Sunday, 31 May 2020

दुःख में दुःखी होने की जगह, दुःख दूर करने में जुटो, यही युगऋषि सत्ताओं का सन्देश है।

*दुःख में दुःखी होने की जगह, दुःख दूर करने में जुटो, यही युगऋषि सत्ताओं का सन्देश है।*

दुःख प्रारब्धवश है, सेवा मानव कर्म है।

यह मत गिनो, कि कितने लोग दुःखी हैं।

यह देखो कि तुम कितनो की मदद कर सकते हो।

हम जनसेवक हैं, यदि हम सङ्कल्प पूर्वक सेवा में जुटते हैं तो ईश्वर हमारी मदद प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप में करता है।

🙏🏻श्वेता, DIYA

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