*मोक्ष - ईच्छाओं वासनाओं से हो मुक्त, कर्ता भाव से हो मुक्त, होश में जीना मोक्ष । अच्छे कर्म करना लेकिन कर्म फ़ल के बन्धन से मुक्ति मोक्ष है। जो जहाँ जिस परिस्थिति में हो उसी में आनंदित रहना मोक्ष है। मनःस्थिति बदलना ही मोक्ष है। शरीर में रहकर आत्मभाव में स्थित रहना मोक्ष है।*
🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाईन इंडिया यूथ एसोसिएशन
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