Monday, 10 August 2020

वैदिक हरतालिका पूजन विधि व मुहूर्त* - शान्तिकुंज के कैलेंडर अनुसार - 21 अगस्त 2020, शुक्रवार

 🌺 *वैदिक हरतालिका पूजन विधि व मुहूर्त*  - शान्तिकुंज के कैलेंडर अनुसार - 21 अगस्त 2020, शुक्रवार




*प्रदोष काल शुभ मुहूर्त -हरतालिका तीज व्रत का शुभ पूजन मुहूर्त-*

हरतालिका तीज मुहूर्त

प्रातःकाल मुहूर्त : 05:53:39 से 08:29:44 तक

अवधि : 2 घंटे 36 मिनट

प्रदोष काल मुहूर्त :18:54:04 से 21:06:06 तक


इस व्रत को स्त्री,पुरुष,कुँवारी कन्या जो चाहे वो अपने सुख-सौभाग्य और सुखी दाम्पत्य जीवन की प्राप्ति के लिए कर सकता है।


हरतालिका दो शब्द से बना है *हर* अर्थात् अगवा/हरण करना आउट *तालिका* अर्थात् सखी। पार्वती जी की सखी ने पार्वती जी को उनके पिता के घर से निकाल कर जंगल तप हेतु पहुँचाया था।

👉🏻 *कथा* 👈🏻

*इस व्रत को सर्वप्रथम माँ पार्वती ने भगवान शिव को पति रूप में वरण हेतु किया था। माता ने निर्जला व्रत किया था और प्रदोष संध्याओं में शिव जी का रुद्राभिषेक किया। दिन-रात महामृत्युंजय का अखण्ड जप करते हुए ध्यानस्थ रहीं। व्रत के दूसरे दिन शिव ब्राह्मण का रूप धरकर पानी में डूबने लगे और मगरमच्छ उनके पीछे पड़ा था। उनके आवाज़ देने पर माँ पार्वती ने अपना बाँया हाथ बचाने हेतु बढ़ाया, लेकिन ब्राह्मण ने दाहिना हाथ माँगा, तो माता ने कहा यह शिव के ही हाथ में दूँगी। तब शिव प्रकट हुए और वरदान मांगने हेतु कहा,तब माता ने कहा आज के दिन जो स्त्री आपका रुद्राभिषेक द्वारा पूजन कर व्रत रहेगी और रूद्र अष्टाध्यायी का पाठ करेगी। साथ ही निरन्तर पुरे दिन महामृत्युंजय मन्त्र का जप करेगी, आप उसे इस व्रत स्वरूप सुख सौभाग्य का आशीर्वाद दें।*

सुखमय दाम्पत्य की इच्छाओं और आवश्यकताओं को पूरा करने में तथा बहुत से दाम्पत्य जीवन के अनिष्टों को टालने में यह व्रत उपयोगी सिद्ध होता हैं।

इस पूजन में माता पार्वती, भगवान शंकर और गणेश जी की पूजा की जाती है। सुबह से निर्जला, या जलाहर या रसाहार लेकर यह पुनीत व्रत स्त्री पुरुष दोनों कर सकते हैं। कोई ठोस आहार लेना वर्जित है।

इस दिन सुखी दाम्पत्य जीवन के लिए तीन बार पूजन करना चाहिए, सुबह सुखी दाम्पत्य जीवन के लिए तीन माला गायत्री मन्त्र की, एक माला महामृत्युंजय मन्त्र की और एक माला सूर्य गायत्री मन्त्र की अवश्य करनी चाहिए और उसके बाद आरती।

दिन में कम से कम एक बार सामूहिक घर परिवार के साथ रुद्राभिषेक अवश्य करें। दिन भर मौन मानसिक महामृत्युंजय मन्त्र जपें। टीवी सीरियल और अनर्थ कारी चिंतन वाला साहित्य न पढ़े न देखें।

शाम को प्रदोष समय रुद्राभिषेक के बाद दीपयज्ञ करना चाहिए। साथ में कलश में जल भरकर रखें। पूजन में फ़ल फूल प्रसाद एक थाल में अर्पित करना चाहिए। दीपयज्ञ में 24 गायत्री मन्त्र, 11 महामृत्युंजय मन्त्र और 11 सूर्य गायत्री मन्त्र की आहुति दें, फ़िर सुबह का इंतज़ार करें।

दूसरे दिन सुबह पति पत्नी साथ में सूर्य दर्शन करें। दोनों साथ में पांच बार गायत्री मन्त्र, 3 बार महामृत्युंजय मन्त्र, 3 बार सूर्य गायत्री का मन्त्र पढ़कर सूर्य को कलश के जल से अर्घ्य देंवें। शांति पाठ करें।

👉🏻ये optional है,  पति का को तिलक चन्दन कर आरती उतारें। यहां भाव करें क़ि हम पार्वती है और हमारे पति शिवस्वरूप हैं, अपने भीतर की बुराइयों को त्याग के अच्छाईयां ग्रहण करेंगे। साथ में हम पति की अच्छाइयों पर फ़ोकस करेंगे न क़ि उनकी बुराईयों पर। फ़िर पति पत्नी को मीठा खिलाकर जल पिलाएंगे। भावना करेंगे मन वचन कर्म से पत्नी के जीवन में माधुर्य और शीतलता बनी रहे ऐसा हर सम्भव प्रयास करेंगे। पत्नी पति के चरण स्पर्श करेगी और पति उसे सौभाग्य का आशीर्वाद देंगें।

फ़िर जो पूजन के वक्त एक थाली फ़ल प्रसाद भगवान को चढ़ाया था उसी थाली में पति पत्नी एक साथ भोजन करते हैं ऐसा वैदिक विधान कहता है, दूसरे दिन एक दूसरे का जूठा खाने से दाम्पत्य जीवन सुखमय बनता है।

*गायत्री मन्त्र*- ॐ भूर्भूवः स्वः तत् सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो योनः प्रचोदयात्।

*महामृत्युंजय मन्त्र*- ॐ त्र्यम्बकम् यजामहे सुगन्धिम् पुष्टि वर्धनम् उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्।

*सूर्य मन्त्र*- ॐ भाष्कराये      विद्महे, दिवाकराय धीमहि, तन्नो सूर्यः  प्रचोदयात्।


*चन्द्र मन्त्र*- ॐ क्षीरपुत्राय    विद्महे, अमृतत्वाय धीमहि, तन्न: चन्द्र:  प्रचोदयात्।

*पति के उद्धार हेतु मृत्युंजय मन्त्र* - ॐ जूं स: माम् पति पालय पालय स: जूं ॐ।

रुद्राभिषेक के लिए सुगम शिवार्चन विधि पढ़कर करें


🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन

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