प्रश्न - *दीदी कोई व्यक्ति मुझे समाज मे झूठा बदनाम करना चाहता है मेरी हर जगह बुराई करता है मेरा चरित्र खराब करने पर तुला है मेरा ट्रान्सपर 50 km दूर करवा दिया जिससे मुझे डिप्रेसन रहता है ।क्या करूँ?*
उत्तर - आत्मीय भाई, इसका अर्थ यह है कि तुम इतने योग्य हो कि तुम्हें बल व बुद्धि, योग्यता व पात्रता के टक्कर से तुम्हारे साथी हरा नहीं पाए। इसीलिए उन्हें षड्यंत्र करने को मजबूर होना पड़ा.. तुम्हे तो खुश होना चाहिए कि लोग तुम्हें हरा नहीं पा रहे, इसलिए तुम्हे बदनाम करने का षड्यंत्र कर रहे हैं।
जिसका नाम होता है, लोग षड्यंत्र करके उसे ही बदनाम करते हैं। जिसका कोई नाम ही नहीं, उसे बदनाम करके कोई अपना समय व्यर्थ क्यों करेगा?
भगवान कृष्ण को जब लोगों ने बदनाम करने की कोशिश की और स्मयन्तक मणि की चोरी का आरोप लगाया। तब तुम तो भगवान भी नहीं, फिर तुम्हे कैसे बख़्श देंगे?
50 किलोमीटर दूर ट्रांसफर करके उन्होंने तुम्हे चुनौती दी है, वह चाहते हैं इससे तुम डिप्रेशन में आ जाओगे, उनकी मनोकामना पूरी हो जाएगी। यदि तुम इस ट्रांसफर के बाद भी सैनिक की तरह ख़ुश होकर कार्य किये तो वह जल भूनकर परेशान हो जाएंगे। तुम सोच लो, तय कर लो, डिप्रेशन में रहकर षड्यन्त्रकारी को खुश करना है, या स्वयं आनन्दित रहकर उन्हें हराना है।
सैनिक की कहीं बर्फीली चोटी में पोस्टिंग होती है तो कहीं गर्मी के रेतीले जगहों में पोस्टिंग होती है। प्रत्येक क्षण मृत्यु की गोद मे रहता है, कब दुश्मन की एक गोली उसे मृत्यु दे दे इसका कोई तय वक्त नहीं। यदि प्रत्येक सैनिक यह सोचे कि उसे मनपसंद जगह पोस्टिंग मिले, मन पसन्द वातावरण में ही जॉब करे, तो देश की सुरक्षा का क्या होगा? सैनिक ट्रांसफर को लेके डिप्रेशन में रहा तो क्या होगा?
जीवन योद्धा वह है जो अपनी कमजोरी को ताकत बना ले, विपरीत परिस्थितियों में सुखी होने की वजह तलाशे। जिस जगह ट्रांसफर हुआ है उस जगह का कल्याण कर दे। बादल बन खुशहाली बरसा दे। जिस कुर्सी में बैठकर तुम जॉब करते हो, वह कुर्सी धन्य हो जाये कि इतना देवता समान व्यक्ति मुझपर बैठकर कार्य कर रहा है।
तुम स्वयं की सुख-सुविधा सोचोगे तो डिप्रेशन में रहोगे, यदि जनता का कल्याण सोचोगे तो आनन्द में रहोगे।
प्रत्येक डॉक्टर बड़ा अस्पताल ढूढेगा तो रिमोट गांवो में इलाज कौन करेगा? प्रत्येक अध्यापक यदि शहर में नौकरी ढूढेगा तो गाँवो में शिक्षा कौन देगा? प्रत्येक कर्मचारी शहर में जॉब करना चाहेगा तो सरकारी योजनाओं से ग़ांव का कल्याण कौन करेगा?
स्वयं से पूंछो? क्या तुम सेवार्थ जॉब करने नहीं आये हो? यदि हां तो क्या फर्क पड़ता है वह शहर हो या ग़ांव? घर के पास हो या शहर से 50 किलोमीटर दूर ग़ांव में हो?
पूरे देश का प्रत्येक कोना तुम्हारा कर्मक्षेत्र है, भारत से प्रेम करो। तुम सूर्य हो तो बादल कब तक तुम्हे ढक सकेंगे? तुम यश व नाम रखते हो तो बदनामी के बादल कितने क्षणों तक तुम्हे ढक सकेंगे?
किसी भी लकीर को छोटा करना है, तो बड़ी लकीर बन जाओ। तुम अपनी योग्यता व पात्रता और बढ़ाओ। कम्पटीशन के एग्जाम दो, और बड़ी पोस्ट हासिल करो। इतनी ऊंचाई हासिल करो कि वह बदनाम करने वाले तुम्हे देखने के लिए ऊपर मुंह करना पड़े।
चरित्र प्रमाण पत्र उन षड्यंत्रकर्ता को तुम्हे देने की जरूरत नहीं है। बस अपने कर्त्तव्य पथ पर आगे बढ़ने की जरूरत है। अपनी बुद्धिकुशलता बढाने की जरूरत है। हाथी अपने पीछे भौंकने वाले कुत्तों की परवाह नहीं करता, और न ही उसके समक्ष गणेश समझ प्रणाम करने वालो की परवाह करता है। वह तो बस कर्तव्य पथ पर आगे बढ़ता है।
नित्य 108 दिन तक श्रीमद्भगवद्गीता का एक अध्याय का पाठ करो, स्वयं के लिए सवा लाख गायत्री जप करो। स्वयं को अर्जुन मान और श्रीकृष्ण गुरु का लेकर साथ कमर कस के जीवन युद्ध को लड़ो। हार व जीत की परवाह मत करो। बस कर्म करो, आनन्द बांटो।
🙏🏻श्वेता, DIYA
उत्तर - आत्मीय भाई, इसका अर्थ यह है कि तुम इतने योग्य हो कि तुम्हें बल व बुद्धि, योग्यता व पात्रता के टक्कर से तुम्हारे साथी हरा नहीं पाए। इसीलिए उन्हें षड्यंत्र करने को मजबूर होना पड़ा.. तुम्हे तो खुश होना चाहिए कि लोग तुम्हें हरा नहीं पा रहे, इसलिए तुम्हे बदनाम करने का षड्यंत्र कर रहे हैं।
जिसका नाम होता है, लोग षड्यंत्र करके उसे ही बदनाम करते हैं। जिसका कोई नाम ही नहीं, उसे बदनाम करके कोई अपना समय व्यर्थ क्यों करेगा?
भगवान कृष्ण को जब लोगों ने बदनाम करने की कोशिश की और स्मयन्तक मणि की चोरी का आरोप लगाया। तब तुम तो भगवान भी नहीं, फिर तुम्हे कैसे बख़्श देंगे?
50 किलोमीटर दूर ट्रांसफर करके उन्होंने तुम्हे चुनौती दी है, वह चाहते हैं इससे तुम डिप्रेशन में आ जाओगे, उनकी मनोकामना पूरी हो जाएगी। यदि तुम इस ट्रांसफर के बाद भी सैनिक की तरह ख़ुश होकर कार्य किये तो वह जल भूनकर परेशान हो जाएंगे। तुम सोच लो, तय कर लो, डिप्रेशन में रहकर षड्यन्त्रकारी को खुश करना है, या स्वयं आनन्दित रहकर उन्हें हराना है।
सैनिक की कहीं बर्फीली चोटी में पोस्टिंग होती है तो कहीं गर्मी के रेतीले जगहों में पोस्टिंग होती है। प्रत्येक क्षण मृत्यु की गोद मे रहता है, कब दुश्मन की एक गोली उसे मृत्यु दे दे इसका कोई तय वक्त नहीं। यदि प्रत्येक सैनिक यह सोचे कि उसे मनपसंद जगह पोस्टिंग मिले, मन पसन्द वातावरण में ही जॉब करे, तो देश की सुरक्षा का क्या होगा? सैनिक ट्रांसफर को लेके डिप्रेशन में रहा तो क्या होगा?
जीवन योद्धा वह है जो अपनी कमजोरी को ताकत बना ले, विपरीत परिस्थितियों में सुखी होने की वजह तलाशे। जिस जगह ट्रांसफर हुआ है उस जगह का कल्याण कर दे। बादल बन खुशहाली बरसा दे। जिस कुर्सी में बैठकर तुम जॉब करते हो, वह कुर्सी धन्य हो जाये कि इतना देवता समान व्यक्ति मुझपर बैठकर कार्य कर रहा है।
तुम स्वयं की सुख-सुविधा सोचोगे तो डिप्रेशन में रहोगे, यदि जनता का कल्याण सोचोगे तो आनन्द में रहोगे।
प्रत्येक डॉक्टर बड़ा अस्पताल ढूढेगा तो रिमोट गांवो में इलाज कौन करेगा? प्रत्येक अध्यापक यदि शहर में नौकरी ढूढेगा तो गाँवो में शिक्षा कौन देगा? प्रत्येक कर्मचारी शहर में जॉब करना चाहेगा तो सरकारी योजनाओं से ग़ांव का कल्याण कौन करेगा?
स्वयं से पूंछो? क्या तुम सेवार्थ जॉब करने नहीं आये हो? यदि हां तो क्या फर्क पड़ता है वह शहर हो या ग़ांव? घर के पास हो या शहर से 50 किलोमीटर दूर ग़ांव में हो?
पूरे देश का प्रत्येक कोना तुम्हारा कर्मक्षेत्र है, भारत से प्रेम करो। तुम सूर्य हो तो बादल कब तक तुम्हे ढक सकेंगे? तुम यश व नाम रखते हो तो बदनामी के बादल कितने क्षणों तक तुम्हे ढक सकेंगे?
किसी भी लकीर को छोटा करना है, तो बड़ी लकीर बन जाओ। तुम अपनी योग्यता व पात्रता और बढ़ाओ। कम्पटीशन के एग्जाम दो, और बड़ी पोस्ट हासिल करो। इतनी ऊंचाई हासिल करो कि वह बदनाम करने वाले तुम्हे देखने के लिए ऊपर मुंह करना पड़े।
चरित्र प्रमाण पत्र उन षड्यंत्रकर्ता को तुम्हे देने की जरूरत नहीं है। बस अपने कर्त्तव्य पथ पर आगे बढ़ने की जरूरत है। अपनी बुद्धिकुशलता बढाने की जरूरत है। हाथी अपने पीछे भौंकने वाले कुत्तों की परवाह नहीं करता, और न ही उसके समक्ष गणेश समझ प्रणाम करने वालो की परवाह करता है। वह तो बस कर्तव्य पथ पर आगे बढ़ता है।
नित्य 108 दिन तक श्रीमद्भगवद्गीता का एक अध्याय का पाठ करो, स्वयं के लिए सवा लाख गायत्री जप करो। स्वयं को अर्जुन मान और श्रीकृष्ण गुरु का लेकर साथ कमर कस के जीवन युद्ध को लड़ो। हार व जीत की परवाह मत करो। बस कर्म करो, आनन्द बांटो।
🙏🏻श्वेता, DIYA
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