Sunday, 21 June 2020

सारे दुःखों का कारण यही नासमझी है कि दूसरा मेरे हिसाब से क्यों नहीं चल रहा

जब तुम स्वयं जिन माता पिता से जन्मे हो उन की 100% नहीं सुनते, जब तुम्हारा बच्चा जो तुमसे जन्मा तुम्हारी बात 100% नहीं मानता। जब जो मन तुम्हारे भीतर है वह तुम्हारी नहीं सुनता, फिर तुम यह उम्मीद क्यों करते हो जो दूसरे के गर्भ से जन्मा है वह तुम्हारी सुने व तदनुसार कार्य व व्यवहार करें। यह अपेक्षा गलत है।

सारे दुःखों का कारण यही नासमझी है कि दूसरा मेरे हिसाब से क्यों नहीं चल रहा - जीवनसाथी, सास-ससुर, मित्रगण, ऑफिस वाले, रिश्तेदार इत्यादि। वह सब स्वतंत्र है, निज स्वार्थ में घिरे हैं। वह क्यों तुम्हारे हिसाब से चलेंगे? यदि वह तुम्हारे प्रेम भाव में या किसी चीज़ के अभाव में नहीं है तो?...

जो जैसा उसे वैसा रहने दो, बस स्वयं को साधो। साक्षी भाव से तटस्थ होकर दुनियां देखो। दुनियाँ के रंगमंच में जो भी रोल मिला है उसे पूरी निष्ठा से उम्दा करो। बस आनन्द मार्ग मिल जाएगा। तुम्हारे किरदार में जान आ जायेगी। जब पर्दा गिरेगा तब भी तुम्हारे लिए तालिया बजती रहेंगी।

💐श्वेता, DIYA

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