Wednesday, 6 May 2020

*तुम्हारी जिह्वा की तरह ही तो होते हैं, घर में सास और ऑफिस में बॉस, दुनियाँ के लोग*

*तुम्हारी जिह्वा की तरह ही तो होते हैं, घर में सास और ऑफिस में बॉस, दुनियाँ के लोग*

एक इंच की जीभ को कभी तृप्त न कर सके, तो सास हो या बॉस भला उन्हें अपने कार्य से तृप्त किस तरह कर सकोगे भला?

क्रिकेट में खेल के मैदान में यदि बैटिंग कर रहे हो तो बॉलर से मनचाही बॉल की उम्मीद/अपेक्षा करोगे तो तनावग्रस्त होंगे ही। लेकिन यदि बॉलर जैसी भी बॉल डाले बस उस बॉल को खेलने का हुनर हो तो आनन्द आएगा ही।

ऐसे ही परिवार में लोगों के मुंह से अच्छे बुरे शब्दो की बॉलिंग होती है, तुम अपनी बैटिंग पर ध्यान न देकर उनके मुंह से मनचाहा शब्द सुनने की अपेक्षा रखोगी तो ताउम्र तनावग्रस्त होगी। उनके मुंह से निकले शब्दो को सुनकर तुम्हें उस पर प्रतिक्रिया देनी है, नहीं देनी है या क्या देनी है यह बस तुम तय करो।

ऑफिस में बॉस के मुंह से प्रसंशा सुनने की लालच मनुष्य को हमेशा तनावग्रस्त रखेगी। क्योंकि बॉस जो तुमने कार्य कर दिया उस पर बात नहीं करता, जो नहीं किया उस पर बात करेगा। तुम हताश होंगे और कहोगे इसे मेरा कार्य नहीं दिखता। अरे उसे नहीं दिखता तो क्या तुम्हें दिखता है।

32 दांत में से किसी एक दांत में दर्द हो तो जिह्वा उस तक बार बार जाती है, बाकी 31 स्वस्थ हैं उस पर गौर करती है क्या? 31 के सुख पर फोकस करती है या 1 के दुःख पर? तुम्हारी जिह्वा की तरह तुम्हारा बॉस व्यवहार करता है तो तुम तनावग्रस्त क्यों होते हो?

अच्छा यह बताओ, जीवन मे भगवान ने तुम्हे क्या क्या दिया है कभी उसका आभार देने हेतु उसे गिनते हो? प्रभु बड़ी कृपा जो मुझे  लँगड़ा, लूला, काना, बहरा, अंधा नहीं बनाया? मेरी सांसें व बुद्धि चल  रही है धन्यवाद, जो कुछ दिया है धन्यवाद। नित्य आभार करते हो क्या? नहीं न...तनावग्रस्त रहते हो कि जीवन में क्या नहीं है, कभी उतसाहित नहीं होते यह सोच सोचकर कि जीवन मे क्या है? जब तुम स्वयंमेव आधी ग्लास खाली व आधी ग्लास भरी में नकारात्मक दृष्टि कोण रखते हुए आधी ख़ाली देखते हो तो भला बॉस हो या सास उससे उम्मीद क्यों करते हो कि वह तुम्हारे सद्गुणों को ही मात्र देखे, तुम्हारे पूर्ण किये कार्यो को देखे। वह भी इंसान है, तो आधा खाली देखेगा ही।

इसलिए स्वयं को परफेक्ट बनाने में जुटना अच्छी बात है व उचित भी है, लेकिन दूसरा तुम्हें परफेक्ट माने यह उम्मीद करना अनुचित है।

तुम्हारे 31 परफेक्ट कार्य की उपेक्षा करके जिह्वा की तरह लोग 1 कम परफेक्ट पर ही फोकस करेंगे व तुम्हे उलाहना देंगे ही यह तय है। यह मानवीय व्यवहार है। अब तय तुम्हे करना है कि तनावग्रस्त रहना है या नहीं।

🙏🏻श्वेता, DIYA

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