर श्रद्धा-विश्वास होगा तो झोली तीर्थ सेवन के फल से भर जाएगी। यहां आपको माता के साधनात्मक 9 दिन के गर्भ में रहने की दिव्य अनुभूति होकर रहती है। एक नूतनता स्वयं में अनुभव करेंगे।

वंदे भवानी शंकरौ, श्रद्धा विश्वास रूपिणौ।

तीर्थचेतना का लाभ क्या है, आदरणीय चिन्मय भैया के श्रीमुख से सुनिए👇

https://youtu.be/8-JZkhLgyXg

तीर्थचेतना क्या होती है? तीर्थ ऊर्जा क्या होती है? उसे महसूस करने एक बार  9 दिवसीय साधना हेतु शान्तिकुंज अवश्य जाएं। इनदिनों में केवल आश्रम के भोजनालय में ही भोजन कीजिये। स्वयं में बहुत ऊर्जा महसूस करेंगे, यह हमारा प्रत्यक्ष अनुभव है।

Location :-
https://g.co/kgs/5Uwo5v
Shantikunj, Sapt Rishi Rd, Motichur, Haridwar, Uttarakhand 249411

जाने से पूर्व ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन करके अनुमति प्राप्त कर लें:-
http://www.awgp.org/social_initiative/shivir

- SHIVIR AT A GLANCE
VIEW SHIVIR CALENDAR

Email:- shivir@awgp.in

Call: 01334-260602 Ext: 187 or 188
Mob: 09258360655 / 9258369749

आश्रम में पूर्व सूचना देकर व अनुमति प्राप्त करने बाद ही साधना करने के लिए रुक सकते हैं। साधना के दौरान रहना, भोजन व साधना की व्यवस्था निःशुल्क है। जितने दिन की अनुमति मिली है केवल उतने दिन ही आप वहाँ रह सकते हैं।

दर्शनार्थी के रूप में दर्शन कभी भी कर सकते हैं।

 यदि आपकी इच्छा हो तो स्वेच्छा से वहाँ के डोनेशन काउंटर परदान दे सकते हैं।

युगऋषि व माताजी की तपशक्ति, अरबों खरबों गायत्री मन्त्रों की ऊर्जा व यज्ञीय ऊर्जा को महसूस करने व तीर्थ का सेवन करने शान्तिकुंज अवश्य जाएं।


शान्तिकुंज की एक झलक इस वीडियो में भी देख सकते हैं👇🏻
https://youtu.be/5BkosktAaPA.

धरती पर भी एक जगह शान्तिकुंज ऐसी है, जो जीवंत तीर्थ है, जहां स्वयं से परे और स्वयं के अस्तित्व को जानने में सहायता मिलती है। एक बार जरूर जाएं और 9 दिन की नवरात्र साधना तपस्वी की तरह करके आएं और अपने दिव्य अनुभव हमारे साथ शेयर जरूर करें।


🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती,
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन

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