*श्रेष्ठ बालक निर्माण - 21 वर्षीय परियोजना* - भाग 2
*बच्चे का न पढ़ना व टीवी-मोबाईल देखना एक कॉमन समस्या है , जिससे 90% माता पिता परेशान हैं।*
नियंत्रित हाथों से चाकू चलाएंगी तो सब्जी कटेगी, अनियंत्रित हाथों से चाकू चलाएंगी तो उंगली कटेगी।
नियंत्रित मन से नियंत्रित गुस्सा बच्चे को नियंत्रित करने में मदद करता है। अनियंत्रित मन से अनियंत्रित गुस्सा बच्चे व आपके बीच के सम्बन्धो को नष्ट कर देता है।
स्वयं का निरीक्षण कीजिये, कि बच्चा ऐसा कैसे बना?
जब वह छोटा था व आपको परेशान करता था या भोजन नहीं करता था। तब आपने ही उसे मोबाईल थमाया था, टीवी दिखाया था।
बच्चा मनोरंजन चाहता है, जो आजकल के व्यस्त दिनचर्या के माता पिता उसके साथ खेलकर या बातें करके नहीं दे पाते। मोबाइल व टीवी की लत पहले माता पिता बच्चे को लगाते हैं, बच्चा उसका आदी हो जाता है। बाद में अपनी मर्जी से वह लत/आदत पुनः छुड़ाना चाहते हैं।
बच्चा एक जीवंत मन रखने वाला प्राणी है, कोई घर की टी वी या फ्रिज़ नहीं है जिसे अपनी मर्जी से रिमोट से चलाया जा सके।
झल्लाने व क्रोधित होने से समस्या बिगड़ेगी, सुलझाने के लिए आपको स्वयं सुलझना पड़ेगा।
जैसे रस्सी में गांठ लगाई थी, ठीक वैसे उल्टी विधि से गांठ खोली जा सकेगी। गुस्सा करके खोलेंगे तो रस्सी खिंचेगी व गांठ और टाइट हो जाएगी।
बच्चे को आदत आपने टीवी व मोबाइल की धीरे धीरे लगाई थी। ऐसे ही प्यार से पढ़ने की आदत संग बैठकर लगानी पड़ेगी।
आग लगाने के लिए एक माचिस की तीली पर्याप्त है, आग बुझाने के लिए कई बाल्टी पानी चाहिए।
गन्दी आदत कुछ दिन में लग जाती है, अच्छी आदत के लिए ज्यादा प्रयास लगता है।
बच्चे के सामने माता-पिता व घर के सदस्य कुछ घण्टे पढ़ें। पढ़ने की आदत जब बच्चा सबमें देखेगा तो पढ़ने वह स्वतः लगेगा।
आप टीवी देखें, मोबाईल में घण्टों बात करें व व्हाट्सएप करें, और यह चाहे कि बच्चा पुस्तक उठाकर पढ़े। तो ऐसा नहीं होगा।
कितना भी ऑफिस से आकर थके हो, बच्चे के सामने कुछ न कुछ पढंकर पुस्तक से दिखाओ। केवल माता के पुस्तक उठा कर पढ़ने से काम न चलेगा। कुछ भी पढ़ो, श्रीमद्भागवत गीता नित्य पढ़ना उत्तम है।
बच्चे के साथ कुछ मिनट शनिवार-रविवार ध्यान करो।
झल्लाने, चिल्लाने व कुढ़ने से कुछ न होगा। समस्त परिवार को मिलकर प्रयास करना होगा।
🙏🏻श्वेता, DIYA
*बच्चे का न पढ़ना व टीवी-मोबाईल देखना एक कॉमन समस्या है , जिससे 90% माता पिता परेशान हैं।*
नियंत्रित हाथों से चाकू चलाएंगी तो सब्जी कटेगी, अनियंत्रित हाथों से चाकू चलाएंगी तो उंगली कटेगी।
नियंत्रित मन से नियंत्रित गुस्सा बच्चे को नियंत्रित करने में मदद करता है। अनियंत्रित मन से अनियंत्रित गुस्सा बच्चे व आपके बीच के सम्बन्धो को नष्ट कर देता है।
स्वयं का निरीक्षण कीजिये, कि बच्चा ऐसा कैसे बना?
जब वह छोटा था व आपको परेशान करता था या भोजन नहीं करता था। तब आपने ही उसे मोबाईल थमाया था, टीवी दिखाया था।
बच्चा मनोरंजन चाहता है, जो आजकल के व्यस्त दिनचर्या के माता पिता उसके साथ खेलकर या बातें करके नहीं दे पाते। मोबाइल व टीवी की लत पहले माता पिता बच्चे को लगाते हैं, बच्चा उसका आदी हो जाता है। बाद में अपनी मर्जी से वह लत/आदत पुनः छुड़ाना चाहते हैं।
बच्चा एक जीवंत मन रखने वाला प्राणी है, कोई घर की टी वी या फ्रिज़ नहीं है जिसे अपनी मर्जी से रिमोट से चलाया जा सके।
झल्लाने व क्रोधित होने से समस्या बिगड़ेगी, सुलझाने के लिए आपको स्वयं सुलझना पड़ेगा।
जैसे रस्सी में गांठ लगाई थी, ठीक वैसे उल्टी विधि से गांठ खोली जा सकेगी। गुस्सा करके खोलेंगे तो रस्सी खिंचेगी व गांठ और टाइट हो जाएगी।
बच्चे को आदत आपने टीवी व मोबाइल की धीरे धीरे लगाई थी। ऐसे ही प्यार से पढ़ने की आदत संग बैठकर लगानी पड़ेगी।
आग लगाने के लिए एक माचिस की तीली पर्याप्त है, आग बुझाने के लिए कई बाल्टी पानी चाहिए।
गन्दी आदत कुछ दिन में लग जाती है, अच्छी आदत के लिए ज्यादा प्रयास लगता है।
बच्चे के सामने माता-पिता व घर के सदस्य कुछ घण्टे पढ़ें। पढ़ने की आदत जब बच्चा सबमें देखेगा तो पढ़ने वह स्वतः लगेगा।
आप टीवी देखें, मोबाईल में घण्टों बात करें व व्हाट्सएप करें, और यह चाहे कि बच्चा पुस्तक उठाकर पढ़े। तो ऐसा नहीं होगा।
कितना भी ऑफिस से आकर थके हो, बच्चे के सामने कुछ न कुछ पढंकर पुस्तक से दिखाओ। केवल माता के पुस्तक उठा कर पढ़ने से काम न चलेगा। कुछ भी पढ़ो, श्रीमद्भागवत गीता नित्य पढ़ना उत्तम है।
बच्चे के साथ कुछ मिनट शनिवार-रविवार ध्यान करो।
झल्लाने, चिल्लाने व कुढ़ने से कुछ न होगा। समस्त परिवार को मिलकर प्रयास करना होगा।
🙏🏻श्वेता, DIYA
No comments:
Post a Comment