*शिक्षक का सम्मान और अभिमान*
गुरुवर के परमप्रिय शिष्य श्री राम सिंह राठौर थानेदार चयनित हुए, गुरुदेव के प्रति अटूट निष्ठां और श्रद्धा थी, और जन जन तक गुरुवर के युगसन्देश को पहुंचाने की आकांक्षा थी। गुरुदेव ने कहा बेटा तू अध्यापक बन जा। शिक्षक के रूप में नए बच्चों में संस्कार गढ़ने का महत्त्वपूर्ण दायित्व निभा।
*युगऋषि ने कहा- बेटे इस देश के भविष्य को शिक्षक गढ़ रहा है।डॉक्टर की ग़लती कब्र में गड़ जाती है या चिता में जल जाती है, लेकिन शिक्षक की ग़लती समाज में महामारी के रूप में फ़ैलती है। शिक्षक की असावधानी से बना एक कुसंस्कारी और व्यसनी बच्चा अनेकों कुसंस्कारियों और व्यसनियों को गढ़ देगा।*
बेटा जब भी विद्यालय जाना, मन में भाव रखना क़ि तुम आद्यशक्ति गायत्री की आराधना करने जा रहे हो। एक एक बालक यज्ञ कुण्ड है और उसमें तुम संस्कारों की आहुतियां डाल रहे हो। एक एक बालक गीली मिटटी है तुम उसे कुशल कुम्हार की तरह गढ़ रहे हो। उसे शिक्षा के साथ विद्या भी देना।
जानते हो गणेश प्रथम पूज्य क्यूँ हैं? गणेश अर्थात् विवेक के साथ दूरदर्शिता। इसलिए गणेश सभी शक्तियों के साथ पूज्य हैं।
सरस्वती के साथ गणेश - अर्थात् ज्ञान का सदुपयोग। ज्ञान का उपयोग विवेक के साथ लोकहित हेतु करना। आतंकवादी कम ज्ञानी नहीं होते, लेकिन वो अपने ज्ञान का प्रयोग विनाश् के लिए करते हैं। अनपढ़ चोरी करेगा तो थोड़ा बहुत कर पायेगा, लेकिन यदि ज्ञानी चोरी करेगा तो गम्भीर परिणाम होगा। इसी तरह लक्ष्मी के साथ गणेश अर्थात् धन का सदुपयोग। दुर्गा के साथ गणेश अर्थात् शक्ति का सदुपयोग। अपने विद्यार्थियों को ज्ञान-धन-शक्ति तीनों के अर्जन सिखाने के साथ साथ इनके सदुपयोग के सूत्र भी संस्कारों के माध्यम से देते रहना।
*इस देश का भविष्य युवाओं के हाथ है। और शिक्षक के रूप में उन युवाओं को गढ़ने का परम् सौभाग्य तुम्हे मिलेगा। तुम्हारा योगदान किसी स्वतन्त्रता सेनानी से कम न होगा, यदि तुमने स्वावलम्बी, सेवाभावी, सच्चरित्र, लोकसेवी युवा भारत माँ के चरणों में अर्पित किये तो ये युवा देश को समृद्ध, सुखी, श्रेष्ठ और शक्तिशाली राष्ट्र बनाने में अपना अमूल्य योगदान देंगें*
श्रीराम सिंह राठौर जी ने, प्रशन्नता से गुरुआदेश मानकर थानेदारी छोड़कर अध्यापक रूपी युगशिल्पी बनने की जिम्मेदारी स्वीकार ली।
*याद रखें, जिस प्रकार डॉक्टर ऑपेरशन के वक़्त मोबाईल साथ नहीं ले जाता या स्विचऑफ़ कर देता है, उसी तरह शिक्षक को अध्यापन के वक़्त मोबाईल स्विच ऑफ़ कर देना चाहिए, क्यूंकि डॉक्टर से ज़्यादा अध्यापक को मानसिक ऑपरेशन के वक़्त सावधानी की आवश्यकता है।*
धन्य हैं वह लोग, जो शिक्षक स्वेच्छा से माँ भारती - मातृभूमि की सेवा के लिए बनते हैं, राष्ट्रपुरोहित की अहम भूमिका निभाते हैं। एक एक विद्यार्थी के अंदर राष्ट्र चरित्र गढ़ते हैं, उन्हें समाजउपयोगी बनाते हैं। ऐसे शिक्षकों के श्रीचरणों में भावांजलि स्वरूप 🌹🌹🌹 पुष्प अर्पित हैं। राष्ट्र के लिए जीवित संभावनाओं को तराशने वाले शिक्षकों को प्रणाम।
🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाईन इण्डिया यूथ एसोसिएशन
गुरुवर के परमप्रिय शिष्य श्री राम सिंह राठौर थानेदार चयनित हुए, गुरुदेव के प्रति अटूट निष्ठां और श्रद्धा थी, और जन जन तक गुरुवर के युगसन्देश को पहुंचाने की आकांक्षा थी। गुरुदेव ने कहा बेटा तू अध्यापक बन जा। शिक्षक के रूप में नए बच्चों में संस्कार गढ़ने का महत्त्वपूर्ण दायित्व निभा।
*युगऋषि ने कहा- बेटे इस देश के भविष्य को शिक्षक गढ़ रहा है।डॉक्टर की ग़लती कब्र में गड़ जाती है या चिता में जल जाती है, लेकिन शिक्षक की ग़लती समाज में महामारी के रूप में फ़ैलती है। शिक्षक की असावधानी से बना एक कुसंस्कारी और व्यसनी बच्चा अनेकों कुसंस्कारियों और व्यसनियों को गढ़ देगा।*
बेटा जब भी विद्यालय जाना, मन में भाव रखना क़ि तुम आद्यशक्ति गायत्री की आराधना करने जा रहे हो। एक एक बालक यज्ञ कुण्ड है और उसमें तुम संस्कारों की आहुतियां डाल रहे हो। एक एक बालक गीली मिटटी है तुम उसे कुशल कुम्हार की तरह गढ़ रहे हो। उसे शिक्षा के साथ विद्या भी देना।
जानते हो गणेश प्रथम पूज्य क्यूँ हैं? गणेश अर्थात् विवेक के साथ दूरदर्शिता। इसलिए गणेश सभी शक्तियों के साथ पूज्य हैं।
सरस्वती के साथ गणेश - अर्थात् ज्ञान का सदुपयोग। ज्ञान का उपयोग विवेक के साथ लोकहित हेतु करना। आतंकवादी कम ज्ञानी नहीं होते, लेकिन वो अपने ज्ञान का प्रयोग विनाश् के लिए करते हैं। अनपढ़ चोरी करेगा तो थोड़ा बहुत कर पायेगा, लेकिन यदि ज्ञानी चोरी करेगा तो गम्भीर परिणाम होगा। इसी तरह लक्ष्मी के साथ गणेश अर्थात् धन का सदुपयोग। दुर्गा के साथ गणेश अर्थात् शक्ति का सदुपयोग। अपने विद्यार्थियों को ज्ञान-धन-शक्ति तीनों के अर्जन सिखाने के साथ साथ इनके सदुपयोग के सूत्र भी संस्कारों के माध्यम से देते रहना।
*इस देश का भविष्य युवाओं के हाथ है। और शिक्षक के रूप में उन युवाओं को गढ़ने का परम् सौभाग्य तुम्हे मिलेगा। तुम्हारा योगदान किसी स्वतन्त्रता सेनानी से कम न होगा, यदि तुमने स्वावलम्बी, सेवाभावी, सच्चरित्र, लोकसेवी युवा भारत माँ के चरणों में अर्पित किये तो ये युवा देश को समृद्ध, सुखी, श्रेष्ठ और शक्तिशाली राष्ट्र बनाने में अपना अमूल्य योगदान देंगें*
श्रीराम सिंह राठौर जी ने, प्रशन्नता से गुरुआदेश मानकर थानेदारी छोड़कर अध्यापक रूपी युगशिल्पी बनने की जिम्मेदारी स्वीकार ली।
*याद रखें, जिस प्रकार डॉक्टर ऑपेरशन के वक़्त मोबाईल साथ नहीं ले जाता या स्विचऑफ़ कर देता है, उसी तरह शिक्षक को अध्यापन के वक़्त मोबाईल स्विच ऑफ़ कर देना चाहिए, क्यूंकि डॉक्टर से ज़्यादा अध्यापक को मानसिक ऑपरेशन के वक़्त सावधानी की आवश्यकता है।*
धन्य हैं वह लोग, जो शिक्षक स्वेच्छा से माँ भारती - मातृभूमि की सेवा के लिए बनते हैं, राष्ट्रपुरोहित की अहम भूमिका निभाते हैं। एक एक विद्यार्थी के अंदर राष्ट्र चरित्र गढ़ते हैं, उन्हें समाजउपयोगी बनाते हैं। ऐसे शिक्षकों के श्रीचरणों में भावांजलि स्वरूप 🌹🌹🌹 पुष्प अर्पित हैं। राष्ट्र के लिए जीवित संभावनाओं को तराशने वाले शिक्षकों को प्रणाम।
🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाईन इण्डिया यूथ एसोसिएशन
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