Tuesday 26 May 2020

दीपयज्ञ विधि- 🔥भारत देश व समस्त भारतीयों के उज्ज्वल भविष्य, स्वस्थ-समर्थ-शक्तिशाली राष्ट्र निर्माण हेतु गृहे गृहे यज्ञ विधि

*दीपयज्ञ विधि- 🔥भारत देश व समस्त भारतीयों के उज्ज्वल भविष्य, स्वस्थ-समर्थ-शक्तिशाली राष्ट्र निर्माण हेतु गृहे गृहे यज्ञ विधि*

कलियुग में संगठन में ही शक्ति है, युगऋषि परमपूज्य गुरुदेव कहते हैं, समूह द्वारा एक उद्देश्य के लिए की गई प्रार्थना बहुत प्रभावशाली व असरकारक होती है। एक उद्देश्य एक लक्ष्य एक सी प्रार्थना - *समर्थ, शशक्त और समृद्ध भारत बने, भारत विश्वगुरु बने*, *समस्त भारतवासी स्वस्थ, शशक्त व समृद्ध बने, सबका उज्ज्वल भविष्य हो*
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लाकडाउन में किन्हीं कारण वश जो यज्ञ नहीं कर पा रहें है, इसलिए सरल दीपयज्ञ यज्ञ घर मे मौजूद सामग्री से बता रही हूँ।

*विधि* - सुबह के वक़्त साधारण नमक को पानी मे डालकर माँ गंगा का ध्यान करते हुए निम्नलिखित मन्त्र पढ़ते हुए उस जल से नहाएं।

मन्त्र - *ॐ ह्रीं गंगायै ॐ ह्रीं स्वाहा*

नहाने के बाद ऊर्जा बढाने व शांति के लिए पीले या श्वेत या नीला या आसमानी रँग का कपड़ा पहनें। पूजन के वक्त लाल या काले कलर का वस्त्र न पहनें। गायत्री मंत्र दुपट्टा हो तो उसे जरूर धारण करें।

भगवान को प्रसाद में घर में बनी खीर या मीठे चावल या हलवा बनाकर भोग लगाएं।

घर मे कम्बल का ऊनि शाल का आसन बिछा लें और उस पर बैठ जाएं,  पवित्रीकरण, गुरु, गायत्री या जो भी इष्ट भगवान हों उनका  आह्वाहन करके पाँच घी का दीपक जलाएं। दीप पूजन करें। यदि मिट्टी के दीपक नहीं है तो पांच स्टील की कटोरी में दीपक जला लें, या आटे के दीपक बनाकर जला लें।

दीपक को देखते हुए 5 मिनट प्राणायाम करें।

घर मे रूम फ्रेशनर हो तो कमरे में छिड़क दें, मोबाइल में बांसुरी या ॐ की मधुर ध्वनि हल्के आवाज में चला लें।

दो कटोरी लें, एक में अक्षत(साबुत चावल) और दूसरी ख़ाली लें।

अब निम्नलिखित मन्त्र पढ़ते हुए भरी कटोरी से अत्यंत थोड़े अक्षत जैसे यज्ञ में आहुति उठाते हैं वैसे ही मध्यमा, अनामिका और अंगूठे की सहायता से उठाएं और स्वाहा के साथ खाली कटोरी में डालते जाएं।

*24 आहुति गायत्री मंत्र की - शरीर मे अच्छे हार्मोन्स रिलीज़ होते है, मन शांत होता है, बुद्धि बल और आत्मविश्वास बढ़ता है*

*ॐ भूर्भुवः स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो योन: प्रचोदयात।। स्वाहा इदं गायत्र्यै इदं न मम्*

*11 आहुति महामृत्युंजय मंत्र की, इससे स्वास्थ्य लाभ व शक्ति-सामर्थ्य मिलती है*

*ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्‌। उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात्।।इदं महामृत्युंजयाय इदं न मम्*

*5 आहुति चन्द्र गायत्री मन्त्र* से
चन्द्र गायत्री: -  यह मंत्र निराशा से मुक्ति दिलाता है और मानसिकता भी प्रबल होती है ।
मंत्र-

*ॐ क्षीरपुत्राय विद्महे अमृतत्त्वाय धीमहि। तन्नो चन्द्र: प्रचोदयात् ।।इदं चन्द्रायै इदं न मम्।*

*5 आहुति सूर्य गायत्री मन्त्र से:-* इस मंत्र से शरीर के सभी रोगों से मुक्ति मिलती है ।
मंत्र-
*।। ॐ भास्कराय विद्महे दिवाकराय धीमहि । तन्नो सूर्य: प्रचोदयात् ।।इदं सूर्यायै इदं न मम्।*

भजन कीर्तन स्तुति जो करना चाहे कर लें, फिर पूर्णिमा के चंद्रमा का ध्यान नेत्र बन्द करके करें।

कुछ देर पुनः पांच जलते हुए दीपकों देखें, भावना करे कि यह पांच दीपक पँच तत्वों के प्रतीक हैं, यह हमारे पँच प्राणों को चार्ज कर रहे हैं।

पुनः दीपक को देखते हुए 5 मिनट प्राणायाम करें।

शांतिपाठ करके उठ जाएं, अक्षत चिड़िया को डाल दें या किसी भूखे को चावल दान करते समय उन अक्षतों का भी प्रयोग कर लें।

🙏🏻यदि चाहें तो अपने अनुभव शेयर जरूर करें, ऑडियो या टेक्स्ट मेसेज भेज सकते हैं। 🙏🏻

🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन

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